* प्रस्तावना *
धरती का संतुलन बनाए रखने में पेड़ों की भूमिका सबसे अहम हैं| यह केवल ऑक्सीजन देने वाले जीवित प्राणी नहीं हैं, बल्कि पुरे इकोसिस्टम की रीढ़ हैं| 2025 में जब पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन और प्रदुषण से जूझ रही हैं, तब पेड़ों का महत्व और भी बढ़ गया हैं| पिछले कुछ दशकों में लगातार पेड़ों की कटाई, शहरीकरण और औद्योगिक प्रदुषण ने पर्यावरण की हालत बिगाड़ दी थी, लेकीन अब जागरूकता के साथ लोग पेड़ों की ओर लौट रहे हैं|
भारत समेत पूरी दुनिया में ग्रीन मूवमेंट, "वन महोत्सव" और बड़े स्तर पर Tree Plantation Drives चलाए जा रहे हैं| नई-नई तकनीक से ड्रोन द्वारा जंगलों को फिर से उगाने की कोशिश हो रही हैं| आज पेड़ों को सिर्फ छाया और फल देने वाला नहीं, बल्कि जीवन को सुरक्षित रखने वाला सबसे सस्ता और असरदार "Natural Technology" माना जा रहा हैं| 2025 में यह चर्चा और भी तेज हैं कि अगर धरती को बचाना हैं तो हर इंसान को पेड़ों से दोस्ती करनी ही होगी|
1. ग्रीनहाउस गैस को कम करने में पेड़ों का योगदान:-
पेड़ कार्बनडाईआक्साइड को अपने अंदर खींचकर ऑक्सीजन छोड़ते हैं| यह प्रक्रिया आज के समय में "Climate Warrior" की तरह काम कर रही हैं| वैज्ञानिकों के अनुसार, एक परिपक्व पेड़ सालभर में लगभग 22 किलो कार्बनडाईआक्साइड सोख लेता हैं और 100 किलो ऑक्सीजन पैदा करता हैं|
सोचिए अगर हर इंसान के लिए कम-से-कम 5 पेड़ हो जाएँ तो प्रदुषण की समस्या काफी हद तक खत्म हो सकती हैं|
2025 की रिपोर्ट बताती है कि अकेले भारत में सालभर में 25 करोड़ पेड़ लगाए गए, जिससे वातावरण में कार्बन स्तर कम करने में मदद मिली| खासकर शहरी इलाकों में ग्रीन बेल्ट बनाना अब जरूरी हो गया हैं|
पेड़ों की सबसे बड़ी ताकत हैं - कार्बन सिंक बन जाना| यह वातावरण में मौजूद जहरीली गैसों को खींच लेते हैं और धरती का तापमान संतुलित करते हैं| यही कारण हैं कि संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक दुनिया भर में 1 ट्रिलियन पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा हैं| अगर यह पूरा हुआ तो धरती के तापमान को 1.5 डिग्री तक कम किया जा सकेगा|
2. हाल ही में हुए Tree Plantation Drives और उनका असर:-
भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकारें बड़े स्तर पर वृक्षारोपण अभियान चला रही हैं| 2025 में उत्तर प्रदेश ने 35 करोड़ पौधे लगाने का रिकॉर्ड बनाया| वहीँ महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में भी सामूहिक स्तर पर लाखों पेड़ लगाए गए|
दिलचस्प बात यह हैं कि अब पेड़ लगाने का ट्रिक भी बदल गया हैं| पहले सिर्फ गड्ढा खोदकर पौधा लगाया जाता था, लेकिन अब Miyawaki Technique का इस्तेमाल किया जा रहा हैं| इसमें छोटी जगह पर घने जंगल तैयार किए जाते हैं, जिससे ऑक्सीजन ज्यादा और प्रदुषण कम होता हैं|
कॉर्पोरेट कंपनियां भी अब CSR ( Corporate Social Responsibility ) के तहत पेड़ लगाने में निवेश कर रही हैं, स्कुल, कॉलेज और गांव के स्तर पर "हर घर एक पौधा" जैसे अभियान चल रहे हैं|
इसका असर भी साफ दिख रहा हैं-
* जिन जगहों पर 2-3 साल पहले पेड़ लगाए गए थे, वहां छोटे जंगल बनने लगे हैं|
* शहरी इलाकों का तापमान 2-3 डिग्री तक कम हुआ हैं|
* बारिश के पैटर्न में सुधार दिखाई दे रहा हैं|
3. पेड़: सस्ती और असरदार प्राकृतिक तकनीक:-
आज इंसान प्रदुषण कम करने के लिए करोड़ों रूपये खर्च कर रहा हैं| लेकिन अगर हम देखें तो पेड़ यह काम बिल्कुल मुफ्त कर रहे हैं|
* ये हवा को शुद्ध करते हैं|
* जहरीली गैसों को खींच लेते हैं|
* मिट्टी को उपजाऊ बनाए रखते हैं|
* पानी का स्तर बनाए रखते हैं|
* सबसे अहम- मानव जीवन को संतुलित रखते हैं|
2025 की स्थिति में जब दुनिया आधुनिक टेक्नोलॉजी पर निर्भर हो रही हैं, तब भी पेड़ ही एकमात्र ऐसी "Natural Technology" हैं जिनके बिना जीवन संभव नहीं हैं|
ड्रोन टेक्नोलॉजी से बीज बोकर जंगल उगाना, पानी बचाने के लिए स्मार्ट सिंचाई तकनीक और पौधों के लिए ऑर्गेनिक खाद - यह सब मिलकर पेड़ों को आधुनिक समय में भी प्रासंगिक बनाए हुए हैं|
4. तापमान नियंत्रित करना:-
पेड़ प्राकृतिक एयर कंडीशनर की तरह काम करते हैं| जब सूरज की तपिश धरती को गर्म करती हैं, तब पेड़ों की छाया आसपास के तापमान को कम कर देती हैं| वैज्ञानिकों के अनुसार, पेड़ों की छाया वाले इलाके का तापमान बिना पेड़ों की तुलना में 2-5 डिग्री कम होता हैं| यही कारण हैं कि गाँवों में गर्मियों में लोग बरगद और पीपल के पेड़ों के नीचे बैठकर ठंडक महसूस करते हैं| 2025 में जब ग्लोबल वार्मिंग की वजह से धरती का औसत तापमान लगातर बढ़ रहा हैं, तब पेड़ों की यह भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई हैं|
शहरों में "हिट आईलैंड इफेक्ट" देखने को मिलता हैं, जहाँ सीमेंट और डामर की वजह से तापमान बहुत बढ़ जाता हैं| लेकिन जब उन्ही इलाकों में सड़क किनारे पेड़ लगाए जाते हैं तो गर्मी काफी हद तक कम हो जाती हैं| यही वजह हैं कि सरकार अब शहरी इलाकों में ग्रीन बेल्ट और सिटी फ़ॉरेस्ट विकसित कर रही हैं| पेड़ न सिर्फ छाया देते हैं बल्कि वातावरण में नमी भी बनाए रखते हैं, जिससे हवा ठंडी और तजा रहती हैं|
5. मिट्टी को उपजाऊ बनाना:-
पेड़ों का एक बड़ा योगदान मिट्टी को उपजाऊ बनाए रखने में हैं| जब पेड़ों की पत्तियाँ गिरती हैं और सड़कर खाद बन जाती हैं, तो मिट्टी में प्राकृतिक उर्वरक तैयार होता हैं| यह खाद किसी भी केमिकल फ़र्टिलाइज़र से कहीं बेहतर और सुरक्षित होती हैं| इसके अलावा, पेड़ों की जड़ें मिट्टी को पकड़कर रखती हैं, जिससे कटाव रुकता हैं और भूमि का क्षरण नहीं होता| खासकर पहाड़ी इलाकों में पेड़ों का महत्व और बढ़ जाता हैं, क्योंकि वे भूस्खलन को रोकते हैं|
2025 में किसानों ने भी समझ लिया हैं कि खेतों के किनारे लगे पेड़ फसल के लिए वरदान हैं| नीम और बबूल जैसे पेड़ कीटनाशक का प्राकृतिक काम करते हैं| वहीँ फलदार पेड़ न केवल पर्यावरण संतुलन बनाए रखते हैं बल्कि किसानों के लिए अतिरिक्त आय का साधन भी बनते हैं|
अगर हम जंगलों को बचाएं और हर साल नए पेड़ लगाएं, तो मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहेगी| पेड़ों की जड़ें भूमिगत जल को भी सुरक्षित रखती हैं और मिट्टी की नमी को बनाये रखती हैं| इसलिए कहा जाता हैं - "पेड़ हैं तो धरती उपजाऊ हैं, और धरती उपजाऊ हैं तो जीवन सुरक्षित हैं|"
6. पानी का संरक्षण:-
पानी जीवन का आधार हैं और पेड़ पानी को सुरक्षित रखने का सबसे प्रभावी साधन हैं| जब बारिश होती हैं, तो पेड़ों की जड़े पानी को सोखकर जमीन के भीतर पहुंचती हैं| यह प्रक्रिया भूजल स्तर को बनाए रखने में मदद करती हैं| जिन इलाकों में पेड़ और जंगल ज्यादा होते हैं, वहां नदियाँ और तालाब भी सालभर पानी से भरे रहते हैं|
2025 की स्थिति में, जब कई जगह सूखे और जल संकट की समस्या बढ़ रही हैं, पेड़ों की भूमिका और भी अहम हो गई हैं| वैज्ञानिक मानते हैं कि जहाँ जंगल कट जाते हैं, वहां धीरे-धीरे नदियाँ भी सूखने लगती हैं| यही कारण हैं कि राजस्थान और बुंदेलखंड जैसे इलाकों में जल संकट से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाए जा रहे हैं|
पेड़ बारिश के पानी को रोकते भी हैं और धीरे-धीरे जमीन में उतारते हैं, जिससे बाढ़ की संभावना कम होती हैं| यानी पेड़ न केवल पानी बचाते हैं बल्कि पानी का संतुलन भी बनाए रखते हैं| अगर हर गांव और शहर के लोग पेड़ों को "पानी के संरक्षक" मानकर उनकी रक्षा करें, तो आने वाली पीढ़ियों को पानी की कमी कभी नहीं झेलनी पड़ेगी|
7. बारिश के पैटर्न पर असर:-
पेड़ और जंगल न सिर्फ धरती को हरा-भरा रखते हैं बल्कि बारिश के पैटर्न को भी प्रभावित करते हैं| वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि जिन इलाकों में घने जंगल होते हैं वहाँ बादल बनने और बारिश होने की संभावना अधिक रहती हैं| पेड़ वातावरण से नमी खींचकर हवा में छोड़ते हैं, जिसे ट्रांसपिरेशन कहा जाता हैं| यह नमी बादल बनाने में सहायक होती हैं| इसलिए अमेजन और भारत के पश्चिमी घाट जैसे क्षेत्रों को "रेन मशीन" भी कहा जाता हैं|
2025 में जब मौसम में अनिश्चितता और सुखा-बाढ़ की समस्या बढ़ रही हैं, तब पेड़ों की यह भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो गई हैं| भारत में कई इलाकों में जहाँ बड़े पैमाने पर पेड़ कटे, वहां बारिश की मात्रा घट गई| वहीँ जिन राज्यों ने बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाए, वहाँ वर्षा का पैटर्न सुधारने के संकेत मिले हैं|
पेड़ों को बचाना और नए जंगल लगाना सिर्फ हरा-भरा वातावरण बनाने के लिए नहीं हैं, बल्कि यह जलवायु और वर्षा चक्र को संतुलित रखने की कुंजी हैं| अगर आने वाले वर्षो में हम वनों को बचाने में सफल हुए तो न सिर्फ बारिश नियमित होगी बल्कि सुखा और अकाल जैसी समस्याएं भी काफी हद तक कम हो जाएँगी|
8. वन्य जीवों का घर:-
पेड़ और जंगल केवल इंसानों के लिए नहीं हैं, बल्कि यह करोड़ो जीव-जंतुओं और पक्षियों का भी घर हैं| गिलहरी से लेकर बाढ़ तक, और तोते से लेकर उल्लू तक, हर जीव का जीवन पेड़ों से जुड़ा हुआ हैं| अगर पेड़ न रहें तो इन सभी जीवों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा| यही कारण हैं कि पेड़ों को "जंगल का दिल" कहा जाता हैं|
2025 में वाइल्डलाइफ संरक्षण को लेकर दुनिया भर में आवाज उठ रही हैं| लगातार हो रही पेड़ों की कटाई से न केवल जानवरों का घर छिन रहा हैं बल्कि उनकी प्रजातियाँ भी लुप्त होने के कगार पर पहुचं रही हैं| भारत में एशियाई शेर, हाथी और कई दुर्लभ पक्षियों का जीवन सीधे तौर पर जंगलों पर निर्भर करता हैं|
जब जंगल सुरक्षित रहते हैं तो पूरी फ़ूड चेन संतुलित रहती हैं| पेड़ भोजन, आश्रम और सुरक्षा का साधन हैं| अगर इन्हें नष्ट कर दिया जाए तो इंसान के साथ-साथ पूरी प्रकृति असंतुलित हो जाएगी| इसलिए पेड़ बचाना केवल पर्यावरण का ही नहीं, बल्कि जैव विविधता और वन्य जीवन का भी संरक्षण हैं|
9. शहरी प्रदुषण से लड़ाई:-
आज के समय में सबसे बड़ी समस्या हैं - शहरी प्रदुषण| गाड़ियों का धुआं, फैक्ट्रियों से निकलने वाली गंदी गैसें और धुल ने हवा को जहरीला बना दिया हैं| ऐसे में पेड़ प्राकृतिक फिल्टर का काम करते हैं| ये हवा से कार्बनडाईआक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसों को खींच लेते हैं और बदले में ऑक्सीजन छोड़ते हैं|
2025 की रिपोर्ट बताती हैं कि जिन शहरों में पेड़ और ग्रीन बेल्ट ज्यादा हैं, वहां आयु प्रदुषण का स्तर तुलनात्मक रूप से कम हैं| उदाहरण के लिए, दिल्ली के प्रदुषण से निपटने के लिए "सिटी फ़ॉरेस्ट प्रोजेक्ट" शुरू किया गया हैं, जिसमें सड़क किनारे और खाली जगहों पर बड़े पैमाने पर पेड़ लगाए जा रहे हैं|
पेड़ न केवल धुल और धुंए को रोकते हैं बल्कि शोर प्रदुषण भी करते हैं| घने पेड़ साउंड बैरियर की तरह काम करते हैं और आसपास के वातावरण को शांत रखते हैं| अगर शहरी जीवन को स्वस्थ बनाना हैं तो हर शहर में "ग्रीन जोन" बनाना ज़रूरी हैं| पेड़ ही वह प्राकृतिक ढाल हैं जो हमें प्रदुषण से बचा सकते हैं|
10. मानसिक शांति और स्वास्थ्य:-
पेड़ सिर्फ पर्यावरण को नहीं बचाते, बल्कि इंसान के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाते हैं| रिसर्च बताती हैं कि जो लोग हरे-भरे वातावरण में समय बिताते हैं, उनमें तनाव और डिप्रेशन कम होता हैं| पेड़ों से निकलने वाली ताजा हवा और प्राकृतिक दृश्य इंसान के दिमाग को सुकून देते हैं|
2025 में जब शहरी तनाव और भागदौड़ से भरा हुआ हैं, तब पार्क और गार्डन लोगों के लिए राहत की जगह बन गए हैं| डॉक्टर भी अब "नेचर थेरेपी" की सलाह दे रहे हैं, जिसमें मरीजों को पेड़ों और हरियाली के बीच समय बिताने की सलाह दी जाती हैं|
वैज्ञानिकों ने पाया हैं कि पेड़ों के पास खड़े होने से ब्लडप्रेशर नियंत्रित रहता हैं और दिल की बीमारियों का खतरा कम होता हैं| यही नहीं, बच्चों के लिए हरे-भरे माहौल में खेलना उनकी एकाग्रता और रचनात्मकता को बढ़ाता हैं|
इसलिए पेड़ न केवल जीवन की साँस हैं बल्कि मानसिक शांति और स्वास्थ्य के भी रक्षक हैं| अगर हम सच में खुश और स्वस्थ रहना चाहते हैं तो हर इंसान को हरियाली से जुड़ना ही होगा|
11. रोजगार और आर्थिक योगदान:-
पेड़ केवल पर्यावरण के लिए ही नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण हैं| जंगल और पेड़ लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देते हैं| लकड़ी, फल, औषधीय पौधे और रबर जैसी चीजें करोड़ों की इंडस्ट्री को चलाती हैं|
2025 में भारत जैसे देश में फ़ॉरेस्ट-आधारित इंडस्ट्रीज का विस्तार हो रहा हैं| लाखों ग्रामीण परिवार आज भी जंगलों से मिलने वाले उत्पादों पर निर्भर हैं| शहद, गोंद, बांस और औषधीय पौधों की बिक्री से लोगों को आजीविका मिल रही हैं| इसके अलावा, इको-टूरिज्म भी एक बड़ा साधन बन चूका हैं, जिसमें हरे-भरे जंगल और नेशनल पार्क रोजगार का स्रोत बनते हैं|
पेड़ों का आर्थिक महत्व इतना हैं कि कई राज्य सरकारें अब "हेरिटेज ट्री पालिसी" लागू कर रही हैं, ताकि पुराने पेड़ों को बचाकर पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके| अगर पेड़ बचे रहेंगे तो अर्थव्यवस्था भी फलती-फूलती रहेगी|
12. सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व:-
भारत में पेड़ों का महत्व केवल पर्यावरण तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह हमारी संस्कृति और आस्था से भी जुड़ा हैं| प्राचीन काल से ही लोग पेड़ों की पूजा करते आये हैं क्योंकि यह जीवनदायी माने जाते हैं|
2025 में भी भारत गाँवों में पीपल और बरगद के पेड़ के नीचे लोग इकट्ठा होकर धार्मिक और सामाजिक कार्य करते हैं| यह परंपरा न केवल आस्था का प्रतीक हैं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये पेड़ वातावरण को शुद्ध करते हैं|
त्योहारों और व्रत-उपवास में भी पेड़ों का विशेष स्थान हैं| तुलसी पूजन और आंवला नवमी जैसे पर्व इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हैं| यह संस्कृति हमें सिखाती हैं कि पेड़ केवल छाया या फल देने वाले नहीं हैं, बल्कि यह हमारे जीवन संस्कृति के अभिन्न अंग हैं|
13. प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा:-
पेड़ और जंगल प्राकृतिक ढाल की तरह काम करते हैं| जब तेज हवाएं चलती हैं या बाढ़ आती हैं, तो पेड़ों की जड़ें और तना इनका असर कम कर देते हैं| तटीय इलाकों में मैग्रोव के जंगल सुनामी और चक्रवात के समय बड़ी सुरक्षा प्रदान करते हैं|
2025 में जलवायु परिवर्तन की वजह से तूफान और बाढ़ की घटनाएँ बढ़ रही हैं| लेकिन जहाँ घने पेड़ और जंगल मौजूद हैं, बहन इन आपदाओं का असर तुलनात्मक रूप से कम होता हैं| उदहारण के तौर पर, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में चक्रवात के समय मैग्रोव जंगलों ने गावों को बड़ी तबाही से बचाया|
पेड़ मिट्टी को बांधकर भूस्खलन से भी सुरक्षा देते हैं| पहाड़ी क्षेत्रों में जंगल कटने से भूस्खलन बढ़ा हैं, जबकि जहाँ पेड़ ज्यादा हैं, वहाँ जमीन स्थिर रहती हैं| इसलिए पेड़ों को प्राकृतिक रक्षक भी कहा जा सकता हैं|
14. आधुनिक तकनीक और वृक्षारोपण:-
2025 में पेड़ों को बचाने और लगाने के लिए आधुनिक तकनीक का भी इस्तेमाल हो रहा हैं| ड्रोन से बीज बोने की तकनीक, मियावाकी मेथड से छोटे जंगल बनाना और स्मार्ट सिचाई प्रणाली इसके उदहारण हैं|
अब सरकारें और NGOs बड़े पैमाने पर "डिजिटल ट्री ट्रैकिंग" कर रही हैं, जिससे पता चलता हैं कि कौन-सा पेड़ कहाँ लगाया गया और वह कितना बड़ा हो रहा हैं| कॉर्पोरेट कंपनियां भी CSR के तहत हरियाली बढ़ाने में योगदान दे रही हैं|
तकनीक ने पेड़ लगाने की प्रक्रिया को आसान बना दिया हैं| आज गाँवों और शहरों में ग्रीन बेल्ट बनाने के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाए जा रहे हैं| अगर इंसान और तकनीक मिलकर काम करें तो आने वाले वर्षों में धरती फिर से हरी-भरी हो सकती हैं|
15. भविष्य की पीढ़ियों के लिए जिम्मेदारी:-
पेड़ लगाना केवल आज का काम नहीं बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए जिम्मेदारी हैं| जो पेड़ हम आज लगाएँगे, वह आने वाले 20-30 साल बाद असली छाया, ऑक्सीजन और फल देंगे| इसलिए यह आने वाली पीढ़ी के लिए हमारा उपहार हैं|
2025 की स्थिति हमें यह सिखाती हैं कि अगर हमने अभी कदम नहीं उठाए, तो बच्चे एक ऐसी दुनिया में जीने को मजबूर होंगे जहाँ हवा शुद्ध नहीं होंगी, पानी कम होगा और धरती बंजर हो जाएगी| इसलिए हर व्यक्ति को यह संकल्प लेना होगा कि वह हर साल कम-से-कम एक पेड़ जरुर लगाएगा और उसकी देखभाल करेगा|
पेड़ हमारी साँस, हमारी छाया और हमारी सुरक्षा हैं| इन्हें बचाना केवल पर्यावरण प्रेम नही बल्कि जीवन इक्षा हैं| भविष्य की पीढ़ियों को हरा-भरा और सुरक्षित वातावरण देना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी हैं|
* निष्कर्ष:-
पेड़ केवल हरे-भरे पौधे नहीं हैं, बल्कि जीवन की आत्मा हैं| इंसान, जानवर, पक्षी, धरती और यहाँ तक कि जलवायु - सबका अस्तित्व पेड़ों पर ही निर्भर करता हैं| 2025 में जब पूरी दुनिया जलवायु संकट, प्रदुषण, ग्लोबल वार्मिंग और पानी की कमी जैसी चुनौतियों का सामना कर रही हैं, तब यह और भी स्पष्ट हो गया हैं कि यदि पेड़ बचेंगे, तभी जीवन बचेगा|
पेड़ों के बिना हम ऑक्सीजन की एक-एक साँस के लिए तरसेंगे| मिट्टी बंजर हो जाएगी, नदियाँ सुख जाएँगी, गर्मी असहनीय हो जाएगी और प्राकृतिक आपदाएँ लगातार बढ़ती चली जाएँगी| लेकिन अच्छी बात यह हैं कि समाधान भी हमारे हाथ में हैं| अगर हर इंसान यह संकल्प ले कि वह हर साल कम-से-कम एक पेड़ लगाए और उसकी देखभाल करे, तो धरती को फिर से हरियाली से भरना बिल्कुल असंभव नहीं हैं|
आज सरकारें, सामाजिक संस्थाएं और आम लोग मिलकर वृक्षारोपण अभियान चला रहे हैं| "एक व्यक्ति - एक पेड़" का विचार धीरे-धीरे एक आंदोलन का रूप ले रहा हैं| हमें यह समझना होगा कि पेड़ लगाना ही काफी नहीं, बल्कि उनकी देखभाल करना भी उतना ही ज़रूरी हैं|
पेड़ हमें जीवन देते हैं और बदलें में केवल प्यार और सुरक्षा चाहते हैं| यह हमारा कर्तव्य हैं कि हम उन्हें काटने के बजाय बचाएं| अगर हम आज से ही इस दिशा में गंभीर हो जाएँ, तो आने वाली पीढियां हमें धन्यवाद देंगी|
अंततः धरती को बचाने का सबसे आसान और सच्चा उपाय यही हैं - पेड़ लगाओं, पेड़ बचाओं, जीवन बचाओं|