"आयरन लेडी ऑफ इंडिया: इंद्रा गाँधी की अनसुनी कहानियां और किस्से"

*  परिचय  *

  भारत के इतिहास में इन्द्रागांधी एक ऐसा नाम हैं, जो शक्ति, दृढ़ता और विवाद का पर्याय बन चूका हैं| उन्हें "आयरन लेडी ऑफ इंडिया" कहा जाता हैं, क्योकि  उन्होंने अपने समय में भारत के निति और राजनीतियों को नए रूप में ढाला| लेकिन उनकी कहानी सिर्फ एक प्रधनमंत्री की नही, बल्कि एक ऐसी महिला की जिसने संघर्ष, राजनीती, प्रेम, विश्वासघात और सत्ता के उतार-चढ़ाव का सामना किया| वह एक ऐसी नेता थी उन्होंने युद्ध, आपातकाल, गरीबी-उन्मूलन और हरितक्रांति जैसे निर्णायक दौर से निकाला| 



आईये जीवन, उपलब्धियों और कुछ अनसुने तथ्यों पर गहराई से नजर डालते हैं|

1. प्रारम्भिक जीवन और शिक्षा:- 

  इन्द्रागांधी का जन्म 19 नवम्बर 1917 को इलाहाबाद ( अब प्रयागराज ) में एक राजनितिक परिवार में हुआ| उनके पिता पंडित जवाहरलाल नेहरु भारत के पहले प्रधानमन्त्री थे, और उनकी माँ कमला नेहरु एक स्वतंत्रता सेनानी थी| बचपन से ही इन्द्रागांधी का जीवन राजनीती से जुड़ा रहा|



  उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा आधुनिक स्कुल दिल्ली और बाद में पुणे के स्कूलों में प्राप्त की| इसके बाद उन्होंने शांति निकेतन पढाई की और फिर इंगलैंड के ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया| वहा उनके सोच और व्यक्तित्व का विकास हुआ, लेकिन स्वास्थ्य समस्यायों और माँ के देहांत ने उन्हें जल्दी भारत आने पर मजबूर कर दिया| 

2. स्वतंत्रा संग्राम में योगदान:-

    इन्द्रागांधी बचपन में ही स्वतंत्रा संग्राम आन्दोलन में शामिल हो गयी थी| उन्होंने "वानर सेना" नामक बाल संगठनो में सक्रिय भूमिका निभाई, जो स्वतंत्रा सेनानियों की मदद के लिए बनाया गया था| हालाँकि उन्होंने प्रत्यक्ष रूप से जेल की सजा नही कटी, लेकिन उनके परिवार के राजनैतिक गतिविधियों का उनपर गहरा असर पड़ा| 

3. व्यक्तिगत जीवन और विवाह:-

     इन्द्रागांधी का व्यक्तिगत जीवन, उनके राजनैतिक जीवन जितना ही रोचक और चुनौतियों से भरा था| वे सिर्फ एक राजनैतिक नेता ही नही बल्कि एक बेटी, पत्नी और माँ भी थी| उनका व्यक्तित्व बेहद दृढ आत्मनिर्भर और गहन सोच वाला था| विदेश में पढाई के दौरान इंद्रा की मुलाकात फिरोज गाँधी से हुई, जो पारसी समुदाय से थे| फिरोज गाँधी पत्रकार थे और राजनिति में भी रूचि रखते थे दोनों के विचार मिलते-जिलते थे और उनके बीच गहरी दोस्ती हुई जो आगे चलकर प्रेम में बदल गयी|



 उनका विवाह उस समय एक साहसिक कदम माना गया, क्योकि स्वतंत्रता आन्दोलन के बीच, अलग धर्म और पृष्ठभूमि के व्यक्ति से शादी करना आसान नही था| 1942 में, भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान, इंद्रा और फिरोज ने शादी की| इस विवाह ने मीडिया और समाज का ध्यान अपनी ओर खींचा, इन्द्रागांधी और फिरोज गाँधी के दो बेटे हुए राजीव गाँधी और संजय गाँधी हालाँकि उनका वैवाहिक जीवन सरल नही रहा| फिरोज गाँधी स्वतंत्र विचारो के व्यक्ति थे और इसलिए कई बार उनके विचार इंद्रा या नेहरु के राजनीतिक रुख से मेल नही खाते थे| इसलिए समय के साथ उनके और इंद्रा के रिश्तो में तनाव आने लगा|

*  विवाह के बाद की परिस्थियाँ:-  राजनितिक व्यवस्तताओ के बावजूद इंद्रा अपने बच्चो के प्रति बेहद स्नेही थी| उन्होंने अपने बेटों को स्वतंत्र सोच और जिम्मेदारी का महत्व सीखाया| उनके बड़े बेटे राजीव गाँधी ने भारत के प्रधानमन्त्री के रूप में कार्य किया जबकि छोटे बेटे संजय गाँधी आपातकाल के दौरान राजनीती में सक्रिय रहें| 



   फिरोज गाँधी का 1960 में निधन हो गया  उस समय इंद्रा सिर्फ 42 वर्ष की थी| पति के मृत्यु ने उनके जीवन को गहरे स्तर पर प्रभावित किया, लेकिन उन्होंने खुद को संभाला और पूरी तरह राजनिति को समर्पित कर दिया| इस घटना के बाद, उन्होंने खुद को पहले से ज्यादा सक्रिय सशक्त और दृढ बनाया| 4. राजनीतीक सफर की शुरुआत:- 

   इंद्रा गाँधी के पिता नेहरु के प्रधानमन्त्री कार्यकाल के दौरान अनौपचारिक सलाहकार के रूप में कार्य किया| 1964 में नेहरु के बाद, लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमन्त्री बने और उन्होंने इंद्रा गाँधी को सुचना और प्रसारण मंत्री बनाया| 1966 में शास्त्री जी की आकस्मिक मृत्यु के बाद पार्टी ने उन्हें प्रधानमन्त्री बना दिया| 



5. प्रधानमन्त्री के रूप में उपलब्धियां:- 

(क). हरितक्रांति ( Green Revolution ):- इन्द्रागांधी के कार्यकाल में भारत ने हरितक्रांति की शुरुआत कि, जिससे देश में खाद्यानं उत्पादन में भारी बृद्धि हुई| यह कदम भारत को अनाजों की आयान पर निर्भरता पर मुक्त करने में सहायक सिद्धि हुआ|

(ख). बांग्लादेश का निर्माण:- 1971 में भारत पाक युद्ध में इन्द्रागांधी ने निर्णायक भूमिका निभाई| इस युद्ध के बाद पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र हुआ| इस जीत ने उन्हें विश्व राजनीति में एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित किया|



(ग). अंतरिक्ष और विज्ञान:- उनके नेतृत्व में भारत ने अंतरिक्ष कार्यक्रमों में प्रगति की, जैसे उपग्रह प्रक्षेपण और ISRO की मजबूती|

6. विवाद और आलोचनाएँ:-

(क). आपातकाल ( 1975-1977):- 25 जून 1975 को इंदिरा गाँधी ने देश में आपातकाल लागू किया| इस दौरान नागरिक स्वतंत्रताओं पर पाबंदी लगी, विपक्षी नेताओं को जेल में डाला गया, और मीडिया पर सेंसरशिप लागू हुई| इसे उनके राजनितिक करियर का सबसे विवादित फैसला माना जाता हैं|

(ख). नसबंदी अभियान:- आपातकाल के दौरान जनसंख्या नियंत्रण के लिए बड़े पैमाने पर नसबंदी अभियान चलाया गया, जिससे जनता में नाराजगी फैली|

7. सत्ता में वापसी और पंजाब संकट:- 

  1977 में चुनाव हारने के बाद 1980 में इंदिरा गाँधी ने फिर से सत्ता में वापसी की| लेकिन पंजाब में उग्रवाद और खालिस्तान आन्दोलन ने देश को हिला दिया, 1984 में उन्होंने ऑपरेशन ब्लू स्टार का आदेश दिया, जिसमे स्वर्ण मंदिर से उग्रवादियों को बाहर निकाला गया| एस कार्यकाल के बाद उनकी अपनी ही सुरक्षा टीम के सिख अंगरक्षकों ने 31 अक्टूबर 1984 को उनकी हत्या कर दी|

8. इंदिरा गाँधी का व्यक्तित्व:-

  इंदिरा गाँधी का व्यक्तित्व बेहद मजबूत, निर्णायक और करिश्माई था| वह अपने फैसलों पर अडिग रहती थी, चाहे इसके लिए उन्हें कितनी भी आलोचना का सामना क्यों न करना पड़े| उनके पहनावे, बात करने का तरीका और जनता से जुड़ने की क्षमता ने उन्हें खास बनाया|

9. इंदिरा गाँधी के अनसुने तथ्य:- 

.   वन्यजीव संरक्षण प्रेमी - उन्होंने 'प्रोजेक्ट टाइगर' की शुरुआत की|

.  विदेश नीति की मास्टर - गैर- गुट आन्दोलन (NAM) में भारत की स्थिति मजबूत की|

मजबूत महिला छवि - दुनिया की पहली ऐसी महिला नेता बनीं, जिन्हें युद्ध में निर्णायक जीत का श्रेय मिला|

पुस्तक प्रेमी - उन्हें किताबें पढ़ने और बागवानी का शौक था|

वैज्ञानिक दृष्टिकोण - तकनीकी और औद्योगिक विकास के लिए उन्होंने कई नीतियाँ बनाई|

*  निष्कर्ष  *

   इंदिरा गाँधी का जीवन भारतीय राजनीति का एक जटिल और प्रेरणादायक अध्याय हैं| उन्होंने भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई, लेकिन कुछ निर्णयों के कारण आलोचना भी झेली| वे न सिर्फ एक नेता थी, बल्कि एक साहसी महिला थीं, उन्होंने कठिन समय में देश को संभाला|

*  Disclaimer  *

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