गुमनाम विज्ञान: वो थ्योरीज और विचार जो पूरी तरह अस्वीकार कर दिए गए हैं

 *  परिचय  *

  विज्ञान की गलियों में खोए हुए विचार विज्ञान हमेशा सटीक उत्तर नही देता, यह सवाल और संशोधन की एक प्रक्रिया हैं| इतिहास बताता हैं की कई ऐसे विचार आए जिन्होंने अपने समय में सम्मान, प्रसिद्धि और कभी-कभी अधिकार भी पाया - फिर अचानक वे गायब हो गए| कुछ खारिजी सिद्धांत विस्मृति में चले गए, कुछ को धोखाधड़ी के तौर पर बेनकाब किया गया, और कुछ को बेहतर उपकरणों व नए प्रयोगों ने गलत साबित कर दिया| इन्हे मै यहाँ "गुमनाम विज्ञान" कहूँगा - सिद्धांत जो एक वक्त में रीढ़ की हड्डी जैसा माना गया, मगर अंततः स्वीकार्य विज्ञान की श्रेणी से बाहर हो गये| इस ब्लॉग में हम न सिर्फ इन थ्योरीज का इतिहास देखेंगे बल्कि समझेंगे कि क्यों वे अस्वीकार हुई, इनके पीछे की सामाजिक-राजनीतिक पृष्ठभूमि क्या थी और हम उनसे क्या सीख सकते हैं|



1. फ्लोजिस्टन थ्योरी ( Phlogiston Theory ):-



(क). क्या दावा था:-  17वीं - 18वीं सदी में रसायनशास्त्रियों ने माना कि ज्वलनशील पदार्थो में 'फ्लोजिस्टन' नामक एक तत्व होता हैं जो जलने पर निकल जाता हैं| यह आग और दहन की व्याख्या का प्रमुख तरीका था|

(ख). क्यों ख़ारिज हुई:-  एंटोइन लैवोइसियर और अन्य वैज्ञानिकों के प्रयोगों ने दिखाया कि दहन आक्सीजन के साथ रासायनिक संयोजन हैं -

फ्लोजिस्टन की कोई जरूरत नही| लैवोइसियर की खोज ने आधुनिक रसायन विज्ञान की आधारशिला रखी|

* सीख:- सहज व्याख्याएं आकर्षक होती हैं, पर प्रमाण सिद्धांतो को बदल देते हैं|

2. कैलरिक थ्योरी ऑफ हीट ( Caloric Theory ):-

(क). क्या दावा था:-  गर्मी एक अदृश्य द्रव ( कैलरिक ) हैं जो वस्तुओं में मौजूद होता हैं और बहता हैं|

(ख). क्यों ख़ारिज हुई:- जेम्स जुल के प्रयोगों और थर्मोडाईनॅमिक्स के विकास ने दिखाया कि गर्मी ऊर्जा का रक रूप हैं ( मेकैनिकल कार्य से जुड़ा ) द्रव नहीं|

(ग). सीख:-  सिद्धांत जो सरल प्रतीत होते हैं, उन्हें भो कठोर मापन की जरूरत होती हैं|

3. भू-केन्द्रित ब्रह्माण्ड ( Geocentric Model ):-

(क). क्या दावा था:-  पृथ्वी ब्रह्माण्ड का केंद्र हैं - सूर्य व ग्रह इसके चरों ओर घुमने हैं|

(ख).  क्यों ख़ारिज हुई:-  कोपरनिकस, गैलीलियो और केप्लर के अवलोकन व गणनाओ ने हेलियोसेट्रिक ( सूर्य-केन्द्रित ) मॉडल सुझाया और बाद में पुष्टि हुई| कई सामाजिक और धार्मिक मतभेदों के बावजूद वैज्ञानिक प्रमाण भारी पड़े|

(ग). सीख:-  प्रमाण जब स्पष्ट हों तो दार्शनिक और धार्मिक तत्व भी पीछे हटते हैं - पर संघर्ष समय ले सकता हैं|

4. स्पॉन्टेनियस जेनेरेशन ( Spontaneous Generation ):-

(क). क्या दावा था:- जीव निर्जीव पदार्थ से स्वतः उत्पन्न हो सकते हैं ( जैसे सड़े मांस से कीड़े )|

(ख).  क्यों ख़ारिज हुई:-  रेडी और पाश्चर ने दिखाया कि जीवन केवल जीवन से उत्पन्न होता हैं - माइक्रोबियल जीवन के लिए ऊपरी-स्रोत आवश्यक हैं|

(ग). सीख:-  नियंत्रण और पुनरुत्पादन प्रयोगों का महत्व सर्वोपरि हैं|

5. ल्युमिनिफेरस ईथर ( Luminiferous Ether ):- 

(क). क्या दावा था:-  प्रकाश तरंगों के प्रसार के लिए एक सर्वव्यापी माध्यम - ईथर - आवश्यक हैं|

(ख). क्यों ख़ारिज हुई:-  माईकेलसन - मार्ली के प्रयोग ने ईथर-विंड का कोई सापेक्षता सिद्धांत (1905) ने ईथर की जरूरत मिटा दी|

(ग). सीख:-  परिकल्पनाएं भी प्रयोगों से परे नही हो सकतीं - मापन उपकरणों ने नया सच दिखा दिया| 6. फ्रीनोलाजी ( Phrenology ):-

(क).  क्या दावा था:-  खोपड़ी के आकार व उभार से व्यक्ति के चरित्र, बुद्धि और प्रवृतियों का अनुमान लगाया जा सकता हैं|

(ख). क्यों खारिज हुई:-  न्यूरोसाइंस व आधुनिक मनोविज्ञान ने दिखाया कि मस्तिष्क की जटिल कार्यप्रणाली का सिर की बाहरी बनावट से कोई सरल सम्बन्ध नही हैं| फ्रीनोलाजी का दुरूपयोग नस्लवाद और भेदभाव में भी हुआ|

(ग). सीख:-  वैज्ञानिक दावो का नैतिक और सामाजिक उपयोग भी जांचा जाना चाहिए|

7. पिल डाउन मैन ( Piltdown Man )- धोखाधड़ी:-

(क). क्या था:-  1912 में इंग्लैंड में एक खोपड़ी मिली जिसे मानव विकास की महत्वपूर्ण कड़ी माना गया|

(ख). क्यों ख़ारिज हुआ:-  1953 में डिटेक्शन व डेटिंग से पता चला कि यह मानव की खोपड़ी और किसी प्राइमेट के जबड़े का जालसाजी से मिलाया गया था| यह उदहारण बताता हैं की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा और राष्ट्रीय गर्व भी विज्ञान में धोखाधड़ी को जन्म दे सकते हैं|

(ग). सीख:- परीक्षण और स्वतंत्र पुष्टि अनिवार्य हैं - प्रसिद्धि पर भरोसा खतरनाक हो सकता हैं|

8. मार्शीयन कैनाल्स ( Martian Canals ):-



(क).  क्या दावा था:-  पर्सिवल लौवेल और कुछ अन्यों ने दावा किया कि तरह संरचनाएं हैं, संभवतः बुद्धिमान जीवन द्वारा बनाई गई|

(ख). क्यों ख़ारिज हुआ:-  बेहतर दूरबीन, स्पेस मिशन और उच्च-रिजाल्यूशन तस्वीरों ने दिखाना कि ये दृष्टि भ्रम या सरल भू-आकृतियाँ थीं, कोई कृत्रिम संरचना नहीं थी|



(ग). सीख:-  मनुष्य पैटर्न ( Pattern ) खोजने का स्वभाव रखता हैं - पर वैज्ञानिक पुष्टि आवश्यक हैं|

9. एन-रेज ( N-rays ):-

(क). क्या दावा था:-  1903 के आसपास फ़्रांसिसी वैज्ञानिक रेनाए Blondlot ने बताया कि एक नया प्रकार का विकिरण ( N-rays) मौजूद हैं| कई प्रयोगों और रिपोर्टो के बाद यह सनसनी फ़ैल गई|

(ख). क्यों ख़ारिज हुआ:-  अन्य प्रयोगशालाओं द्वारा पुनरुत्पादन असफल रहा, बाद में वैज्ञानिक लुई अरगोट द्वारा प्रदर्शित हुआ कि परिणाम पूर्वाग्रह और ऑब्जर्वर इफेक्ट के कारण थे - N-rays अस्तित्वहीन निकले|

(ग). सीख:-  परिणामों में ऑब्जर्वर का विश्वास और प्रत्याशा प्रभाव ( expectation bias ) बड़ा रोल निभा सकता हैं|

10. पैनस्पर्मिया के पुराने स्वरूप (early panspermia claims );-

(क). क्या दावा था:-  कुछ ने सुझाव दिया कि जीवन की बीज- दाणु ( complex life-seeds ) उल्काओं द्वारा पृथ्वी पर आए|

(ख). क्यों विवादस्पद / अस्वीकृत हुआ:-  छोटे सूक्ष्मजीवो के लिए भी अंतरिक्ष की कठोर परिस्थितियां चुनौतीपूर्ण हैं, हालाँकि पैनस्पर्मिया का आधुनिक, सावधानीपूर्वक व परिमित रूप अभी भी वैज्ञानिक चर्चा में हैं, शुरूआती आकस्मिक दावे और सरल रूप ख़ारिज हुए| 

(ग). सीख:-  कोई भी विचार स्वीकार करने से पहले परिस्थितियों की भौतिक वास्तविकता परखें|

11. पालीवाटर (Polywater ):-



(क). क्या दावा था:-  1960s-70s में वैज्ञानिकों ने सूचित किया कि पानी एक तरह की 'घनी' पालिमराईज्द अवस्था ले सकता हैं - "पालीवाटर" - जिसकी भौतिक गुणधर्म अलग थे|

(ख). क्यों ख़ारिज हुआ:-  बाद के विश्लेषणों ने दिखाया कि संदिग्ध परिणाम संदूषण और प्रयोगशाला त्रुटियों के कारण थे| पालीवाटर की अवधारणा टिक न सकी|

(ग). सीख:- परिक्षण की शुद्धता और प्रयोगशाला शुद्धता अनिवार्य हैं - नई चीजे अक्सर त्रुटियों की ओट में छिपी होती हैं|

12. कोल्ड फ्यूजन (Cold Fusion ) - 1989 :-

(क). क्या दावा हुआ:-  मार्टिन पोंस और स्टैनली फ्लेशमैंन ने कहा कि कमरे के तापमान पर न्यूक्लियर फ्यूजन सम्भव हैं और ऊर्जा का स्रोत सस्ता और असीम हैं|

(ख). क्यों अस्वीकरण/विवादित:-  दुनिया भर के पुनरुत्पादन सम्भव नही था और परिणामों को भरोसेमंद नही माना गया| बाद के वर्षो में ठंडे संलयन के अलग-अलग छोटे दावों का कभी ठोस सार्वभौमिक पुष्टिकरण नही हुआ| 

(ग). सीख:-  बहुत बड़े दावों के लिए बहुत ठोस, स्वतंत्र और बार-बार पुनरुत्पादन योग्य प्रमाण चाहिए|

13. वाइटीकल /वाइटलिज़्म ( Vitalism ):-

(क). क्या दावा था:-  जीवन को एक विशेष 'जीवन-शक्ति' या क्वालिटी द्वारा संचालित माना जाता था, जिसे purely physical and chemical laws से समझाया नहीं जा सकता| 

(ख). क्यों ख़ारिज हुआ:-  जैव रसायन व जैविक प्रक्रियाओं की खोज ने दिखाया कि जीवन की प्रक्रियाओं की खोज ने दिखाया कि जीवन की प्रक्रियाएं रासायनिक और भौतिक सिद्धांतो से समझी जा सकती हैं| वाइटलिज्म का शुद्ध रूप अस्तित्व खोता गया|

(ग). सीख:-  रहस्यमयी स्पष्टीकरण तब तक ठीक हैं जब तक उनके पीछे मापनशील तर्क न हों|

14. प्रीफर्मेशनिज्म ( Preformationism/ Homunculus idea):-

(क). क्या दावा था:-  शताब्दियों पहले कुछ वैज्ञानिकों व दार्शनिकों ने माना कि शुक्राणु या अंडाणु के भीतर छोटी पूरी तरह से विकसित मानव-प्रतिरूप (homunculus ) मौजूद हैं जो केवल बड़ा होता हैं|

(ख). क्यों ख़ारिज हुआ:-  माइक्रोस्कोपी, जीन-सम्बन्धी अनुसन्धान और भ्रूण विज्ञान ने दिखाया कि विकास कोशिकीय प्रक्रियाओं और जीनो द्वारा नियंत्रित होता हैं, न कि पहले से अस्तित्व में छोटे मानवों द्वारा|

(ग). सीख:-  तकनीक के विकास के साथ पूर्वाग्रह और अनुमान परिवर्तित होते हैं|

15. हेक्केल की रिकैपिचुलेशन थ्योरी (Recapitulation Theory ):-

(क). क्या दावा था:-  एर्नेस्त हेक्केल ने कहा कि "Ontogeny recapitulates phylogeny" - यानि भ्रूण विकास जीब विकासक्रम ( evolutionary history ) की पुनरावृति करता हैं|

(ख). क्यों विवादास्पद/अंशतः ख़ारिज हुआ:-  हेक्केल के कुछ चित्रों दावों में अतिश्योक्ति व डेटा-निर्धारक गलतियाँ पाई गई, आयुनिक विकासवादी जीवविज्ञान ने सिद्धांत को पूरी तरह सीधे तौर पर लागू न कर सकने के कारण संशोधित या ख़ारिज कर दिया |

(ग). सीख:- आकर्षक सिद्धांत भी सख्त प्रमाण की कसौटी पर टिकते हैं - आंशिक सत्य को भी अतिश्योक्ति से बचाना चाहिए|

16. होलो अर्थ ( Hollow Earth Theory ):-

(क). क्या दावा था:-  पृथ्वी अंदर से खोखली हैं और भीतर किसी तरह की दुनिया या सभ्यता हैं|

(ख). क्यों ख़ारिज हुआ:-  भूकम्पीय तरंगो ( seismic waves ), गुरुत्वाकर्षण मापन और भू-वैज्ञानिक सबूतों से पृथ्वी की परतदार और ठोस संरचना सिद्ध हुई|

(ग). सीख:-  प्रत्यक्ष भौतिक प्रमाण कल्पनाओं पर भारी पड़ता हैं|

*  निष्कर्ष  *

अस्वीकृत और गुमनाम थ्योरी विज्ञान की उस कहानी का हिस्सा हैं जिसमे जिज्ञासा, गलती और सुधार सब शामिल हैं| ये हमें सिखाती हैं की विज्ञान का रास्ता सीधा नही होता, बल्कि सवाल, प्रयोग और प्रमाण की भूल-भुलैया से गुजरकर ही हम सच्चाई तक पहुचते हैं|

और यही विज्ञान की असली ताकत हैं - यह बदलने और बेहतर होने से नही डरता|

*  Disclaimer  *

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