क्या प्राचीन भारत में विज्ञान और टेक्नोलॉजी क्या सच में मौजूद थी: रहस्यों से भरा भारत का इतिहास

 *  प्रस्तावना  *

    जब हम विज्ञान और टेक्नोलॉजी की बात करते हैं, तो हमारी नजर अक्सर पश्चिमी देशो की ओर जाती हैं| लेकिन क्या आपने कभी सोचा हैं की जिस भारत की धरती पर योग, शून्य और आयुर्वेद जन्मा, क्या वहां टेक्नोलॉजी और विज्ञान का आधार पहले से नही था| हमारा भारत एक ऐसा देश हैं जिसकी जड़े इतनी गहरी हैं की जव दुनिया के बाकि हिस्से जंगलो और गुफाओ में थे, तब हमारे यहाँ विश्वविद्यालय, surgery, astronomy और गणित पढ़ाया जाता था| आज जब हम विज्ञान और टेक्नोलॉजी की बात करते हैं| लेकिन क्या आपने कभी सोचा हैं की हमारे पुराने भारत में भी विज्ञान और टेक्नोलॉजी का स्तर इतना ऊंचा था की आज भी वैज्ञानिक उस पर रिसर्च कर रहे हैं| तो आईये जानते हैं की क्या सच में प्राचीन भारत में विज्ञान और टेक्नोलॉजी थी| या फिर यह सब सिर्फ धार्मिक और कहानियां थी|



1. आयुर्वेदा और चिकित्सा विज्ञान:-

आयुर्वेद हम सिर्फ जड़ी-बूटियों का ज्ञान नही हैं, बल्कि एक पूर्ण चिकित्सा विज्ञान हैं| चरक संहिता और सुश्रुत संहिता जैसे ग्रन्थ इस बात का प्रमाण हैं|

सुश्रुत को सर्जरी का जनक माना जाता हैं|

उन्होंने 300 से अधिक सर्जिकल उपकरणों का वर्णन किया|

सैकड़ो साल पहले प्लास्टिक सर्जरी, मोतियाबिंद का आपरेशन, और कृत्रिम अंग प्रत्यारोपण का विवरण हुआ था|

आपने कभी सोचा हैं की, जब दुनिया में औजार भी नही थे तब भारत में नाक-कान की सर्जरी होती थी|

2. गणित की महान खोजें:-

गणित के बिना विज्ञान अधुरा हैं और भारत गणित का जनक माना जाता हैं|

शून्य ( Zero ) की खोज आर्यभट्ट ने की थी|

दशमलव पद्धति और बीजगणित ( Algebra ) भी भारत की देन हैं|

भास्कराचार्य ने गुरुव्ताकर्षण का सिद्धांत न्यूटन से 500 साल पहले बताया|

त्रिकोणमिति, लघुगणक ( Logarithm ) और समकोण त्रिभुज जैसे सिद्धांत हमारे ग्रंथो में पहले से मौजूद थे|

यह सब दिखाता हैं की प्राचीन भारत में Pure Science का गहरा ज्ञान छिपा हुआ था|

3. खगोल विज्ञान ( Astronomy ):-

भारत के खगोलशास्त्रियों ने हजारो साल पहले ही जो बातें कही थीं, वो आज भी NASA मानता हैं|

आर्यभट्ट ने बताया की धरती गोल हैं और सूर्य की परिक्रमा करती रहती हैं|

वराहमिहिर ने भविष्यवाणी की थी की चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण कैसे और कब होंगे|

सूर्य सिद्धांत में ग्रहों की चाल, दिन-रात, ऋतू-परिवर्तन, यहाँ तक की ध्रुव तारे की स्थिति तक का वर्णन हैं|

खगोल विज्ञान के यह प्रमाण आधुनिक युग से सैकड़ों साल पहले तक के हैं|

4. इंजिनियरिंग और वास्तु शास्त्र:-

आज हम बिल्डिंग बनाते हैं कम्प्यूटर से, लेकिन वास्तु शास्त्र का ज्ञान हमारे ऋषियों के पास हजारो साल पहले था|

कोणार्क सूर्य मंदिर इस प्रकार बना हैं की सूरज की पहली किरण मूर्ति पर सीधे पड़ती हैं|

एलोरा की गुफाएं और अजंता की चित्रकारी बिना बिजली, बिना मशीनी औजारों के बनाई गयी थी|

ब्रिहदेश्वर मंदिर का शिखर 80 टन का हैं, जो इतनी ऊचाई पर बिना क्रेन के कैसे पहुचाया गया, यह आज भी रहस्य हैं|

यह सिर्फ कला नही, एक बेहतरीन टेक्निकल इंजीनियरिंग हैं|

5. उड़ने वाले यंत्र- विमान शास्त्र:-

विमानिका शास्त्र नामक ग्रन्थ में उड़ने वाले यंत्रो का उल्लेख मिलता हैं|

इसमें विमान के प्रकार, इधन, गति और यहाँ तक की दिशा बदलने की तकनीक तक का विवरण हैं|

कुछ लोग इसे काल्पनिक मानते हैं, लेकिन इसके टेक्निकल विवरण आधुनिक एयरोनाटिक्स से मेल खाते हैं|

यह संकेत करता हैं की हमारे पूर्वजो को उड़ान तकनीक की समझ थी|

6. सिन्धु घाटी सभ्यता के वैज्ञानिक उपलब्धियां:-

* मोहनजोदड़ो और हडप्पा सभ्यता में:-

Proper drainage system.

Grid - pattern वाली सड़के.

Public baths और जल संग्रहण की प्रणाली.

आज के स्मार्ट सिटी कांसेप्ट से बहुत मिलता-जुलता हैं|

7. रसायन शास्त्र ( Chemistry ):-

रस रत्नाकर, रसराज सुन्धरणी जैसे ग्रंथो में धातुओं को शुद्ध करने, औषधियां बनाने, और जहर निकालने की तकनीके दर्ज हैं|

भारत में सैकड़ो वर्ष पहले लोहे को जंग लगने से बचाने की तकनीक थी - जैसे दिल्ली का लौह स्तम्भ, जो 1600 साल से बिना जंग के खड़ा हैं|

यह कोई जादू नही हैं, Pure Chemical Science हैं|

8. पंचांग और समय की गणना :-

प्राचीन भारत में घड़ियाँ नही थी, मगर सूर्य घड़ी ( सूर्य यंत्र ) और जल घड़ी का इस्तेमाल करते थे लोग|

जंतर-मंतर जैसे खगोलीय यंत्रो से ग्रह-नक्षत्रो की चाल और समय का मापन बेहद सटीक किया जाता था|

इससे भारतीय पंचांग आज भी NASA के कैलेंडर से मेल खाता हैं|

9. मनोविज्ञान और योग:-

योग केवल शारीरिक व्यायाम नही हैं, बल्कि नर्वस सिस्टम, दिमाग और ऊर्जा केन्द्रों ( चक्रों ) को नियंत्रित करने की विधि हैं|

पतंजलि योग सूत्र में चेतना, मन और ध्यान की गहराई को समझाया गया हैं|

आज Neuroscience भी मानता हैं की मेडिटेशन से दिमाग की क्षमता बढ़ती हैं|

10. शिक्षा प्रणाली और प्राचीन विश्वविद्यालय :-

विदेशी विद्यार्थी भी भारत में पढ़ने आते थे|

शिक्षा का ऐसा सिस्टम पूरी दुनिया में नही था|

नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों में विज्ञान, गणित, खगोलशास्त्र, चिकित्सा, आर्किटेक्चर आदि पढ़ाया जाता था|

11. धातु विज्ञान और लोहे का चमत्कार:-

दिल्ली के कुतुबमीनार परिसर में स्थित लोहे का सतम्भ हजारो साल से बिना जंग लगे खड़ा हैं| यह आज भी मेटलर्जिकल के लिए रहस्य बना हुआ हैं की उस समय ऐसा स्टील कैसे बनाया गया|

12. अग्नि और ऊर्जा विज्ञान:-

वैदिक काल में हवन और यज्ञ के दौरान प्रयोग होने वाले पदार्थो से वातावरण को शुद्ध करने की वैज्ञानिक पुष्टि आज की रिसर्च से हो रही हैं| यज्ञ की अग्नि में डाले गये हर्बल पदार्थ वायुमंडल में सकारात्मक आयन छोड़ते हैं, जो हवा को स्वच्छ बनाते हैं|

** क्या सच में टेक्नोलॉजी थी?

अब सवाल उठता हैं - क्या सच में यह सब टेक्नोलॉजी थी, जवाब में हैं की - हाँ, लेकिन वह टेक्नोलॉजी आधुनिक उपकरणों वाली नही थी, मगर सैद्धांतिक और प्राकृतिक विज्ञान पर आधारित थी|

बिना मशीनी उपकरणों के यह सब बनाना असम्भव लगता हैं, लेकिन हमारे ऋषि-मुनियों ने प्रकृति, गणित और समय की गहरी समझ से ऐसा किया|

हाँ हमे उस टेक्नोलॉजी के भौतिक प्रमाण कम मिलते हैं क्योकि समय के साथ युद्ध, आक्रमण और चोरी से बहुत कुछ नष्ट गया|

*  निष्कर्ष  *

प्राचीन भारत में सिर्फ पूजा-पाठ, मंदिर और पुरानी कहानियों का देश नही था| यह एक वैज्ञानिक, बौद्धिक और खोजो का केंद्र था| जरूरत हैं की हम अपनी जड़ो को समझे, गर्व करें और उस ज्ञान को आज के विज्ञान से जोड़े| यह कोई पौराणिक चमत्कार नही था, बल्कि भारतीय ज्ञान परम्परा की गहराई और वैज्ञानिक सोच का प्रमाण हैं| दोस्तों अगर हमे भविष्य में कुछ बड़ा करना हैं तो अपने भूतकाल से सीखना जरुरी हैं की प्राचीन भारत में वुज्ञान था - और वह जुड़ा था मनुष्य, प्रकृति और ब्रम्हांड से, अब बारी हमारी हैं - उस ज्ञान को फिर से जगाने की|

*  Disclaimer  *

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