भारतीय संस्कृति के दैनिक जीवन में उपयोगी सूत्र: ऐसे देशी हैक्स जो जीवन को सरल, सुंदर और स्वस्थ बनाते हैं

 *  प्रस्तावना  *

    भारत की संस्कृति सिर्फ मंदिरों, त्योहारों और धर्मो में नही सिमटी हुई| यह एक जीवन जीने की कला हैं, जिसमे हर छोटी-बड़ी बात के पीछे ज्ञान छुपा हैं- ऐसा ज्ञान जो पीढ़ियों से चला आ रहा हैं और आज भी उतना ही कारगर हैं|
हमारे दादा-परदादा जो बातें हमें सिखाते थे - जैसे समय पर उठना, जमीन पर बैठकर खाना, तांबे के लोटे का पानी पीना, तुलसी पूजा करना, घी का दीपक जलाना - यह सब सिर्फ परम्परा नही, बल्कि Daily Life Hacks हैं, जिनका आधार वैज्ञानिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा हैं| जो भारतीय संस्कृति से निकले हैं आज भी हमारी जिन्दगी में कर सकते हैं|

 
1. परम्परा: ब्रम्ह्मुहुर्त में उठने की:-

  * ब्रम्ह्मुहुर्त क्या होता हैं?

सुबह 4 बजे से 6 बजे के बीच का समय ब्रम्ह्मुहुर्त कहलाता हैं| हमारे ऋषियों ने इसे सबसे पवित्र और शक्तिशाली समय बताया हैं|

  * फायदे क्या हैं?

    मन शांत होता हैं.

    विचार स्पष्ट होते हैं.

    ध्यान व योग में ज्यादा असर होता हैं.

    पूरा दिन ऊर्जावान रहता हैं|

    मानसिक शांति.

    एकाग्रता में बढ़ोतरी.

    स्वास्थ्य में सुधार.

आज की माडर्न साइंस भी मानती हैं की सुबह उल्दी उठने से हार्मोन्स बैलेंस होते हैं और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता हैं|

2. सूरज को जल अर्पित करना:-

सुबह-सुबह सूर्य देव को जल चढ़ाने की परम्परा सिर्फ धार्मिक नही हैं| सूर्य की किरणों का शरीर पर सीधा प्रभाव पड़ता हैं - उसमे विटामिन - D मिलता हैं और मन में सकारात्मकता आती हैं| सूर्य देवता को जल अर्पित करना न केवल श्रद्धा का प्रतीक हैं बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी लाभकारी हैं|

* वैज्ञानिक कारण क्या हैं?

  सूर्य का प्रकाश बॉडी की जैविक घड़ी को सेट करता हैं|

  हार्मोन्स संतुलन में सहायता करता हैं|

  सूरज की पहली किरण से शरीर को विटामिन-D मिलता हैं|

  आँखों की रोशनी बढ़ती हैं|

  .  दिमाग शांत रहता हैं|

  जीवन में सकारात्मक आती हैं|

3. भोजन से पहले और बाद में हाथ को धोना:-

आज भी आप देखते होंगे की हमे डॉक्टर यही सलाह देते हैं, की खाने से पहले और बाद में हाथ धोना चाहिए| यह बात सुनते-सुनते हम बड़े हुए हैं, लेकिन यह केवल सफाई का नियम नही, बल्कि यह बीमारी और संक्रमण से बचाव का सीधा तरीका हैं| यह नियम भारतीय संस्कृति में सदियों पुराना हैं|

4. प्रार्थना-भोजन से पहले बैठकर:-

खाना खाने से पहले "अन्नदाता सुखी भव" या "ॐ सह नाववतु....." जैसे मन्त्र बोलने का रिवाज ध्यान केन्द्रित करने और खाने के प्रति कृतज्ञता दर्शाने का तरीका हैं|

यह करने से दिमाग को शांत करती हैं और पाचन शक्ति को बहतर बनाती हैं|

जमीन पर बैठकर खाना सिर्फ आदत नही, यह हमारे शरीर के लिए वरदान हैं|

 * फायदे क्या हैं?

   पाचन क्रिया तेज होती हैं.

   ज्यादा खाने से बचाव होता हैं.

   रीढ़ की हड्डी सीधी रहती हैं.

   मन एकाग्र होता हैं.

5. तांबे के लोटे का पानी पीना या बर्तन में रखा पानी पीना:-

  "ताम्रपत्र स्थितं वारि, रसायनमिति स्मृतम|" तांबे का पानी आज भी आयुर्वेद में अमृत समान माना गया हैं| तांबे के बर्तन में रातभर रखा हुआ पानी "ताम्र जल" कहलाता हैं| आयुर्वेद में इसे बहुत शक्तिशाली माना गया हैं|

* फायदे क्या हैं?

  शरीर से विषैले तत्व निकलते हैं.

  लीवर और किडनी की सफाई होती हैं.

  बाल और त्वचा में निखार आता हैं.

  इम्युनिटी सिस्टम मजबूत होता हैं.

6. सुबह -शाम- घी का दीपक जलाना:-

दीपक जलाने की परम्परा घर को प्रकाश देने के साथ-साथ ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक हैं| गाय के घी का दीपक विशेष फलदायक माना गया हैं| सुबह-शाम घर में देशी घी का दीपक जलाना केवल धार्मिक कर्मकांड नही, बल्कि एक ऊर्जा विज्ञान हैं|

 लाभ और फायदे क्या-क्या हैं?

   .  तनाव में राहत

   वातावरण में पॉजिटिव वाइब्स 

   माइंडफुलनेस बढ़ती हैं 

   घन और सुख में बृद्धि 

   ध्यान केन्द्रित करने में सहायक 

   वातावरण शुद्ध होता हैं 

7. पालथी मारकर भोजन करना:- 

भारतीय घरों में जमीन पर बैठकर खाने की परम्परा सिर्फ संस्कार नही, पाचन तन्त्र को बेहतर बनाने का तरीका हैं| जमीन पर बैठकर खाना सिर्फ आदत नही, यह हमारे शरीर के लिए एक वरदान हैं|

फायदे क्या हैं?

पाचन क्रिया तेज होती हैं|

ज्यादा खाने से बचाव होता हैं.

रीढ़ की हड्डी सीधी रहती हैं.

मन एकाग्र होता हैं.

शरीर संतुलित स्थिति में रहता हैं.

ज्यादा खाने से बचाव.

ब्लड सर्कुलेशन बेहतर.

8. तुलसी का पौधा लगाना और पूजन करना:-

तुलसी के पौधे को अक्सर भारतीय घरो में देखा जाता हैं और वो लोग तुलसी के पौधे को माता कहा जाता हैं| यह पौधा नही, बल्कि यह एक संजीवनी हैं| तुलसी को केवल धार्मिक महत्व नही, वैज्ञानिक मान्यता भी हैं, तुलसी का पौधा हवा को शुद्ध करती हैं और कई रोगों से बचाती हैं|

* लाभ और फायदे क्या हैं?

पर्यावरण को आक्सीजन 

रोग - प्रतिरोधक क्षमता बढ़े.

घर में सकारात्मक ऊर्जा.

तुलसी हवा को शुद्ध करती हैं.

वायरल और सर्दी-जुकाम में लाभकारी.

सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत.

9. दोनों हाथ जोड़कर - नमस्कार करना:-

हाथ जोड़कर केवल शिष्टाचार नही हैं - यह एक्यूप्रेशर पॉइंट्स को एक्टिव करता हैं और ऊर्जा का संचार करता हैं| जब हम नमस्ते करते हैं, तो ना सिर्फ हम सम्मान प्रकट करते हैं, बल्कि अपने अंदर की ऊर्जा को केन्द्रित करते हैं, बल्कि अपने अंदर की ऊर्जा को केन्द्रित करते हैं|

फायदे क्या हैं?

एक्यूप्रेशर पॉइंट्स एक्टिव होते हैं.

सकारात्मक भाव उत्पन्न होता हैं.

हाथ मिलाने से बचाव.

10. पैर छूना और आशीर्वाद लेना:-

यह एक ऐसी आदत हैं जो आज के समय में कम होती जा रही हैं लेकिन इसके पीछे गहरा संदेश हैं|

भारतीय संस्कृति में बड़ो के पैर छूना और उनसे आशीर्वाद लेना केवल एक रिवाज ही नही, बल्कि संस्कार, आदर और विनम्रता की मिसाल हैं| यह परम्परा हजारो साल पुरानी हैं,जो आज भी हमारे घर-परिवार, त्योहार और रिश्तों में जीवित हैं|

पैर छूने का मतलब क्या हैं?

जब कोई व्यक्ति बड़ो के पैर छूता हैं, तो वो उनके अनुभव, ज्ञान और उम्र का सम्मान करता हैं| यह सिर्फ एक शारीरिक क्रिया नही हैं, बल्कि झुककर अपने अहंकार को छोड़ने का प्रतीक भी हैं|

आशीर्वाद क्यों लिया जाता हैं?

बड़ो का आशीर्वाद सिर्फ शब्द नही होते हैं - खुश रहो, चिरंजीवी भाव, सफल हो - यह शब्द ऊर्जा से भरे होते हैं| ऐसा माना जाता हैं की जब बड़े अपने अनुभव और प्रेम से कोई शुभकामना देते हैं, तो वह सचमुच फल देती हैं|

कब पैर छूने चाहिए?

. सुबह उठकर माता-पिता के.

. किसी पूजा या धार्मिक कार्यक्रम में.

जब कोई बुजुर्ग या गुरु मिले.

विवाह, जन्मदिन या कोई विशेष अवसर पर.

जब आप कही अपने रिलेटिव के घर जाते हैं तब भी पैर छूने चाहिए.

11. सरसों या फिर नारियल के तेल से मालिश करना:-

सरसों या नारियल के तेल से पुरे शरीर की मालिश करने की परम्परा आयुर्वेद में वर्णित हैं| हर रविवार को तेल मालिश - भारतीय परम्परा सिर्फ शरीर के लिए नही, बल्कि दिमाग को भी शांत करती हैं|

लाभ और फायदे क्या हैं?

मांसपेशियों को राहत.

ब्लड सर्कुलेशन बेहतर.

शरीर में गर्मी का संतुलन.

त्वचा मुलायम होती हैं.

शरीर का रक्त संचार बेहतर होता हैं.

नींद अच्छी आती हैं.

हड्डियाँ मजबूत होती हैं.

12. शंख बजाना:-

शंख बजाना केवल धार्मिक क्रिया नही, बली ध्वनि चिकित्सा का हिस्सा हैं| शंख की आवाज कान, मस्तिष्क और फेफड़ो के लिए फायदेमंद होती हैं| घर में शंख बजाना एक तरह की साउंड थेरेपी हैं, इससे वातावरण की ऊर्जा बदलती हैं|

इसके लाभ क्या हैं?

कान, फेफड़े और मस्तिष्क को ऊर्जा.

नकारात्मक ऊर्जा दूर होती हैं.

ध्यान और मेडिटेशन में मदद.

13. ओम का जाप करना:-

ॐ का उच्चारण करने से मन शांत होता हैं, और मानसिक तनाव दूर होता हैं| आज विज्ञान भी मानता हैं की यह एक प्रकार का साउंड थेरेपी हैं|

लाभ क्या होता हैं?

एकाग्रता बढ़े.

स्ट्रेस कम हो.

ब्रेन वेव्स संतुलित.

14. नीम, हल्दी और आंवला का उपयोग:-

भारतीय रसोई में यह केवल मसाले नही, बल्कि प्राकृतिक औषधियां हैं|

इसके लाभ क्या हैं?

स्किन और बालों की रक्षा.

रोग-प्रतिरोधक क्षमता.

पेट और लीवर से जुडी समस्याएं दूर.

15. बाएं हाथ से पानी पीना वर्जित:-

भारतीय संस्कृति में दाएँ हाथ से खाना और पीना आदर और अनुशासन का प्रतीक हैं, और सफाई से भी जुड़ा हुआ हैं|

16. पैर धोना, सोने से पहले:-

दिनभर की धुल और थकावट को धो देना, अच्छी नींद और ताजगी के लिए जरुरी माना गया हैं|

17. सूरज ढलने के बाद झाड़ू न लगाना:-

इसका गहरा संदेश यह हैं की शाम के समय हमे आर्थिक संसाधनों को बचाना चाहिए, इसे धन की रक्षा का प्रतीक माना जाता हैं|

18. सोने से पहले गुनगुना दूध:-

रात में गुनगुना दूध पीने की परम्परा सिर्फ आदत नही, नींद और स्वास्थ्य का सीक्रेट हैं| गर्म दूध नीद लाने में मदद करता हैं और शरीर को आराम देता हैं| ये आज के विज्ञान से भी सिद्ध हैं|

फायदे क्या हैं?

नींद गहरी आती हैं.

हड्डियों को ताकत मिलती हैं.

मानसिक तनाव कम होता हैं.

19. बच्चो को रामायण, महाभारत और श्लोक सिखाना:-

यह सिर्फ धार्मिक ग्रन्थ नही, जीवन के मैनेजमेंट गुरु हैं| इसमे रिश्ते, रणनीति, त्याग, प्रेम और निति सब कुछ हैं|

फायदे क्या हैं?

नैतिकता का विकास.

भाषा और सोच में सुधार.

आत्मबल और आत्मविश्वास.

20. भोजन में पहला हिस्सा गाय का, और आखिरी हिस्सा कुत्ते के लिए:-

पुराने समय में यह नियम घर की करुणा और संवेदनशीलता का प्रतीक था| यह हमे सिखाता हैं की भोजन सिर्फ हमारे लिए नही, बल्कि पशु-पक्षियों का भी अधिकार हैं|

21. एक दिन का उपवास रखना:-

उपवास भारतीय संस्कृति में केवल धार्मिक कर्म नही, बल्कि डिटोक्स का तरीका हैं|

फायदे क्या हैं?

पाचन तन्त्र को आराम.

शरीर से विषैले तत्व बाहर.

आत्मनियंत्रण की भावना.

*  निष्कर्ष  *

   भारतीय संस्कृति की परम्परा आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी की पहले थी| आप भी इस देशी हैक्स को अपनाकर ऐसा जीवन जी सकते हैं जिसमे स्वास्थ्य, मानसिक शांति, और सामाजिक संतुलन हो|

*  Disclaimer  *

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