* प्रस्तावना *
भारत की संस्कृति इतनी विशाल और बहुत गहरी हैं, कि हर महीने कोई ना कोई त्योहार हमारे जीवन में रंग भरता हैं| लेकिन अगर बात करे हम अगस्त महीने की, तो यह महिना त्योहारों, व्रतों और धार्मिक आयोजनों से भरा होता हैं| इस महीने में श्रद्धा, प्रेम, भाईचारे और भक्ति का मेल दिखता हैं|
आईये हम जाने अगस्त 2025 के प्रमुख पर्वो और व्रतो के बारे में और उनके महत्व, पूजा विधि और उनसे जुड़ी मान्यता को जानेंगे|
1. एकादशी व्रत ( पुत्रदा एकादशी और अजा एकादशी):-
एकादशी हिन्दू धर्म में प्रत्येक चन्द्र मास के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को आने वाला एक अत्यंत पवित्र व्रत होता हैं, जिसे विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित किया जाता हैं| इस दिन श्रद्धालु उपवास रखते हैं और सात्विक भोजन करते हैं और चावल, लहसुन, प्याज जैसे तामसिक पदार्थो से परहेज करते हैं| एकादशी व्रत से पापों का नाश, मन की शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति मानी जाती हैं| धार्मिक मान्यता हैं की व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ है और भगवान विष्णु की कृपा पाने का सर्वोतम माध्यम होता हैं|
* तिथि:-
. पुत्रदा एकादशी - 5 अगस्त 2025 (शुक्रवार ).
. अजा एकादशी - 18 अगस्त 2025 ( सोमवार ).
* महत्व:-
. एकादशी व्रत हिन्दू धर्म में विशेष स्थान रखता हैं| यह व्रत श्रीहरी विष्णु को समर्पित होता हैं|
. पुत्रदा एकादशी उन दम्पत्तियो के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं जो संतान सुख की कामना रखते हैं|
. अजा एकादशी पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति के लिए उत्तम मानी जाती हैं|
* पूजा की विधि:-
. सूर्योदय से पहले स्नान कर व्रत का संकल्प लें|
. पुरे दिन उपवास रखिए या फिर फलाहार करिए|
. श्री विष्णु जी का मंत्र जाप करें और रात को जागरण करें|
* मान्यता:-
. कहा जाता हैं की जो सच्चे मन से इस दिन व्रत करता हैं, उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में शुभता आती हैं|
2. रक्षाबंधन - भाई - बहन के प्रेम का पर्व:-
रक्षाबंधन एक प्रमुख हिन्दू त्योहार हैं जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक होता हैं, जिसमे बहने उनके सुख-समृद्धि की कामना करती हैं जबकि भाई जीवनभर उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं| यह पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता हैं और इसे प्रेम, विश्वास और पारिवारिक एकता का प्रतीक माना जाता हैं| रक्षाबंधन केवल खून के रिश्तों तक ही सीमित नही हैं, बल्कि यह सामाजिक भाईचारे और आत्मीय सम्बन्धो को भी मजबूत करने वाला पर्व हैं|
* तिथि : 9 अगस्त 2025 (शनिवार)-
* महत्व:-
रक्षाबंधन भारत की वह पवित्र पर्व हैं, जो भाई - बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाता हैं| इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई उसकी रक्षा का वचन देता हैं|
* परम्परा:-
. बहन अपने भाई को तिलक लगाकर, फिर आरती उतरती हैं और राखी बांधती हैं|
. भाई फिर अपनी बहन को उपहार देता हैं और हमेशा रक्षा करने का संकल्प लेता हैं|
* सामाजिक महत्व:-
. यह पर्व ना केवल खून के रिश्तो तक सीमित हैं बल्कि अब रक्षाबंधन समाज में सौहार्द, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक बन चूका हैं|
3. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी - कृष्ण लीला का उत्सव:-
कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार हैं, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में भद्रपद मास की अष्टमी तिथि को मनाया जाता हैं| यह दिन श्रद्धा, भक्ति और उत्सव से भरपूर होता हैं, जिसमे भक्त उपवास रखते हैं, झाकियां सजाते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और मध्यरात्रि को श्रीकृष्ण जन्म की पूजा करते हैं| इस पर्व पर मन्दिरों और घरों में श्रीकृष्ण की लीलाओं का चित्रण किया जाता हैं और दही हांड़ी जैसे कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं| जन्माष्टमी, बुराई पर अच्छाई की जीत और प्रेम व धर्म की स्थापना का प्रतीक मानी जाती हैं|
* तिथि: 19 अगस्त 2025 ( मंगलवार ):-
* महत्व:-
. जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की स्मृति में मनाई जाती हैं| यह दिन अष्टमी तिथि को रात्रि 12 बजे कृष्ण के जन्म के समय पर यह उत्सव के रूप में मनाया जाता हैं|
* पूजा विधि:-
. व्रत रखा जाता हैं और फलाहार किया जाता हैं|
. रात में 12 बजे कृष्ण जन्म का विशेष पूजन होता हैं|
. झांकी, भजन, कीर्तन, माखन मिश्री का भोग और बालकृष्ण का पालना झुलाया जाता हैं|
* आध्यात्मिकता संदेश:-
. कृष्ण केवल एक भगवान नही हैं, बल्कि एक दर्शन हैं| उनका जीवन हमे बताता हैं की प्रेम, करुणा, नीति और कर्म के साथ कैसे जिया जाए|
4. आमवस्या - पितरों की तिथि:-
आमवस्या हिन्दू पंचांग के अनुसार हर माह की वह तिथि होती हैं जव चंद्रमा आकाश में दिखाई नही देता हैं, यानि की यह चन्द्र मास की अंतिम तिथि होती हैं| इस दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टीकोण से विशेष महत्व होता हैं, खासकर पितृ तर्पण, श्राद्ध और दान-पूण्य के लिए| लोग अमावस्या पर गंगा स्नान, व्रत, हवन और पितरो के लिए पूजा करते हैं ताकि उनके पूर्वजो की आत्मा को शांति मिले| कई स्थानों पर यह दिन नकारात्मक ऊर्जा से बचाव और आत्मशुद्धि के लिए उपयुक्त माना जाता हैं, और कुछ अमावस्या तिथियाँ जैसे मौनी, माघ या शनि अमावस्या विशेष रो से शुभ मानी जाती हैं|
* तिथि: 4 अगस्त 2025 (गुरूवार):-
* महत्व:-
. आमवस्या तिथि का सम्बन्ध पितरों से माना जाता हैं| यह दिन पितृ तर्पण, दान और श्राद्ध के लिए उपयुक्त हैं|
* पूजा और उपाय:-
. तिल, जल और अन्न का पिंडदान करें|
. गरीबों को अन्न-वस्त्र दान करें|
. पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं|
* मान्यता:-
. इस दिन पितरों को प्रसन्न करने से उनके आशीर्वाद से |
5. हरियाली तीज - स्त्री शक्ति का उत्सव:-
हरियाली तीज एक प्रमुख हिन्दू पर्व है जो सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता हैं और विशेष रूप से महिलाओ के लिए अत्यंत शुभ माना जाता हैं| यह त्योहार हरियाली, प्रेम और सौभाग्य का प्रतीक होता हैं, जिसमे विवाहिता महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र और सुखमय दाम्पत्य जीवन के लिए व्रत रखती हैं| इस दिन झूले, झूलने, मेहंदी लगाने, पारम्परिक गीत गाने और सोलह श्रृंगार करने की परम्परा होती हैं| हरियाली तीज विशेष रूप से उत्तर भारत, खासकर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में बड़े उत्साह से मनाई जाती हैं|
* तिथि: 7 अगस्त 2025 (रविवार):-
* महत्व:-
. हरियाली तीज शिव-पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक हैं| यह खासकर महिलाओं द्वारा मनाया जाता हैं जो अपने पति की लम्बी उम्र और सुखी दाम्पत्य जीवन की कामना करती हैं|
* परम्परा:-
. महिलाएं व्रत रखती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं|
. झुला झूलती हैं, लोकगीत गाती हैं|
. मंदिरों में जाकर शिव-पार्वती की पूजा करती हैं|
* सांस्कृतिक रंग:-
. हरियाली तीज केवल व्रत नही हैं, बल्कि नारी शक्ति, सौन्दर्य और प्रेम का प्रतीक बन चूका हैं|
6. नाग पंचमी - नाग देवता की पूजा करना:-
नाग पंचमी एक पारम्परिक हिन्दू त्योहार हैं जो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाया हैं और इस दिन नाग देवताओ की पूजा की जाती हैं| यह पर्व विशेष रूप से साँपों को दूध चढाने, नाग चित्र की पूजा करने और उनकी सुरक्षा व कृपा की कामना के लिए प्रसिद्द हैं| लोग इस दिन व्रत रखते हैं, घरो के द्वार पर नाग की आकृति बनाते हैं और कथा सुनते हैं| नाग पंचमी का महत्व धर्म, प्रकृति और जीवों के सम्मान से जुड़ा हुआ हैं, और यह ग्रामीण क्षेत्रो में विशेष उत्साह से मनाया जाता हैं|
* तिथि: 3 अगस्त 2025 (बुद्धवार):-
* महत्व:-
. नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती हैं| यह पर्व सर्पो के महत्व को दर्शाता हैं और विशेषकर खेती-किसानी से जुड़े समुदायों में विशेष उत्साह से मनाया जाता हैं|
* पूजा की विधि:-
. घर की दीवारों पर नाग की आकृति बनाई जाती हैं|
. दूध, चवाल और फुल अर्पित किए जाते हैं|
. नाग मंत्रो का जाप किया जाता हैं|
* वैज्ञानिक पक्ष:-
. सांप खेतों में फसल की रक्षा करते हैं, इसलिए उन्हें सम्मानित करने की परम्परा चली आ रही हैं|
* 2025 के अगस्त में और भी विशेष तिथियाँ:-
* 1 अगस्त को संकष्टी चतुर्थी
* 10 अगस्त को कामिका एकादशी
* 12 अगस्त को प्रदोष व्रत
* 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस
* 17 अगस्त को पूर्णिमा व्रत
* 25 अगस्त को अनंत चतुदर्शी
* निष्कर्ष *
अगस्त 2025 का महिना केवल कैलेंडर पर तारीखों का संग्रह नही हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति की जीवंतता और आध्यात्मिकता का प्रतीक हैं| हर पर्व, हर व्रत अपने भीतर कोई-न-कोई संदेश समेटे हुए हैं - चाहे वह भाई-बहन का प्रेम हो, ईश्वर भक्ति हो, या फिर पूर्वजो का सम्मान| हमे चाहिए की हम इन त्योहारों को सिर्फ रीति-रिवाज के तौर पर न मनाएं, बल्कि इनके पीछे छिपे वैज्ञानिक, सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व को समझे और आने वाली पीढ़ियों को भी समझाएं|
* Disclaimer *
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