* प्रस्तावना *
भारत की संस्कृति और आध्यात्मिक धरोहर में ओडिशा का जगन्नाथ पूरी मंदिर एक ऐसा स्थल हैं, जिसे केवल एक मंदिर कहना इसके महत्व को कम करना होगा| यह स्थान न केवल हिंदू धर्म के चार धामों में से एक हैं, बल्कि अपने भीतर अनगिनत रहस्य और चमत्कार भी समेटे हुए हैं| यहाँ भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियाँ स्थापित हैं, जिनकी पूजा हजारों सालों से चली आ रही हैं| आश्चर्यजनक बात यह हैं कि इस मंदिर से जुड़े कई ऐसे तथ्य हैं जिन्हें आज भी विज्ञान पूरी तरह समझ नहीं पाया हैं| चाहे वह मंदिर के शिखर पर लगी ध्वज की दिशा हो, प्रसाद का रहस्य हो, या रथ यात्रा का अद्भुत आयोजन - हर चीज अपने आप में एक रहस्य और आस्था का संगम हैं| दुनिया भर के करोड़ो भक्त हर साल यहाँ आते हैं और भगवान के इस चमत्कारी धाम में अपनी आस्था अर्पित करते हैं|
आईए हम इस ब्लॉग में जगन्नाथ पूरी मंदिर से जुड़े महत्वपूर्ण अद्भुत और रहस्यमयी रहस्यों पर गहराई से चर्चा करेंगे| हर बिंदु में आपको विस्तार से जानते हैं, ताकि आप न केवल इस मंदिर की आध्यात्मिक शक्ति को समझ सकें बल्कि इसके वैज्ञानिक और एतिहासिक पहलुओं को भी अच्छे से जान पाएं|
1. ध्वज का उल्टा रहस्य:-
जगन्नाथ पूरी मंदिर के सबसे बड़े रहस्यों में से एक हैं - इसके शिखर पर लहराता ध्वज ( झंडा )| सामान्यतः जब हवा चलती हैं तो झंडा हवा की दिशा में लहराता हैं, लेकिन यहाँ का ध्वज हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता हैं| वैज्ञानिक दृष्टि से यह असंभव लगता हैं, क्योंकि किसी भी भौतिक सिद्धांत के अनुसार झंडा हवा के प्रवाह के साथ ही उड़ना चाहिए| यही कारण हैं कि यह रहस्य सदियों से शोधकर्ताओं और भक्तों को चकित करता आया हैं|
ध्वज से जुड़ा एक और चमत्कार यह हैं कि इसे हर दिन बदला जाता हैं, और यह कार्य एक पुजारी बड़ी ही आसानी से मंदिर के शिखर पर चढ़कर करता हैं| आश्चर्य की बात हैं कि मंदिर की ऊंचाई लगभग 215 फिट हैं, और बिना किसी आधुनिक साधन के पुजारी इतनी ऊंचाई पर चढ़कर ध्वज बदलते हैं| मान्यता हैं कि यदि किसी दिन ध्वज बदला न जाए तो मंदिर 18 वर्षों तक बंद हो जाएगा|
भक्तों का विश्वास हैं कि यह ध्वज केवल सजावट नहीं हैं, बल्कि भगवान जगन्नाथ की दिव्य शक्ति का प्रतीक हैं| यह चमत्कार हमें यह सोचने पर मजबूर करता हैं कि क्या सचमुच कोई अदृश्य ऊर्जा इस धाम में विद्यमान हैं, जो प्रकृति के सामान्य नियमों को भी चुनौती देती हैं|
2. सुदर्शन चक्र का रहस्य:-
जगन्नाथ पूरी मंदिर के शीर्ष पर स्थित सुदर्शन चक्र, जिसे "नील चक्र" भी कहा जाता हैं, अपने आप में एक बड़ा रहस्य समेटे हुए हैं| यह चक्र लगभग 20 फिट ऊंचा हैं और आठ विशेष धातुओं से मिलकर बनाया गया हैं| इसकी खासियत यह हैं कि आप मंदिर के जिस भी कोने से इसे देखेंगे, यह हमेशा आपको अपनी ओर ही मुख किए हुए दिखाई देगा| मानो यह चक्र हर किसी को आशीर्वाद देने के लिए अपना रुख उसी की ओर कर लेता हैं| यह रहस्य सदियों से भक्तों और वैज्ञानिकों दोनों के लिए आश्चर्य का विषय बना हुआ हैं|
आम तौर पर किसी वास्तु का कोण बदलने पर उसका दृश्य अलग दिखाई देता हैं, लेकिन सुदर्शन चक्र का ऐसा होना सामान्य नियमों को चुनौती देता हैं| वैज्ञानिक मानते हैं कि यह मंदिर की वास्तुकला, ऊंचाई और चक्र की डिजाईन का कमल हो सकता हैं| फिर भी इस तथ्य को आज तक पूरी तरह से समझाया नहीं जा सका हैं| भक्तों की मान्यता हैं कि यह भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र का प्रतीक हैं और हर व्यक्ति को यह एहसास दिलाता हैं कि भगवान सदैव उसके साथ हैं| यही कारण हैं कि इस चक्र को देखने वाला हर भक्त दिव्य ऊर्जा और सुरक्षा का अनुभव करता हैं|
3. मंदिर की छाया का रहस्य:-
जगन्नाथ पूरी मंदिर का एक अनोखा और रहस्यमयी पहलू हैं - इसका छाया रहित होना| यह मंदिर लगभग 215 फिट ऊंचा हैं और इतनी बड़ी इमारत से दिन में कई बार लंबी छाया पड़नी चाहिए| लेकिन आश्चर्य की बात हैं कि जब आप इस मंदिर को देखते हैं तो यह किसी भी समय अपनी छाया जमीन पर नहीं डालता| चाहे सुबह हो, दोपहर हो या शाम, मंदिर मंदिर की छाया दृष्टगोचर नहीं होती|
वास्तुशास्त्र और विज्ञान के दृष्टिकोण से यह बात समझ से परे हैं| वैज्ञानिकों का कहना हैं कि मंदिर का ढांचा और उसकी संरचना इस प्रकार बनाई गई हैं कि सूरज की किरणें इसे इस तरह घेरे रहती हैं कि इसकी छाया अलग से दिखाई नहीं देती| कुछ विशेषज्ञों के अनुसार यह आर्किटेक्चर का एक अद्भुत उदहारण हैं, जिसे प्राचीन शिल्पकारों ने अत्यंत कुशलता से तैयार किया|
भक्तों के लिए यह घटना केवल विज्ञान का चमत्कार नहीं बल्कि भगवान जगन्नाथ की महिमा हैं| उनका विश्वास हैं कि भगवान अपने धाम पर अपनी छाया तक नहीं पड़ने देते, क्योंकि यह स्थान पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक हैं| यही कारण हैं कि यहाँ आने वाले श्रद्धालु इस रहस्य को भगवान की अद्भुत लीला मानकर नतमस्तक हो जाते हैं|
4. महाप्रसाद का चमत्कार:-
जगन्नाथ पूरी मंदिर का महाप्रसाद, जिसे स्थानीय भाषा में "महाप्रसादम्" या "अभदा" भी कहा जाता हैं, दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं| रोजाना मंदिर की विशाल रसोई में सैकड़ों बर्तनों में भोजन पकाया जाता हैं| यह रसोई इतनी बड़ी हैं कि एक साथ लगभग 56 प्रकार के भोग भगवान को अर्पित किए जाते हैं| लेकिन सबसे बड़ा रहस्य यह हैं कि यहाँ का प्रसाद कभी भी न कम पड़ता हैं और न ही बचता हैं|
चाहे मंदिर में 1,000 लोग आएं या लाखों की संख्या में भक्त पहुंचें, प्रसाद हमेशा हर किसी को पर्याप्त मात्रा में मिलता हैं| वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो इतनी सटीक गणना और प्रबंधन करना असंभव लगता हैं, खासकर तब जब भक्तों की संख्या हर दिन बदलती रहती हैं| लेकिन यहाँ यह चमत्कार प्रतिदिन देखने को मिलता हैं|
भक्तों का मानना हैं कि यह भगवान जगन्नाथ की अन्नपूर्णा शक्ति का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं| उनका विश्वास हैं कि स्वयं भगवान यह सुनिश्चित करते हैं कि उनके भक्त भूखे न लौटें| यही कारण हैं कि महाप्रसाद केवल भोजन नहीं बल्कि आस्था और कृपा का प्रतीक माना जाता हैं|
5. रथयात्रा का रहस्य:-
पुरी की रथयात्रा विश्व प्रसिद्ध हैं और हर साल लाखों भक्त इसे देखने आते हैं| इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा अपने-अपने भव्य रथों में विराजमान होते हैं| हर रथ लकड़ी से बनाया जाता हैं और हर वर्ष नए रथ तैयार किए जाते हैं| रथ खींचने के लिए हजारों भक्त रस्सियों को पकड़ते हैं, लेकिन यहाँ का रहस्य यह हैं कि रथ की गति और दिशा कभी भी इंसानों के नियंत्रण नहीं होती|
कई बार ऐसा होता हैं कि लाखों लोग खींचने के बावजूद रथ एकदम से रुक जाता हैं और तभी आगे बढ़ता हैं जब भगवान की इच्छा होती हैं| भक्त मानते हैं कि रथ की चाल और रुकना - चलना स्वयं भगवान नियंत्रित करते हैं| इस अद्भुत घटना का अनुभव करने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं|
वैज्ञानिक दृष्टि से देखने तो इतने भारी रथ का चलना, रुकना और स्वतः नियंत्रित होना असामान्य लगता हैं| लेकिन भक्तों के लिए यह केवल और केवल जगन्नाथ की दिव्य लीला हैं, जो उनकी सर्वशक्तिमान सत्ता का प्रमाण हैं|
6. समुद्र की लहरों का रहस्य:-
जगन्नाथ पूरी मंदिर के पास स्थित समुद्र भी उतना ही रहस्यमयी हैं जितना खुद यह मंदिर| आम तौर पर समुद्र की लहरें किनारे की ओर आती हैं और लौट जाती हैं, लेकिन पूरी के समुद्र तट पर यह क्रम कई बार उल्टा दिखाई देता हैं| यहाँ दिन के कुछ विशेष समय पर लहरें मानो किनारे से दूर हटती हैं, जैसे समुद्र पीछे की ओर बह रहा हो| यह दृश्य देखने वालों को आश्चर्यचकित कर देता हैं, क्योंकि प्राकृतिक नियमों के अनुसार समुद्र का पानी हमेशा गुरुत्वाकर्षण और हवा की दिशा के अनुसार बहता हैं|
स्थानीय लोग इसे भगवान जगन्नाथ की दिव्य लीला मानते हैं| उनका कहना हैं कि यह समुद्र स्वयं भगवान के आदेश का पालन करता हैं और उनकी शक्ति को प्रदर्शित करता हैं| वैज्ञानिकों के अनुसार यह घटना समुद्र की भौगोलिक संरचना, चुंबकीय प्रभाव और आयु दाब के कारण हो सकती हैं| लेकिन इसे पूरी तरह समझाना अभी भी कठिन हैं|
यात्रियों और भक्तों के लिए यह समुद्र केवल जल का स्रोत नहीं बल्कि जगन्नाथ का जीवंत प्रतीक हैं, जो हमें यह संदेश देता हैं कि प्रकृति भी भगवान की अधीन हैं|
7. अन्न पकाने का रहस्य:-
पूरी जगन्नाथ मंदिर की रसोई दुनिया की सबसे बड़ी रसोई कही जाती हैं| यहाँ प्रतिदिन 500 से अधिक पकाने वाले मिट्टी के बर्तन इस्तेमाल होते हैं, जो एक के ऊपर एक रखे जाते हैं और नीचे केवल एक ही चूल्हा जलाया जाता हैं| आश्चर्य की बात यह हैं कि इन बर्तनों में सबसे ऊपर रखा हुआ बर्तन सबसे पहले पकता हैं, फिर उसके नीचे वाला और अंत में सबसे नीचे रखा हुआ बर्तन पकता हैं|
साधारण विज्ञान के अनुसार नीचे रखा बर्तन सबसे पहले पकना चाहिए, क्योंकि आग की गर्मी सीधे उसी तक पहुँचती हैं| लेकिन यहाँ ठीक उल्टा होता हैं, और यह प्रक्रिया आज तक वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बनी हुई हैं|
भक्त इसे भगवान की माया मानते हैं और कहते हैं कि भगवान स्वयं इस अन्न को पवित्र करते हैं| यही कारण हैं कि इस भोजन को केवल प्रसाद नहीं बल्कि भगवान का आशीर्वाद माना जाता हैं| यहाँ आने वाला हर भक्त इस अनोखी रसोई के चमत्कार को देख हैरान रह जाता हैं|
8. मूर्तियों के नवीनीकरण का रहस्य ( नवकलेवर ):-
जगन्नाथ पूरी मंदिर की सबसे अनोखी परंपरा हैं- नवकलेवर| इसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा और सुदर्शन चक्र की मूर्तियाँ हे 12 से 19 साल में बदल दी जाती हैं| नया शरीर लकड़ी ( नीम के विशेष वृक्ष ) से बनाया जाता हैं| रहस्य यह हैं कि नए वृक्ष को चुनने के लिए कड़े नियम और विशेष संकेत देखे जाते हैं| वृक्ष पर प्राकृतिक चिन्ह जैसे शंख, चक्र या अन्य दिव्य निशान होना आवश्यक हैं|
मूर्तियों को बदलने की प्रक्रिया पूरी तरह गोपनीय रखी जाती हैं| यहाँ तक कि पुजारी भी आँखों पर पट्टी बांधकर काम करते हैं| पुराने विग्रहों से दिव्य ऊर्जा नए विग्रहों में स्थानांतरित की जाती हैं, जिसे "ब्रह्म पदार्थ" कहा जाता हैं| यह पदार्थ आज भी रहस्य बना हुआ हैं, क्योंकि इसे किसी ने कभी नहीं देखा|
भक्त मानते हैं कि यह आत्मा के पुनर्जन्म की परंपरा हैं| जैसे इंसान का शरीर नश्वर हैं लेकिन आत्मा अमर हैं, वैसे ही भगवान की आत्मा भी नए रूप में आकर भक्तों की रक्षा करती हैं|
9. मंदिर के शिखर का रहस्य:-
जगन्नाथ पुरी मंदिर का शिखर भी कई रहस्यों से भरा हुआ हैं| आमतौर पर किसी भी ऊँची इमारत या मंदिर के ऊपर से उड़ते समय पक्षी मंडराते हैं या वहाँ बैठते हैं| लेकिन इस मंदिर के ऊपर से आज तक कोई पक्षी नहीं उड़ा और न ही कोई विमान इसके ऊपर से उड़ता हैं|
कहा जाता हैं कि भारतीय वायुसेना ने भी यहाँ उड़ान भरने से परहेज किया हैं, क्योंकि विमानों को इसके ऊपर अजीब चुंबकीय असर महसूस होता हैं| भक्त मानते हैं कि मंदिर के शिखर पर भगवान जगन्नाथ की ऐसी शक्ति हैं, जो किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को रोक देती हैं|
वैज्ञानिकों ने इसे कई बार समझने की कोशिश की, लेकिन कोई ठोस कारण सामने नहीं आ पाया| यही कारण हैं कि मंदिर का शिखर आज भी आस्था और रहस्य का केंद्र बना हुआ हैं|
10. रसोई की अनोखी व्यवस्था:-
पुरी जगन्नाथ मंदिर की रसोई दुनिया की सबसे बड़ी और अनोखी रसोई मानी जाती हैं| यहाँ लगभग 500 रसोईए और 300 से अधिक सहायक प्रतिदिन भगवान के लिए भोग तैयार करते हैं| रसोई में केवल मिट्टी के बर्तन ही उपयोग किए जाते हैं और इन्हें लकड़ी के चूल्हे पर पकाया जाता हैं|
सबसे बड़ा रहस्य यह हैं कि रोजाना लगभग 56 प्रकार के भोग पकाए जाते हैं और यह कभी खराब नहीं होते| इतना ही नहीं, जैसा पहले बताया गया, भोजन पकने की प्रक्रिया भी उल्टी होती हैं - ऊपर रखा बर्तन पहले पकता हैं और नीचे रखा सबसे बाद में| यह घटना आज तक किसी वैज्ञानिक नियम से मेल नहीं खाती|
भक्तों का विश्वास हैं कि भगवान स्वयं इस भोजन की रक्षा करते हैं और इसे पवित्र बनाए रखते हैं| यही कारण हैं कि मंदिर का प्रसाद न केवल स्वादिष्ट होता हैं बल्कि लोगों के लिए आस्था और चमत्कार का अनुभव भी कराता हैं|
11. पुरी धाम का धार्मिक महत्व और चमत्कार:-
पुरी धाम हिंदू धर्म के चार धामों में से एक हैं - बद्रीनाथ, द्वारका, रामेश्वरम् और पुरी| मान्यता हैं कि जीवन में एक बार चार धाम की यात्रा पूरी करना मोक्ष प्राप्ति का मार्ग हैं| पुरी को "श्रीक्षेत्र" भी कहा जाता हैं और यहाँ आने वाला हर भक्त आत्मिक शांति और दिव्यता का अनुभव करता हैं|
पुरी धाम का एक और चमत्कार यह हैं कि यहाँ रोजाना लाखों भक्तों की भीड़ होती हैं, फिर भी व्यवस्था अपने आप संतुलित रहती हैं| चाहे प्रसाद हो, रथयात्रा का आयोजन हो या समुद्र तट पर भीड़ - सब कुछ अद्भुत तरीके से चलता हैं| इसे लोग भगवान जगन्नाथ की कृपा मानते हैं|
इतिहासकार मानते हैं कि यह स्थान हजारों साल पुराना हैं और यहाँ की परंपराए आज भी जीवित हैं| यही कारण हैं कि पुरी धाम केवल एक तीर्थ नहीं बल्कि आस्था, संस्कृति और रहस्य का संगम हैं|
12. मंदिर का वास्तु और निर्माण रहस्य:-
जगन्नाथ पुरी मंदिर की वास्तुकला अपने आप में रहस्य और चमत्कार से भरी हैं| यह मंदिर 12वीं शताब्दी में गंग वंश के राजा अनंतवर्मन चोदगंगदेव ने बनवाया था| इसका निर्माण इस प्रकार किया गया हैं कि यह किसी भी कोण से देखने पर एक अद्वितित दृश्य प्रस्तुत करता हैं| मंदिर की ऊंचाई लगभग 215 फिट हैं और इसे पत्थरों के विशाल खंडो से जोड़ा गया हैं|
रहस्य यह हैं कि इन पत्थरों को किस प्रकार इतनी ऊंचाई तक पहुँचाया गया होगा, जबकि उस समय कोई आधुनिक मशीनें उपलब्ध नहीं थीं| माना जाता हैं कि लगभग 100 किलोमीटर दूर से इन पत्थरों को लाया गया था| एक और अद्भुत तथ्य यह हैं कि मंदिर की संरचना इस तरह बनाई गई हैं कि समुद्र से आने वाली हवा मंदिर के भीतर विशेष ध्वनि उत्पन्न करती हैं, जो भक्तों को दिव्य अनुभव देती हैं|
भक्त मानते हैं की इस मंदिर का निर्माण देवताओं की कृपा से हुआ हैं और यही कारण हैं कि आज भी मजबूती से खड़ा हैं| वहीँ इतिहासकारों के लिए यह प्राचीन भारतीय इंजीनियरिंग का अद्भुत उदहारण हैं|
13. भोग मंडप और प्रसाद वितरण का रहस्य:-
जगन्नाथ मंदिर के अंदर एक विशेष स्थान हैं जिसे भोग मंडप कहा जाता हैं| यहाँ भगवान को अर्पित किया गया भोजन रखा जाता हैं| प्रसाद वितरण की व्यवस्था यहाँ इतनी अद्भुत हैं कि लाखों भक्तों तक यह प्रसाद पहुँचता हैं, लेकिन किसी को भी निराशा हाथ नहीं लगती|
रहस्य यह हैं कि यहाँ प्रतिदिन 56 प्रकार के भोग भगवान को अर्पित किए जाते हैं और इसके बाद यह प्रसाद भक्तों में बांटा जाता हैं| लेकिन आश्चर्यजनक बात यह हैं कि प्रसाद की मात्रा हमेशा भक्तों की संख्या न ही अधिक बचता हैं|
वैज्ञानिक दृष्टि से इसे भोजन प्रबंधन का चमत्कार कहा जा सकता हैं, लेकिन आस्था रखने वाले इसे भगवान जगन्नाथ की अद्भुत कृपा मानते हैं| यही कारण हैं कि भक्त इस प्रकार को केवल भोजन नहीं बल्कि भगवान का आशीर्वाद मानकर ग्रहण करते हैं|
14. जगन्नाथ की मूर्तियों का रहस्य:-
जगन्नाथ पुरी मंदिर की सबसे अद्भुत और रहस्यमयी बात हैं यहाँ स्थापित मूर्तियाँ| आमतौर पर मंदिरों में भगवान की मूर्तियाँ पत्थर, धातु या संगमरमर से बनी होती हैं और उनका आकार एक जैसा रहता हैं| लेकिन यहाँ भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियाँ लकड़ी की बनी हुई हैं और उनका रूप सामान्य मूर्तियों से बिल्कुल अलग हैं| भगवान जगन्नाथ की बड़ी आँखें, छोटे हाथ और गोलाकार चेहरा भक्तों को विशेष संदेश देते हैं - "मैं सदा जाग्रत हूँ और सबको देख रहा हूँ|"
हर 12 से 19 साल में इन मूर्तियों को बदला जाता हैं, जिसे नवकलेवर कहा जाता हैं| इस प्रक्रिया मै "ब्रह्म पदार्थ" पुराने विग्रह से नए विग्रह में स्थानांतरित किया जाता हैं| यह रहस्य आज तक किसी को पता नहीं चला की यह ब्रह्म पदार्थ वास्तव में क्या हैं| पुजारी इसे अत्यंत गोपनीयता से करते हैं और उस समय मंदिर पूरी तरह से बंद कर दिया जाता हैं|
भक्तों का विश्वास हैं कि भगवान का यह स्वरूप हमें यह सिखाता हैं कि शरीर नश्वर हैं, लेकिन आत्मा अमर हैं|
15. ध्वज बदलने की अद्भुत परंपरा:-
जगन्नाथ पुरी मंदिर में प्रतिदिन ध्वज बदला जाता हैं और यह परंपरा सदियों से चली आ रही हैं| यह ध्वज मंदिर के शिखर पर लगाया जाता हैं, जिसकी ऊंचाई लगभग 215 फिट हैं| हैरानी की बात यह हैं कि यह कार्य पुजारी बिना किसी सहारे या आधुनिक उपकरण के केवल हाथ और पैर की मदद से मंदिर की दीवार पर चढ़कर करते हैं|
ध्वज बदलने की यह परंपरा इतनी पवित्र मानी जाती हैं कि यदि किसी दिन ध्वज नहीं बदला गया तो मंदिर 18 वर्षों तक बंद हो जाएगा - ऐसी मान्यता हैं| और सबसे बड़ा रहस्य यह हैं कि मंदिर के ऊपर लगाया गया ध्वज हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता हैं| सामान्य विज्ञान के अनुसार यह असंभव हैं|
भक्तों का मानना हैं कि यह भगवान की शक्ति का प्रतीक हैं और यह दिखता हैं कि भगवान के नियम प्रकृति के सामान्य नियमों से ऊपर हैं|
* निष्कर्ष:-
जगन्नाथ पुरी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, विज्ञान और रहस्य का अनूठा संगम हैं| यहाँ की हर परंपरा और हर घटना अपने भीतर एक अनकही कहानी छुपाए हुए हैं| चाहे वह शिखर पर लगे ध्वज का उल्टा लहराना हो, समुद्र की लहरों का विचित्र व्यवहार हो, या प्रसाद का कभी कम न पड़ना - हर घटना भगवान जगन्नाथ की दिव्यता को सिद्ध करती हैं|
पुरी मंदिर हमें यह भी सिखाता हैं कि भारतीय संस्कृति कितनी समृद्ध और अद्भुत हैं| प्राचीन काल में बिना आधुनिक तकनीक के ऐसी वास्तुकला, रसोई व्यवस्था और परंपराएँ स्थापित करना स्वयं में चमत्कार हैं| यहाँ का हर रहस्य यह बताता हैं कि आध्यात्मिक शक्ति और विज्ञान का मेल हमारे पूर्वजों की सबसे बड़ी पहचान थी|
भक्तों के लिए यह मंदिर केवल द्ढ़सं का स्था नहीं, बल्कि जीवन की गहराईयों को समझने का माध्यम हैं| भगवान जगन्नाथ की बड़ी-बड़ी आँखे हमें याद दिलाती हैं कि ईश्वर हमेशा हमें देख रहा हैं और हमारे साथ हैं| रथयात्रा यह संदेश देती हैं कि जीवन की गाड़ी केवल ईश्वर की इच्छा से चलती हैं, और महाप्रसाद यह बताता हैं कि जब तक ईश्वर पर भरोसा हैं, तब तक कोई भूखा नहीं रहेगा|
अंततः जगन्नाथ पुरी मंदिर के ये रहस्य केवल जिज्ञासा जगाने के लिए बल्कि हमें यह महसूस कराने के लिए हैं कि ईश्वर की शक्ति अनंत हैं और इंसानी ज्ञान हमेशा उससे छोटा रहेगा| यही कारण हैं कि पुरी धाम विश्व भर के लोगों के लिए आस्था, चमत्कार और रहस्य का अद्भुत प्रतीक हैं|