* प्रस्तावना *
ताजमहल, जिसे दुनिया "प्यार की निशानी" के रूप में जानती हैं, केवल एक मकबरा नहीं बल्कि रहस्यों का भंडार भी हैं| आगरा के यमुना किनारे खड़ा यह स्मारक न सिर्फ भारत बल्कि पुरे विश्व की शान हैं| इसे मुगल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में बनवाया था, लेकिन इसके इतिहास में कई ऐसी बातें छिपी हैं जिन पर आज भी सवाल उठते हैं| खासकर इसके तहखाने और गुप्त कक्ष हमेशा से शोधकर्ताओं और इतिहासकारों के बीच चर्चा का विषय रहे हैं|
कहा जाता हैं कि ताजमहल के अंदर कई ऐसे कमरे और सुरंगें हैं जो आज भी आम जनता से छिपाई जाती हैं| ASI ( Archaeological Survey of India ) ने सुरक्षा कारणों से कई कमरों को बंद कर दिया हैं, लेकिन इन कमरों के बारे में तरह - तरह की कहानियां सुनने को मिलती हैं| कुछ लोग मानते हैं कि इनमे शाहजहाँ और मुमताज के असली अवशेष हैं, जबकि कुछ इतिहासकार इसे प्राचीन हिंदू मंदिर 'तेजो महालय' से जोड़ते हैं|
इस ब्लॉग में हम ताजमहल के तहखानों और उससे जुड़े मुख्य रहस्यों पर विस्तार से चर्चा करेंगे| हर बिंदु आपको न सिर्फ चौकाएगा बल्कि सोचने पर मजबूर भी करेगा कि क्या सच में ताजमहल सिर्फ एक मकबरा हैं या इसके पीछे छिपी कोई और अनकही कहानी|
1. ताजमहल का निर्माण और एतिहासिक पृष्ठभूमि:-
ताजमहल का निर्माण 1632 ईस्वी में शुरू हुआ और इसे बनने में लगभग 22 साल लगे| शाहजहाँ ने इसे अपनी प्रिय पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था, जिनका निधन प्रसव के दौरान हो गया था| इसे बनाने से 20,000 से अधिक कारीगरों ने मेहनत की थी और सफेद संगमरमर को राजस्थान में मकराना से लाया गया था| ताजमहल की भव्यता और नक्काशी आज भी कला और वास्तुकला का अद्भुत उदहारण हैं|
इतिहास में ताजमहल को शाहजहाँ के प्रेम का प्रतीक बताया जाता हैं, लेकिन इसके निर्माण को लेकर कई विवाद भी हैं| कुछ विद्वानों का मानना हैं कि शाहजहाँ ने इसे "तेजो महालय" नामक एक प्राचीन शिव मंदिर को कब्जे में लेकर बनाया| इस ट्रक को समर्थन देने के लिए कुछ लोग ताजमहल की संरचना, बंद कमरों और शिलालेखों का हवाला देते हैं| वहीँ, सरकार और अधिकतर इतिहासकार इसे पूरी तरह से मुगलकालीन स्मारक मानते हैं|
इस पृष्ठभूमि को समझना ज़रूरी हैं क्योंकि तहखानों का रहस्य भी इसी इतिहास से जुड़ा हुआ हैं| यदि यह सचमुच एक मंदिर था, तो तहखानों में उस युग की मूर्तियाँ या धार्मिक चिन्ह छिपे हो सकते हैं| अगर नहीं, तो यह महज शाहजहाँ का शाही मकबरा हैं| यही सवाल ताजमहल को और रहस्यमयी बना देता हैं|
2. ताजमहल के तहखानों की संरचना:-
ताजमहल के तहखाने आम लोगों के लिए खुले नहीं हैं| मुख्य मकबरे के नीचे कई छोटे-छोटे कमरे बने हुए हैं जिनमें से अधिकतर आज बंद कर दिए गए हैं| यह तहखाने लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से बने हैं और इनकी वास्तुकला देखकर पता चलता हैं कि ये बेहद मजबूत और योजनाबद्ध तरीके से बनाए गए हैं|
ASI ने सुरक्षा और संरक्षण के नाम पर इन कमरों को बंद रखा हैं| कहा जाता हैं कि इन तहखानों में नमी रहती हैं और वहां का वातावरण मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता हैं| लेकिन लोगो की जिज्ञासा यह हैं कि आखिर इतने सरे कमरे क्यों हैं और उन्हें आम जनता से छिपाया क्यों जाता हैं|
कई शोधकर्ताओं का मानना हैं कि ये तहखाने मूलतः भंडारण और सुरक्षा के काम आते थे| वहीँ, कुछ लोग इसे गुप्त धार्मिक अनुष्ठानों से जोड़ते हैं| इन तहखानों में जाने वाली सीढियाँ और दरवाजे अब सील कर दिए गए हैं, जिससे इसके एह्स्य और गहराते जा रहे हैं|
इस संरचना से साफ हैं कि ताजमहल केवल एक मकबरे से बढ़कर था| इन तहखानों के रहस्य को उजागर किए बिना ताजमहल की पूरी कहानी अधूरी लगती हैं|
3. बंद दरवाजों का रहस्य:-
ताजमहल में कई ऐसे दरवाजे हैं जो हमेशा के लिए बंद कर दिए गए हैं| ये दरवाजे तहखानों और गुप्त कमरों की ओर जाते हैं| सवाल यह उठता हैं कि इन्हें क्यों बंद किया गया, क्या सचमुच इनमें कोई खतरनाक चीज हैं या फिर कोई ऐसी सच्चाई छिपी हैं जिसे उजागर करना किसी के हित में नहीं हैं|
कुछ शोधकर्ताओं का दावा हैं कि दरवाजों के पीछे मूर्तियाँ और धार्मिक शिलालेख छिपे हैं, जो यह साबित कर सकते हैं कि ताजमहल वास्तव में एक प्राचीन मंदिर था| वहीँ, सरकार का कहना हैं कि इन्हे सरक्षा और संरचना की मजबूती को बनाए रखने के लिए बंद किया गया हैं|
इतिहासकार बताते हैं कि मुगल काल में भी कई गुप्त कक्ष बनाए जाते थे ताकि शाही परिवार के लोग अपनी निजी वस्तुएं या खजाना वहां रख सकें| इस दृष्टि से देखा जाए तो यह स्वाभाविक हैं कि ताजमहल में भी गुप्त दरवाजे और तहखाने हों|
लेकिन जब इन्हें खोलने की अनुमति नहीं मिलती, तो लोगों की कल्पनाएँ और अफवाहें और तेजी से फैलती हैं| यही कारण हैं कि ताजमहल के बंद दरवाजे आज भी सबसे बड़े रहस्यों में गिने जाते हैं|
4. तहखानों में नमी और वैज्ञानिक कारण:-
एक बड़ा तर्क जो सरकार और पुरातत्व विभाग देता हैं वह यह हैं कि ताजमहल के तहखाने हमेशा बंद इसलिए रखे जाते हैं क्योंकि वहां अत्यधिक नमी हैं| यमुना नदी के किनारे होने के कारण तहखानों में पानी की नमी आसानी से पहुँच जाती हैं, जिससे संगमरमर और पत्थर पर बुरा असर पड़ सकता हैं|
ASI के अनुसार यदि इन तहखानों को खोला गया तो वहां का वातावरण बिगड़ सकता हैं और संरचना को नुकसान पहुँच सकता हैं| वैज्ञानिक दृष्टि से यह बात सही भी लगती हैं क्योंकि ताजमहल की सुंदरता और मजबूती को बचाना बेहद ज़रूरी हैं|
लेकिन सवाल यह हैं कि अगर केवल नमी ही कारण हैं तो आधुनिक तकनीक से उसका समाधान क्यों नहीं किया जाता, क्या कोई और कारण हैं जो छिपाया जा रहा हैं, यहीं संदेह इन तहखानों को और रहस्यमयी बना देता हैं|
कई इतिहासकार मानते हैं कि नमी तो एक कारण हैं, लेकिन असली कारण तहखानों में मौजूद वे चीजें हैं जिनका सच उजागर करना शायद इतिहास की दिशा ही बदल दे| यही वजह हैं कि तहखाने हमेशा बंद कर दिए गए हैं और उन पर परदा डाल दिया गया हैं|
5. शाहजहाँ और मुमताज की असली कब्र का सवाल:-
ताजमहल के अंदर हम जो कब्र देखते हैं, वे वास्तव में नकली या "सजावटी कब्र" ( Cenotaph ) हैं| असली कब्रे तहखाने में हैं जिन्हें आम जनता देखने नहीं जा सकती| इसका कारण सुरक्षा बताया जाता हैं|
सवाल उठता हैं कि आखिर असली कब्रों को क्यों छिपाकर रखा गया हैं, यदि यह केवल एक मकबरा हैं तो जनता को असली कब्रें दिखाने में समस्या क्या हैं, कई शोधकर्ताओं का मानना हैं कि असली कब्रों के आसपास ऐसी चीजें मौजूद हैं जो यह साबित कर सकती हैं कि यह जगह पहले किसी और प्रयोजन के लिए बनाई गई थी|
कुछ मान्यताओं के अनुसार असली कब्रें खली भी हो सकती हैं| यानी शाहजहाँ और मुमताज के शव कहीं और दफनाएं गए हों| हालांकि इसके समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं हैं, लेकिन यह सवाल जरुर हैं कि इतनी भव्य इमारत बनवाने के बाद भी असली कब्रों को जनता से छिपाने का क्या कारण हैं|
यह रहस्य आज भी अनसुलझा हैं इसे लेकर लोगों की जिज्ञासा और बढ़ जाती हैं|
6. ताजमहल और तेजो महालय का विवाद:-
ताजमहल को लेकर सबसे बड़ा विवाद इसका मूल स्वरूप हैं| कुछ विद्वानों का मानना हैं कि ताजमहल वास्तव में एक प्राचीन शिव मंदिर "तेजो महालय" था, जिसे बाद में शाहजहाँ ने कब्जा कर मकबरे में बदल दिया| इस मत के अनुसार, ताजमहल की संरचना, इसके गुप्त कमरे और मंदिर जैसी आकृति इस बात का प्रमाण हैं| कुछ शोधकर्ताओं का कहना हैं कि तहखानों में बंद कमरों के भीतर आज भी हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ और शिलालेख मौजूद हैं|
दूसरी ओर, सरकार और पुरातत्व विभाग इन दावों को पूरी तरह नकारते हैं| उनके अनुसार ताजमहल शाहजहाँ की बेगम मुमताज महल की याद में बना एक मकबरा हैं और इसके मंदिर होने का कोई सबूत नहीं हैं| फिर भी, जब तहखाने बंद रहते हैं और शोधकर्ताओं को अध्ययन की अनुमति नहीं मिलती, तो लोगों की शंका और बढ़ जाती हैं|
यही विवाद ताजमहल को और अधिक रहस्यमयी बना देता हैं| अगर सचमुच तहखानों में तेजो महालय के प्रमाण मिल जाएँ, तो भारतीय इतिहास की धारा ही बदल सकती हैं| यह रहस्य आज भी गहराई में दफ्न हैं|
7. यमुना नदी और तहखानों का संबंध:-
ताजमहल यमुना नदी के किनारे स्थित हैं और इसका असर तहखानों पर साफ दिखाई देता हैं| तहखानों में हमेशा नमी बनी रहती हैं, क्योंकि यमुना का जलस्तर कभी ऊंचा कभी नीचा होता रहता हैं| यह नमी संगमरमर और पत्थर को नुकसान पहुंचा सकती हैं, इसलिए इन कमरों को आम जनता के लिए बंद रखा जाता हैं|
लेकिन कुछ इतिहासकारों का मानना हैं कि यमुना नदी के किनारे ताजमहल बनाने का कारण केवल सुंदरता नहीं था| दरअसल, यह जगह पहले से किसी धार्मिक या सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रही होगी| संभव हैं कि तहखानों से जुड़ी गुप्त सुरंगे नदी तक जाती हों और उनका उपयोग किसी समय विशेष प्रयोजन के लिए किया जाता हो|
कई लोककथाएँ कहती हैं कि तहखानों में पानी भर जाने के कारण वहां से अजीब ध्वनियाँ सुनाई देती हैं| ये ध्वनियाँ रहस्य को और गहरा बना देती हैं| अगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह सब नमी और ध्वनि प्रतिध्वनी ( Echo ) का खेल हैं, लेकिन आम जनता इसे रहस्यमय मानती हैं|
यमुना और तहखानों का यह जुड़ाव ताजमहल को केवल एक स्मारक नहीं बल्कि एक गूढ़ रहस्य बना देता हैं|
8. गुप्त सुरंगों का रहस्य:-
ताजमहल के तहखानों से जुड़ी एक और बड़ी चर्चा हैं गुप्त सुरंगों की| कहा जाता हैं कि ताजमहल के न्द्र ऐसे रास्ते हैं जो सीधे यमुना नदी या फिर आगरा किले तक जाते हैं| इन सुरंगों का उद्देश्य सुरक्षा और गुप्त आवाजाही था|
कुछ लोगों का मानना हैं कि मुगलकाल में ये सुरंगें शाही परिवार के सुरक्षित आवागमन और खजाने को छुपाने के लिए बनाई गई थीं| वहीँ, दूसरी मान्यता हैं कि ये सुरंगें ताजमहल को प्राचीन धार्मिक स्थल से जोड़ती थीं और उनका उपयोग अनुष्ठानों में होता था|
आज इन सुरंगों का अस्तित्व केवल किवदंतियों और कथाओं में मिलता हैं क्योंकि इनके प्रवेश द्वार बंद कर दिए गए हैं| अगर कभी इन सुरंगों को खोला जाए तो संभव हैं कि इतिहास का नया पन्ना सामने आए|
वैज्ञानिक दृष्टि से यह भी कहा जा सकता हैं कि ये सुरंगें केवल हवा और नमी को नियंत्रित करने के लिए बनाई गई हों| लेकिन जब तक इन्हें खोला नहीं जाता, तब तक गुप्त सुरंगें ताजमहल के सबसे बड़े रहस्यों में से एक बनी रहेंगी|
9. ताजमहल का वास्तु और गुप्त संकेत:-
ताजमहल की वास्तुकला इतनी अद्भुत हैं कि उसमें गुप्त संकेत छिपे होने का अनुमान लगाया जाता हैं| मकबरे की चारों मीनारें हल्की-सी बाहर की ओर झुकी हुई हैं, ताकि भूकंप या आपदा आने पर मुख्य गुंबद सुरक्षित रहे|
लेकिन कुछ शोधकर्ताओं का कहना हैं कि ताजमहल की पूरी संरचना किसी विशेष "मंडल" या "वास्तु" के आधार पर बनाई गई हैं| इसका केंद्र बिंदु तहखाने ही हैं| यदि यह सच हैं, तो इसका मतलब हैं कि ताजमहल के निर्माण में केवल प्रेम का प्रतीक नहीं बल्कि गहरी वास्तु और ऊर्जा विज्ञान का भी उपयोग किया गया हैं|
कुछ लोग मानते हैं कि ताजमहल की डिजाईन "शिवालय" जैसी लगती हैं| गुंबद का आकार शिवलिंग से मेल खाता हैं और मुख्य द्वार की बनावट भी मंदिर जैसी दिखाई देती हैं| अगर यह सच हैं, तो तहखानों का रहस्य और गहराता हैं क्योंकि वहां से इस सिद्धांत के प्रमाण मिल सकते हैं|
यह रहस्य आज भी विद्वानों को उलझाए हुए हैं और ताजमहल को केवल कला का स्मारक नहीं बल्कि रक रहस्यमयी संरचना साबित करता हैं|
10. शाहजहाँ का स्वप्न और अधुरा मकबरा:-
शाहजहाँ ने ताजमहल बनवाते समय एक और योजना बनाई थी| कहा जाता हैं कि वह यमुना के दुसरे किनारे पर "काला ताजमहल" बनवाना चाहते थे, जो काले संगमरमर से तैयार होना था| वहां उनकी खुद की कब्र होती और एक पुल के जरिए दोनों स्मारक जुड़ते|
लेकिन औरंगजेब ने सत्ता संभालने के बाद शाहजहाँ को कैद कर दिया और यह सपना अधुरा रह गया| यदि यह मकबरा बनता तो ताजमहल और उसके तहखाने एक और बड़े रहस्य से जुड़े होते|
कई लोग मानते हैं कि ताजमहल के तहखानों में उस अधूरे मकबरे की योजनाएं और नक्शे छिपे हो सकते हैं| यह भी संभव हैं कि शाहजहाँ ने भविष्य को ध्यान में रखते हुए तहखानों में कुछ विशेष निर्माण करवाया हो|
यह रहस्य अब तक अनसुलझा हैं क्योंकि तहखाने पूरी तरह से जनता के लिए खुले नहीं हैं| अगर कभी इन्हें खोला जाए तो शायद शाहजहाँ के इस सपने के बारे में और सच्चाई सामने आए|
11. ताजमहल के रंग बदलने का रहस्य:-
ताजमहल का संगमरमर दिन के अलग-अलग समय पर रंग बदलता दिखाई देता हैं| सुबह गुलाबी, दोपहर को सफेद और रात में हल्का सुनहरा या चांदनी में नीला| वैज्ञानिक इसे प्रकाश और संगमरमर की परावर्तन क्षमता बताते हैं|
लेकिन कुछ लोगों का मानना हैं कि इस रंग बदलने का संबंध तहखानों और वहां मौजूद विशेष खनिजों से हो सकता हैं| कहा जाता हैं कि तहखानों में संगमरमर और पत्थर से निकलने वाली ऊर्जा इमारत के रंग पर असर डालती हैं|
हालांकि यह दावा पूरी तरह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं हैं, लेकिन ताजमहल का बदलता रंग इसे रहस्यमय जरुर बना देता हैं| कई पर्यटक मानते हैं कि यह वदलाव किसी आध्यात्मिक शक्ति का संकेत हैं|
तहखानों में मौजूद रहस्य और ताजमहल के रंग बदलने की घटना शायद एक-दुसरे से जुड़े हों| जब तक तहखानों को पूरी तरह उजागर नहीं किया जाता, तब तक यह रहस्य हमेशा कायम रहेगा|
12. विदेशी यात्रियों के वृत्तांत और तहखाने:-
मुगलकाल में आए विदेशी यात्रियों ने ताजमहल का वर्णन अपने लेखों में किया हैं| कई यात्रियों ने लिखा हैं कि ताजमहल में नीचे तहखानों में असली कब्रें रखी गई हैं और वहां अंधेरा और रहस्य छाया रहता हैं|
फ्रांसीसी यात्री बर्नियर और अन्य यूरोपीय लेखकों ने भी ताजमहल की तहखानों वाली संरचना का उल्लेख किया हैं| उनके अनुसार, ये तहखाने बेहद विशाल हैं और इनमें कई कमरे बने हुए हैं|
आज जबकि ये तहखाने जनता के लिए बंद हैं, तब इन यात्रियों के विवरण और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं| अगर उन्होंने सच लिखा था, तो इसका मतलब हैं कि ताजमहल के नीचे वास्तव में रहस्यमयी कमरे और संरचनाएं हैं|
इन यात्रियों के वृत्तांत ताजमहल के रहस्य को और गहराई देते हैं|
13. ताजमहल और ब्रिटिश काल का रहस्य:-
ब्रिटिश में ताजमहल को काफी नुकसान पहुंचा| अंग्रेजों ने यहाँ से कीमती पत्थर और जवाहरात उखाड़ लिए| कहा जाता हैं कि उस समय तहखानों को भी खोला गया था और उनमें से कई दुर्लभ वस्तुएं बाहर निकाल ली गई थीं|
कुछ इतिहासकारों का मानना हैं कि अंग्रेजों को तहखानों में छिपे धार्मिक प्रतीक और मूर्तियाँ मिली थीं, लेकिन उन्होंने उन्हें या तो नष्ट कर दिया या इंगलैंड ले गए| इस विषय पर कोई आधिकारिक दस्तावेज नहीं हैं, लेकिन लोककथाएँ जरुर मौजूद हैं|
अगर यह सच हैं तो इसका मतलब हैं कि ताजमहल के तहखाने इतिहास की अनमोल धरोहर थे| अंग्रेजों ने इन रहस्यों को दबा और बाद में इन्हें हमेशा के लिए बंद कर दिया गया|
इस वजह से ताजमहल न केवल मुगलकाल बल्कि ब्रिटिश काल के रहस्यों से भी जुड़ा हुआ हैं|
14. ताजमहल और षडयंत्र की कहानियां:-
ताजमहल को लेकर षड्यंत्र सिद्धांत ( Conspiracy Theories ) हैं| कुछ लोग मानते हैं कि शाहजहाँ ने इसके निर्माण के बाद कारीगरों के हाथ कटवा दिए ताकि वे ऐसा स्मारक फिर कभी न बना सकें| हालांकि यह तथ्य विवादित हैं|
इसी तरह तहखानों को लेकर कहा जाता हैं कि वहां पर ऐसे गुप्त कक्ष हैं जिनमें खजाना छिपा हैं या फिर प्राचीन धार्मिक ग्रंथ| कुछ षड्यंत्र सिद्धांत यह भी कहते हैं कि सरकार जानबुझकर तहखानों को बंद रखती हैं ताकि असली सच कभी सामने न आए|
भले ही इन कहानियों का कोई ठोस प्रमाण न हो, लेकिन यह ताजमहल को हमेशा चर्चा में बनाए रखती हैं| लोग मानते हैं कि अगर तहखाने कभी खुले तो इतिहास का चेहरा बदल जाएगा|
यही षड्यंत्र कथाएं ताजमहल को साधारण स्मारक नहीं बल्कि रहस्यों का जाल बना देती हैं|
15. ताजमहल का रहस्य और आधुनिक शोध:-
आज के समय में कई शोधकर्ता ताजमहल के रहस्यों को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं| वैज्ञानिक तकनीक जैसे ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार ( GPR ) और 3D स्कैनिंग का उपयोग कर तहखानों की संरचना समझने की कोशिश हुई हैं|
लेकिन सरकार सुरक्षा और धार्मिक विवादों के डर से इस पर पूरी तरह से अनुमति नहीं देती| इस वजह से आधुनिक शोध भी अधुरा रह जाता हैं|
अगर कभी आधुनिक तकनीक से तहखानों को पूरी तरह से स्कैन और अध्ययन करने दिया गया, तो संभव हैं कि वहां छिपे रहस्य दुनिया के सामने आ जाएँ| तब शायद यह साबित हो पाए कि ताजमहल केवल शाहजहाँ का मकबरा हैं या फिर एक प्राचीन धार्मिक स्थल|
तब तक ताजमहल हमेशा रहस्यमयी बना रहेगा और लोगों की जिज्ञासा को बढ़ाता रहेगा|
* निष्कर्ष:-
ताजमहल केवल संगमरमर का बना एक खुबसुरत मकबरा नहीं हैं, बल्कि यह भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा रहस्य भी हैं| दुनिया इसे "प्यार की निशानी" कहती हैं, लेकिन इसके तहखानों, गुप्त कमरों और बंद दरवाजों ने इसे हमेशा से रहस्यमयी बनाए रखा हैं| हर पीढ़ी ने इसमें कुछ नया खोजने की कोशिश की हैं, लेकिन आज भी इसका असली सच परतों में छिपा हुआ हैं|
तहखानों को लेकर तरह-तरह की कहानियाँ प्रचलित हैं- कहीं इसे शाहजहाँ और मुमताज की असली कब्र से जोड़ा जाता हैं, तो कहीं तेजो महालय के प्राचीन मंदिर के रूप में बताया जाता हैं| वहीँ, गुप्त सुरंगें, यमुना नदी से संबधं, ब्रिटिश काल की लुट और षड्यंत्र की कहानियां इसे और गहराई देती हैं| वैज्ञानिक कारण जैसे नमी और संरचना की सुरक्षा भी दिए जाते हैं, लेकिन जनता के मन में सवाल अब भी बरकरार हैं कि आखिर वहां ऐसा क्या हैं जिसे छिपाया जा रहा हैं|
यह सच हैं कि ताजमहल की सुंदरता और भव्यता अद्वितीय हैं| इसकी वास्तुकला दुनिया भर में प्रशंसा पाती हैं और इसे देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता हैं| लेकिन साथ ही यह भी सच हैं कि इसके तहखाने और रहस्य लोगों की जिज्ञासा को और बढ़ाते हैं| यही कारण हैं कि ताजमहल केवल एतिहासिक स्मारक नहीं बल्कि "रहस्यों का स्मारक" भी कहलाता हैं|
शायद एक दिन विज्ञान और शोध इन रहस्यों पर से परदा हटा पाए, लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक ताजमहल दुनिया के सबसे खुबसुरत रहस्यों में से एक बना रहेगा| यह n केवल मुगलकाल की शान हैं बल्कि भारत की रहस्यमयी धरोहर भी हैं, जो हर बार सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि इसकी असली कहानी आखिर क्या हैं|