* प्रस्तावना *
भारत में इंटरनेट और मोबाइल की बढती पहुँचने युवाओं को एक नई दुनिया दी हैं - गेमिंग की दुनिया| सुबह से लेकर रात तक, लाखों लोग किसी-न-किसी ऑनलाइन गेम में डूबे रहते हैं| PUBG, Free Fire, Ludo, Rummy और Fantasy Cricket जैसे गेम्स ने न सिर्फ युवाओं को एंटरटेनमेंट दिया बल्कि कई लोगों को रोजगार और कमाई का नया, साधन भी बनाया| लेकिन जब खेलों में असली पैसों का दाँव लगने लगा तो हालात बदल गए|
लोग जीतने की उम्मीद में अपनी मेहनत की कमाई गँवाने लगे, कई घर आर्थिक संकट में डूब गए और युवाओं में लत ( Addiction ) इतनी बढ़ी कि पढ़ाई-लिखाई और करियर तक प्रभावित होने लगे|
इसी पृष्ठभूमि में भारत सरकार ने अगस्त 2025 में "ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025" पास किया हैं, जिसमे पैसे के लेन-देन वाले गेम्स ( Money-Based Games ) पर पूरी तरह रोक लगाने का प्रावधान हैं|
यह कदम एक ओर समाज को नुकसान से बचाने के लिए हैं, तो दूसरी ओर इतने देश की सबसे तेजी से बढ़ती इंडस्ट्री - ऑनलाइन गेमिंग - को बड़े संकट में डाल दिया हैं|
1. भारत में ऑनलाइन गेमिंग का तेजी से बढ़ना:-
पिछले एक दशक में भारत में इंटरनेट और स्मार्टफोन की पहुँच इतनी तेजी से बढ़ी हैं उसका सीधा असर ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री पर पड़ा| छोटे कस्बों से लेकर बड़े शहरों तक, बच्चे और युवा अब अपने मोबाइल फोन पर घंटो गेम खेलने लगे हैं| जहाँ पहले गेम्स केवल मनोरंजन का साधन थे, वहीँ अब ये एक बड़ा बिजनेस मॉडल बन गए हैं| कम्पनियों ने इसमें इन-एप खरीदारी, विज्ञापन और सबसे अहम - मनी गेम्स यानी पैसों से जुड़ें खेलों को शामिल कर लिया|
इस बदलाव ने गेमिंग को केवल मनोरंजन से हटाकर एक ऐसी इंडस्ट्री बना दिया जो करोड़ों रूपये की कमाई करने लगी| रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत की ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री 2020 से 2025 के बीच 30% सालाना दर से बढ़ी| लेकिन इस तेज बढ़ोतरी के साथ कई समस्याएं भी खड़ी हो गई| लोग मनोरंजन से हटकर पैसे के लालच में ऐसे खेल खेलने लगे जिनमें हारने पर उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी| खासकर मध्यवर्गीय और निचले तबके के युवा इसमें ज्यादा फँस गए| यही कारण हैं कि सरकार ने माना कि इस सेक्टर को रेगुलेट करना बहुत ज़रूरी हो गया हैं|
2. सरकार के सामने बढ़ती समस्याएं:-
जब ऑनलाइन गेमिंग ने तेजी से बढ़ता शुरू किया, तब सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती आई - नियंत्रण और सुरक्षा की| लाखों शिकायतें दर्ज होने लगीं कि लोग अपनी कमाई का पैसा इन गेम्स में गवां रहे हैं| बहुत से परिवारों में कलह और कर्ज की स्थिति पैदा हो गई| दूसरी बड़ी समस्या यह थी कि नाबालिक बच्चे भी आसानी से इन खेलों में घुस जाते थे| क्योंकि उन्हें सिर्फ एक मोबाइल और इंटरनेट चाहिए होता था, और परिवार के लोग अक्सर यह नहीं समझ पाते थे कि बच्चा असली पैसों से खेल रहा हैं या सिर्फ मनोरंजन के लिए| इसी के साथ साईबर क्राइम भी बढने लगा|
फर्जी एप्स और वेबसाइट्स लोगों से पैसा ठगकर गायब हो जाती थीं| यहाँ तक कि कई बार युवाओं ने हार के तनाव में आत्महत्या जैसे कदम भी उठाए| इन साडी घटनाओं ने सरकार को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि अगर अभी भी कोई ठोस कदम नही उठाया गया, तो ऑनलाइन गेमिंग भारत के सामाजिक ढांचे को गहरा नुकसान पहुँच सकती हैं| यही वजह रही कि समस्या को राष्ट्रीय स्तर पर एक बिल के जरिए नियंत्रित करने का फैसला लिया गया|
3. Promotion and Regulation of Online Gaming Bill 2025 का उद्देश्य:-
इस बिल का मुख्य उद्देश्य हैं - भारत में ऑनलाइन गेमिंग को एक सुरक्षित, पारदर्शी और नियंत्रित ढांचे में लाना| सरकार ने साफ़ कहा हैं कि ऑनलाइन गेमिंग को पूरी तरह से बैन करना सम्भव नही हैं, क्योंकि यह युवाओं की पसंद और एक बड़ी इंडस्ट्री बन चूका हैं| लेकिन पैसों पर आधारित गेम्स, खासकर जुए जैसी प्रवित्तियों को रोकना बेहद ज़रूरी हैं| इस बिल में स्पष्ट किया गया हैं कि कोई भी कम्पनी या प्लेटफार्म अब बिना अनुमति के मनी गेम्स नही चला सकता|
साथ ही, बच्चों को इन खेलों से दूर रखने के लिए कड़े नियम बनाये गए हैं| बिल यह भी सुनुश्चित करता हैं कि भारत में गेमिंग कम्पनियां सिर्फ मनोरंजन और स्किल-बेस्ड गेम्स तक सीमित रहें| सरकार चाहती हैं कि तकनीक और युवाओं की ऊर्जा सही दिशा में इस्तेमाल हो, न कि लत और आर्थिक नुकसान की ओर| इस बिल के जरिए यह भी कोशिश की गई हैं कि ऑनलाइन गेमिंग से जुड़ी कम्पनियां टैक्स भरें और इंडस्ट्री पारदर्शी बने| यानी यह बिल केवल रोकथाम नहीं, बल्कि सुधार और संतुलन का रास्ता भी खोलता हैं|
4. मनी गेम्स और जुए पर रोक की जरूरत:-
भारत में लम्बे समय से जुआ और सट्टेबाजी गैर-क़ानूनी रहे हैं, लेकिन डिजिटल युग में ये नए रूप में सामने आए| पहले लोग गली-मोहल्ले में ताश या सट्टे पर पैसे लगाते थे, अब वही चीज मोबाइल एप्स और वेबसाइट्स के जरिए हो रही थी| खासकर रमी, पोकर, फैटेंसी क्रिकेट और बेटिंग एप्स में लाखों लोग रोजाना पैसे लगाने लगे| यहाँ जीत का लालच इतना बड़ा दिखाया जाता था कि लोग बार-बार पैसा लगाते और हारते जाते| यह सीधे तौर पर जुए की श्रेणी में आता हैं| सरकार ने माना कि अगर इसे रोका न गया, तो यह सामाजिक समस्या का बड़ा कारण बनेगा|
कई युवाओं ने कर्ज लेकर गेम खेले और फँस गए| घर-परिवार टूटने लगे| कई राज्यों ने अपने स्तर पर सीसे गेम्स पर बैग लगाया, लेकिन एक राष्ट्रीय स्तर का कानून न होने के कारण कंपनियां अलग-अलग राज्यों के नियमों का फायदा उठाकर काम करती रहीं| इसी वजह से 2025 का यह बिल ज़रूरी बना| इसने पहली बार पुरे भारत में मनी गेम्स और जुए जैसी गतिविधियों पर एक समान रोक लगाने का प्रावधान किया, ताकि कोई भी कम्पनी loophole का फायदा न उठा सके|
5. बच्चों और युवाओं की सुरक्षा के उपाय:-
इस बिल की सबसे बड़ी ताकत हैं - युवाओं और बच्चों को सुरक्षित करना| इंटरनेट की आसानी से पहुँच ने बच्चों को भी गेमिंग की दुनिया में खींच लिया| कई बार वे समझ ही नही पाते कि वे असली पैसों से खेल रहे हैं| कुछ कम्पनियां उन्हें बोनस, ऑफर और कैश प्राइज का लालच देकर जाल में फंसा लेती थीं| इसका सबसे बुरा असर पढ़ाई और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा था| सरकार ने इसे गम्भीरता से लिया और इस बिल में नाबलिकों की भागीदारी पर सख्त रोक लगा दी|
अब किसी भी ऑनलाइन गेमिंग कम्पनी को यह सुनिश्चित करना होगा कि 18साल से कम उम्र का कोई भी बच्चा मनी गेम्स तक न पहुँच पाए| इसके लिए कम्पनियों को "आयु सत्यापन प्रणाली" ( Age Verification System ) लागू करनी होगी| साथ ही, इस बिल में यह भी कहा गया हैं कि यदि कोई कम्पनी बच्चों को गलत दिशा में ले जाते हुए पाई गई, तो उसके खिलाफ कड़ी सजा होगी| यह कदम इसलिए ज़रूरी था क्योंकि युवा पीढ़ी ही देश का भविष्य हैं और उन्हें ऐसी लत से बचाना राष्ट्रीय जिम्मेदारी भी हैं|
6. लाइसेंसिंग सिस्टम की शुरुआत:-
ऑनलाइन गेमिंग कम्पनियों के लिए सबसे बड़ा बदलाव इस बिल के जरिए लाइसेंसिंग सिस्टम का लागू होना हैं| पहले तक कई कम्पनियां बिना किसी पंजीकरण या नियमन के गेमिंग प्लेटफार्म चला रही थीं, जिससे पारदर्शिता की भारी कमी थी| अब 2025 के बिल के अनुसार, हर कम्पनी को सरकार से लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा| इसका मतलब हैं कि कोई भी गेमिंग प्लेटफार्म सिर्फ तभी क़ानूनी रूप से चल पाएगा, जब वह सरकार द्वारा दिए गए मानकों और शर्तों का पालन करेगा|
लाइसेंस लेने के लिए कम्पनियों को अपने गेम्स के बारे में पूरी जानकारी देनी होगी - वे किस प्रकार के हैं, उनका उद्देश्य क्या हैं और उनमे किसी तरह का मनी ट्रांजेक्शन तो शामिल नही हैं| इस व्यवस्था का फायदा यह होगा कि फर्जी और धोखाधड़ी करने वाले एप्स अपने आप बाहर हो जाएँगे| इसके अलावा, सरकार को इंडस्ट्री पर सीधा नियंत्रण मिलेगा और यूजर्स भी भरोसे के साथ गेम्स खेल रकेंगे| यह कदम भारत में गेमिंग सेक्टर को पारदर्शी और सुरक्षित बनाने की दिशा में सबसे अहम साबित होगा|
7. आयु सीमा और KYC अनिवार्यता:-
बिल 2025 में यह साफ किया गया हैं कि ऑनलाइन गेमिंग खेलने वालों के लिए 18 साल से कम उम्र के बच्चों को कम उम्र के बच्चों को मनी-बेस्ट गेम्स खेलने की अनुमति बिल्कुल नही होगी| हालांकि, मनोरंजन और शैक्षिक गेम्स के लिए यह प्रतिबंध लागु नहीं होगा| इसके साथ ही हर यूजर को गेमिंग प्लेटफार्म पर रजिस्टर करने के लिए KYC ( Know Your Customer ) प्रक्रिया से गुजरना होगा| यानी अब कोई भी व्यक्ति बिना अपनी सही पहचान बताए गेमिंग अकाउंट न बने और धोखाधड़ी की सम्भावनाएं भी कम हों|
कई बार देखा गया हैं कि बच्चे माता-पिता की जानकारी के बिना पैसे खर्च कर देते हैं| अब यह समस्या काफी हद तक कम होगी क्योंकि हर ट्रांजैक्शन से पहले पहचान की पुष्टि करनी होगी| साथ ही, KYC सिस्टम से सरकार को भी यूजर्स के डेटा पर बेहतर निगरानी मिल सकेगी| यह प्रावधान न केवल यूजर्स की सुरक्षा बढ़ाएगा, बल्कि जिम्मेदार गेमिंग को भी बढ़ावा देगा|
8. विज्ञापन पर नियंत्रण:-
ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां अब तक बड़े-बड़े विज्ञापनों के जरिए लोगों को आकर्षित करती थीं| टीवी, यूट्यूब, सोशल मीडिया और क्रिकेट मैचों में इनके विज्ञापन आम हो चुके थे| इनमे अक्सर यह दिखाया जाता था कि कोई भी आसानी से गेम खेलकर लाखों रूपये जीत सकता हैं| इस तरह के विज्ञापन युवाओं को गलत तरीके से लुभाते थे और उन्हें गेमिंग की दुनिया में खींच लाते थे| बिल 2025 ने इस पर सख्त रोक लगाई हैं|
अब कोई भी कम्पनी ऐसे विज्ञापन नही कर पाएगी, जिसमे पैसों की लालच दिखाया जाए या यह बताया जाए कि गेम्स से अमीर बना जा सकता हैं| इसके अलावा, विज्ञापन में साफ-साफ चेतावनी देना अनिवार्य होगा कि "यह केवल मनोरंजन के लिए हैं, पैसे कमाने का साधन नही|" यह बिल्कुल वैसा ही होगा जैसा सिगरेट या शराब के विज्ञापनों में चेतावनी दी जाती हैं| इस कदम का असर यह होगा कि लोग जागरूक रहेंगे और गेम्स को कमाई का साधन मानकर इसमें अंधाधुंध पैसा लगाने से बचेंगे|
9. डेटा प्राइवेसी और सुरक्षा:-
आज के डिजिटल दौर में डेटा सबसे बड़ा खजाना हैं| ऑनलाइन गेमिंग कम्पनियां अपने यूजर्स का बड़ा डेटा इकट्ठा करती हैं - जैसे- मोबाइल नम्बर, ईमेल, बैंक डिटेल्स और लोकेशन| पहले कई बार यह शिकायतें आई थीं कि कम्पनियां इस डेटा का गलत इस्तेमाल करती हैं या इसे तीसरे पक्ष को बेच देती हैं| बिल 2025 ने डेटा प्राइवेसी को एक अहम मुद्दा मानते हुए इसमें सख्त नियम बनाए हैं|
अब कोई भी गेमिंग कंपनी बिना यूजर की अनुमति के उसका डेटा इस्तेमाल नहीं कर सकती| साथ ही, उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि उनका डेटा एनक्रिप्शन टेक्नोलॉजी से सुरक्षित रहे| अगर कोई कंपनी डेटा लीक या दुरूपयोग करती पाई जाती हैं तो उस पर भारी जुर्माना और लाइसेंस रद्द करने तक की सजा होगी| इससे लोगों का भरोसा बढ़ेगा और वे निश्चित होकर गेमिंग प्लेटफार्म का उपयोग कर सकेंगे| यह कदम भारत को एक सुरक्षित डिजिटल इकोसिस्टम की ओर ले जाने वाला हैं|
10. अंतर्राष्ट्रीय कम्पनियों पर नियंत्रण:-
भारत का ऑनलाइन गेमिंग बाजार इतना बड़ा हैं कि विदेशी कम्पनियां भी इसमे कूद पड़ी थीं| इनमे से कई कम्पनियां भारत में पंजीकृत भी नहीं थीं और सीधे अपने एप्स या वेबसाइट्स के जरिए लोगो से कमाती थीं| न तो इन पर सरकार का नियंत्रण था और न ही ये किसी नियम का पालन करती थीं| बिल 2025 ने इस समस्या पर भी सख्ती दिखाई हैं| अब कोई भी विदेशी कम्पनी भारत में गेमिंग सर्विस तभी चला पाएगी जब वह भारत में रजिस्टर्ड हो और यहाँ वे लाइसेंसिंग नियमों का पालन करें|
यानी अब विदेशी कम्पनियों को भी भारतीय कानून के दायरे में आना होगा| इससे एक तो सरकार को टैक्स और राजस्व का फायदा मिलेगा और दूसरा, धोखाधड़ी करने वाली कम्पनियों पर रोक लगेगी| इसके अलावा, भारतीय कम्पनियों को भी प्रतिस्पर्धा में बराबरी का मौका मिलेगा| इस प्रावधान से देश की अपनी गेमिंग इंडस्ट्री को प्रोत्साहन मिलेगा और एक संतुलित गेमिंग माहौल तैयार होगा|
11. टैक्सेशन और सरकार की आमदनी:-
ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री भारत में तेजी से बढ़ रही हैं और इसमें अरबों रूपये का लेन-देन होता हैं| पहले सरकार को इस सेक्टर से बहुत कम टैक्स मिलता था क्योंकि कम्पनियां स्पष्ट नियमों की कमी का फायदा उठाकर टैक्स बचाती थीं| लेकिन ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 ने इस सख्त नियम बना दिए हैं| अब हर लेन-देन पर GST ( Goods and Services Tax ) लागू होगा और कम्पनियों को अपनी आय का पूरा रिकार्ड सरकार को देना होगा| इससे सरकार की आमदनी में भारी बढ़ोतरी होगी|
इन पैसों का इस्तेमाल शिक्षा, स्वास्थ्य और डिजिटल विकास जैसे क्षेत्रों में किया जा सकेगा| इसके अलावा, टैक्सेशन से यह भी सुनिश्चित होगा कि कम्पनियां पारदर्शी तरीके से काम करें और यूजर्स को भी यह भरोसा रहे कि वे एक कानूनी रूप से सुरक्षित प्लेटफार्म पर गेम खेल रहे हैं| यह कदम सरकार और आम जनता दोनों के लिए लाभदायक हैं|
12. यूजर प्रोटेक्शन सेल की स्थापना:-
बिल 2025 ले तहत एक User Protection Cell स्थापित करने का प्रावधान हैं| यह सेल उन सभी मामलों को देखेगा जहाँ यूजर्स को किसी गेमिंग प्लेटफार्म से धोखा हुआ हो या उनकी शिकायतें अनसुनी की जा रही हों|पहले अक्सर देखा गया था कि अगर किसी का पैसा फंस जाए तो यूजर के पास शिकायत करने का कोई सीधा साधन नही होता था| अब यह सेल ऑनलाइन पोर्टल और हेल्पलाइन नम्बर के जरिए 24/7 उपलब्ध रहेगा|
यदि किसी कम्पनी ने गलत तरीके से यूजर का पैसा रोका या KYC नियम तोड़ें, तो यह सेल तुरंत कार्यवाई करेगा| इससे यूजर्स को न्याय मिलता आसान होगा और कम्पनियों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी| इस कदम से आम खिलाडियों का भरोसा बढ़ेगा और वे गेमिंग को सुरक्षित माहौल में एंजॉय कर सकेंगे|
13. गेमिंग एडिक्शन रोकने के उपाय:-
भारत में मोबाइल और इंटरनेट की आसान उपलब्धता के कारण लाखों युवा ऑनलाइन गेम्स के आदि हो चुके हैं| कई बार यह लत इतनी बढ़ जाती हैं कि पढाई और नौकरी पर बुरा असर पड़ता हैं| बिल 2025 ने इस गंभीर समस्या को ध्यान में रखते हुए कई उपाय किए हैं| अब हर गेमिंग एप में Time Limit System और Spending Limit लगाना अनिवार्य होगा| यानी कोई भी यूजर लगातार घंटों तक खेल नही पाएगा और एक तय सीमा से ज्यादा पैसे खर्च नहीं कर पाएगा| इसके अलावा, अगर कोई यूजर बहुत लंबे समय तक गेम खेलता हैं तो एप पर चेतावनी संदेश दिखेगा कि "अब गेमिंग रोकें और आराम करें|"
बच्चों और युवाओं को बचाने के लिए यह कदम बेहद ज़रूरी था| इससे ऑनलाइन गेमिंग को एक मनोरंजन का साधन बनाए रखना आसान होगा, न कि यह किसी की जिंदगी पर बोझ बने|
14. स्थानीय ( Indian ) गेमिंग कम्पनियों को बढ़ावा:-
बिल 2025 का एक और बड़ा मकसद हैं भारत की अपनी गेमिंग इंडस्ट्री को मजबूत करना| अब तक भारतीय बाजार में ज्यादातर विदेशी एप्स का कब्जा था| लेकिन इस बिल में साफ कहा गया हैं कि Make in India और Digital India पहल के तहत भारतीय कम्पनियों को खास प्रोत्साहन दिया जाएगा| सरकार स्थानीय गेम डेवलपर्स को टैक्स में छुट, लोन सुविधा और टेक्निकल सपोर्ट देगी ताकि वे अंतर्राष्ट्रीय स्तर के गेम बना सकें|
इसके अलावा, स्कुल और कॉलेज स्तर पर गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स से जुड़ी ट्रेनिंग को भी बढ़ावा दिया जाएगा| इससे भारतीय युवाओं को रोजगार मिलेगा और भारत की अपनी पहचान वाले गेम्स दुनिया भर में लोकप्रिय होंगे| लंबे समय में यह कदम भारत को गेमिंग हब बनाने की दिशा में अहम साबित हो सकता हैं|
15. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और मानक:-
ऑनलाइन गेमिंग सिर्फ भारत तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह एक वैश्विक उद्दोग हैं| कई बार यह देखा गया कि एक देश में बने नियम दुसरे देशों पर लागू नहीं हो पाते,जिससे धोखाधड़ी और विवाद की समस्याएं सामने आती हैं| बिल 2025 इस दिशा में भी काम करता हैं| इसमें प्रावधान हैं कि भारत अन्य देशों के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय गेमिंग मानक तैयार करेगा| इसका फायदा यह होगा कि विदेशी कम्पनियां भारत के नियमों का पालन करेंगी और भारतीय कम्पनियां भी विदेशों में आसानी से अपना कारोबार फैला सकेंगी| इससे भारतीय खिलाडियों को भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षित और बेहतर अनुभव मिलेगा|यह कदम भारत को न सिर्फ घरेलू स्तर पर बल्कि वैश्विक स्तर पर भी ऑनलाइन गेमिंग में आगे ले जाने वाला साबित होगा|
* निष्कर्ष ( Conclusion ):-
ऑनलाइन गेमिंग आज सिर्फ मनोरंजन का साधन नही रह गया हैं, बल्कि यह एक विशाल उद्दोग और करोड़ों युवाओं के जीवन का हिस्सा बन चूका हैं| इसी तेजी से बढ़ते प्रभाव को देखते हुए सरकार ने Promotion and Regulation of Online Gaming Bill 2025 ;लाने का फैसला किया हैं| इस बिल का उद्देश्य सिर्फ गेमिंग को क़ानूनी ढाँचे में लाना ही नही, बल्कि खिलाडियों की सुरक्षा, कम्पनियों की जवाबदेही और देश की आर्थिक प्रगति को भी सुनिश्चित करना हैं|
इस बिल ने जहाँ एक ओर धोखाधड़ी, लत और अवैध गतिविधियों पर लगाम कसने के लिए कड़े नियम बनाए हैं, वहीँ दूसरी ओर भारतीय गेमिंग इंडस्ट्री को प्रोत्साहित करने का भी काम किया हैं| टैक्सेशन से सरकार की आमदनी बढ़ेगी, यूजर प्रोटेक्शन सेल से खिलाडियों का भरोसा मजबूत होगा, और अंतर्राष्ट्रीय मानकों से भारत को वैश्विक पहचान मिलेगी| साथ ही, बच्चों और युवाओं के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए टाइम लिमिट और खर्च की सीमा जैसे उपाय भी बेहद सराहनीय हैं|
आने वाले समय में यह बिल भारतीय ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता हैं इससे न सिर्फ खिलाडियों को सुरक्षित और पारदर्शी अनुभव मिलेगा, बल्कि भारत को विश्वस्तर पर एक न्य गेमिंग हब बनने का अवसर भी मिलेगा| सही मायनों में यह कदम डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के सपने को एक न्य आयाम देगा|