"इन्सान का जन्म: विज्ञान, इतिहास और आस्था की नजर से जीवन की उत्पत्ति"

 *  परिचय  *

   इन्सान का जन्म, यानी हमारी प्रजाति होमो सेपियन्स ( Homo sapiens ) का अस्तित्व, एक ऐसा विषय हैं जिसने हजारों सालों में मानव को जिज्ञासु बनाए रखा हैं| यह सवाल न केवल बिज्ञान की दुनिया में बल्कि धर्म, दर्शन और पुराण कथाओ में भी उतना ही महत्वपूर्ण हैं| आखिरकार, हम कहाँ से आएं? हमारा आरम्भ कब और कैसे हुआ? क्या हम धरती पर हमेशा से थे या किसी विकास प्रक्रिया ( Evolution ) का परिणाम हैं? 



  इस ब्लॉग में हम इंसान के जन्म को चार दृष्टिकोणों से समझेंगे:

वैज्ञानिक दृष्टिकोण ( विकासवाद, DNA, प्राचीन मानव )

एतिहासिक दृष्टिकोण ( सभ्यता और संस्कृति का उदय )

धार्मिक दृष्टिकोण ( हिन्दू, इस्लाम, ईसाई और अन्य आस्थाएं )

दार्शनिक दृष्टिकोण ( जीवन का उद्देश्य और 

1. वैज्ञानिक दृष्टिकोण: विकासवाद की कहानी:-

 (a). जीवन की शुरुआत:-  लगभग 4.5 अरब साल पहले पृथ्वी का जन्म हुआ| प्रारम्भिक काल में पृथ्वी पर जीवन नही था, केवल लावा, गैसें और जलवाष्प थे| करीब 3.8 अरब साल पहले समुद्रो में सरल जीवाणुओं ( Bacteria ) का निर्माण हुआ| यही जीवन की पहली सीढि थी|

करोड़ो साल में, प्राकृतिक चयन ( Natural Selection ) और विकासवाद ( Evolution ) की प्रक्रिया से ये साधारण जीव धीरे-धीरे जटिल पौधों, जानवरों और अंततः मानव में बदल गए|

जीवन की शुरुआत को लेकर कई सिद्धांत हैं - जैसे प्राइमार्डियल सूप थ्योरी, जिसमे कहा गया हैं की बिजली, अल्ट्रावॉयलेट किरणों और रासायनिक प्रतिक्रियाओं ने पहले कार्बनिक यौगिक बनाये| वहीँ हाइड्रोथर्मल वेंट थ्योरी मानती हैं कि जीवन समुद्र के गर्म खनिज स्रोतों से शुरू हुआ|

इस तरह, पृथ्वी पर जीवन एक अद्भुद रासायनिक और जैविक यात्रा का परिणाम हैं, जो आज भी विकसित हो रही हैं|

  (b). प्राणियों का विकास:-  विकासवाद ( Evolution ) के सिद्धांत के अनुसार, चार्ल्स डार्विन ने 1859 में बताया की सभी जीव-जन्तु प्राकृतिक चयन ( Natural Selection )के तहत समय के साथ विकसित होते हैं|

मछलियों से उभयचर ( Amphibians )

उभयचरों से सरीसृप ( Reptiles )

फिर स्तनधारी ( Mammals )

और अंत में प्राइमेट्स ( Primates )

  (c). इंसान का पूर्वज:- हमारे सबसे करीबी रिश्तेदार चिम्पैजी और बोनोबो हैं| लगभग 60-70 लाख साल पहले, अफ्रीका में एक प्राइमेट प्रजाति से हमारे पूर्वज अलग हुए|

Australopithecus ( 40-50 लाख पहले ) - सीधा खड़ा होकर चलना शुरू किया|

Homo habilis ( 20 लाख साल पहले ) - औजार बनाना शुरू किया|

Homo erectus ( 15 लाख साल पहले ) - आग का इस्तेमाल सीखा|

Homo sapiens ( लगभग 3 लाख साल पहले ) - आधुनिक इन्सान का जन्म हुआ|

2. एतिहासिक दृष्टिकोण: सभ्यता की शुरुआत:-

(a). शिकारी से किसान तक:- शुरुआत में इन्सान शिकारी और भोजन संग्रहकर्ता था| लगभग 10,000 साल पहले उसने खेती करना शुरू किया और स्थायी बस्तियाँ बसाई|

(b). पहली सभ्यताएं:- सिंधु घाटी सभ्यता ( इंडस वैली, 3300-1300 ईसा पूर्व )|

(c). भाषा और संस्कृति का उदय:- मानव ने भाषा विकसित की, कला बनाई, धर्म और सामाजिक संरचना का निर्माण किया| यही असली मायने में "मानव जन्म" का दूसरा चरण था - सिर्फ जीव नही, बल्कि सोचने-समझने वाला प्राणी|

3. धार्मिक दृष्टिकोण: आस्था की नजर से:-

(a). हिन्दू दृष्टिकोण:- हिन्दू धर्म में मनु और शतरूपा को पहले मानव माना गया हैं| पुराणों के अनुसार, ब्रम्हा ने उन्हें सृष्टी रचने के लिए उत्पन्न किया|

(b). इस्लामी दृष्टिकोण:- क़ुरान के अनुसार, आदम ( Adam ) और हव्वा ( Eve ) पहले इंसान थे, जिन्हें अल्लाह ने मिटटी से बनाया|

(c). ईसाई दृष्टिकोण:-  बाईबल के अनुसार, ईश्वर ने आदम और हव्वा को पहले इंसान के रूप में बनाया, जो एडम गर्दन में रहते थे|

(d). अन्य मान्यताएं:- 

बौद्ध धर्म - जीवन पुनर्जन्म के चक्र से चलता हैं|

ग्रीक मिथक - देवताओं ने मिटटी से इन्सान को गढ़ा|

4. दार्शनिक दृष्टिकोण: जीवन का उद्देश्य:-

इन्सान का जन्म केवल जैविक घटना नही, बल्कि यह प्रश्न भी उठाता हैं - हम क्यों हैं?

*  दार्शनिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो:

 अस्तित्ववाद कहता हैं - इन्सान अपने कर्मो और चुनाव से अर्थ पैदा करता हैं|

 आध्यात्मिक दृष्टिकोण कहता हैं - जीवन एक यात्रा हैं, आत्मा का विकास ही उद्देश्य हैं|

5. DNA: जीवन का ब्लूप्रिंट:-

(a). क्या हैं ये? :- DNA का पूरा नाम DeoxyriboNucleic Acid हैं|

यह एक ख़ास तरह का अणु ( Molecule ) हैं जो हमारे शरीर की हर कोशिका में मौजूद होता हैं और इसमें हमारे शरीर के निर्माण और कामकाज की पूरी जानकारी होती हैं|

इसको ऐसे समझते हैं -

जैसे किसी इमारत को बनाने के लिए नकशा ( Blueprint ) चाहिए, वैसे ही हमारे शरीर को बनाने के लिए ब्लूप्रिंट का काम करता हैं|



(b). इसकी खोज कैसे हुई थी? :- 

.  1869 - फ्रीडरिक माईशर ( Friedrich Miescher ) ने पहली बार DNA  जैसा पदार्थ खोजा और इसे "Nuclein" कहा|

.  1953 - जेम्स वाटसन ( James Watson ) और फ्रांसिस क्रिक ( Francis Crick ) ने DNA की डबल हेलिक्स संरचना ( Double Helix Structure ) खोजी|

.  इसके बाद इसके उपर रिसर्च ने पूरी दुनिया में जेनेटिक्स ( Genetics ) के क्षेत्र को जन्म दिया|

(c). DNA की संरचना :-  इसकी आकृति डबल हेलिक्स जैसी होती हैं, जो एक मुड़ी हुई सीढि ( Twisted Ladder ) की तरह दिखती हैं|

* इसमे मुख्य 3 घटक होते हैं:-

शुगर ( Sugar ) - डीऑक्सीराइबोज ( Deoxyribose )

फास्फेट ग्रुप ( Phosphate group ) - सीढी का ढ़ाचा बनाता हैं 

*  नाइट्रोजन बेस चार प्रकार के होते हैं: 

A - एडेनिन ( Adenine )

T - थाइमिन ( Thymine )

C - साइटोसिन ( Cytosine )

G - ग्वानिन ( Guanine )

   A हमेशा T के साथ और C हमेशा G के साथ जुड़ता हैं|

(d). DNA क्या कार्य करता हैं, इसका मुख्य कार्य क्या हैं? :- 

जेनेटिक जानकारी स्टोर करना - हमारे बालों का रंग, आँखों का रंग, त्वचा का रंग, ऊंचाई - ये सब यही तक करता हैं|

प्रोटीन बनाना - DNA से RNA और फिर Protein बनता हैं, जिससे हमारे शरीर की कोशिकाएं अपना काम करती हैं|

पीढ़ी दर पीढ़ी जानकारी देना - यह माता-पिता से बच्चो तक पहुँचता हैं, जिससे लक्षण आगे ट्रांसफर होते हैं|

(e). DNA और इन्सान का विकास:-

वैज्ञानिक इसका उपयोग करके इंसानों और जानवरों के रिश्ते पता करते हैं|

हमारे DNA का 98.99% हिस्सा चिम्पैजी के DNA से मेल खाता हैं, जिससे यह साबित होता हैं कि हमारे पूर्वज एक जैसे थे|

अध्ययन से यह भी पता चला हैं की आधुनिक इंसान के जीन में Neanderthai और Denisovan प्रजातियों का योगदान हैं|

(f). DNA टेस्ट का उपयोग:- 

*  आज के समय में इसकी जाँच कई क्षेत्रो में काम आता हैं:

अपराध जाँच (Forensic Science )

पितृत्व परिक्षण ( Paternity Test )

बीमारियों का पता लगाना ( Genetic Disorders )

वंशावली जानना ( Ancestry Test )

नई दवाओं का विकास ( Pharmacogenomics )

(g). DNA में बदलाव - म्युटेशन:-




इसके कोड में छोटे-छोटे बदलाव को म्यूटेशन ( Mutation ) कहते हैं|

ये अच्छे भी हो सकते हैं ( Adaptation ) और बुरे भी ( बीमारियों का कारण )|

उदहारण:- सिकल सेल एनीमिया, कैंसर इत्यादि म्यूटेशन से हो सकते हैं|

(h). DNA और भविष्य:-  विज्ञान अब DNA को एसिड करने की तकनीक CRISPR पर काम कर रहा हैं, जिससे हम भविष्य में: 

जन्म से पहले ही बीमारियों को खत्म कर सकेंगे 

इंसान की उम्र बढ़ा सकेंगे 

नई क्षमताओं वाले "डिज़ाइनर बेबी" बना सकेंगे|

6. आत्मा का जन्म और पुनर्जन्म - आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विश्लेषण:-



(a).  विज्ञान की दृष्टि:-  विज्ञान मानता हैं की इन्सान करोड़ो सालो में विकास ( Evolution ) की प्रक्रिया से बना| आदिम जीव से शुरू होकर, बंदर जैसे प्राणियों से इन्सान का रूप बना|

(b). इतिहास  का सबूत:- पुरातात्विक खुदाई में हमें प्राचीन मानव की हड्डियाँ, औजार और गुफा चित्र मिलते हैं, जो बताते हैं की जीवन लाखों साल पुराना हैं|

(c). धार्मिक मान्यता:-  हिन्दू पुराणों में बताया गया हैं की भगवान ब्रह्मा ने सृष्टी रची और मनु-शतरूपा से मानव जाति का शुरुआत हुई|



(d). DNA का रहस्य:- हमारे शरीर के DNA में हमारे पूर्वजों की पूरी कहानी छिपी हैं, जिससे वैज्ञानिक हमारे जन्म का पता लगाते हैं|

(e). आध्यात्मिक दृष्टिकोण:-  कई आस्थाएं मानती हैं की शरीर नश्वर हैं, लेकिन आत्मा अमर हैं और पुनर्जन्म लेती हैं|

*  निष्कर्ष  *

इन्सान का जन्म विज्ञान, इतिहास और आस्था- तीनो का संगम हैं| विज्ञान विकास की कहानी कहता हैं, इतिहास पुरातात्विक सबूत देता हैं और आस्था हमे आत्मा की अमरता का विश्वास दिलाती हैं| सच्चाई यह हैं की मानव उत्पत्ति का रहस्य आज भी पूरी तरह से उजागर नही हुआ हैं|

*  Disclaimer  *

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