"सारनाथ का इतिहास: बुद्ध की ज्ञानस्थली और भारत की सांस्कृतिक धरोहर"

 *  प्रस्तावना  *

भारत की धरती हमेशा से ज्ञान, आध्यात्म और संस्कृति की जननी रही हैं| यहाँ की मिट्टी ने न केवल महान राजाओं और योद्धाओं को जन्म दिया बल्कि ऐसे ऋषि-मुनियों और संतों को भी जन्म दिया जिन्होंने पूरी मानवता का मार्गदर्शन किया| इन्हीं एतिहासिक और पवित्र स्थलों में से एक हैं सारनाथ, जो उत्तर प्रदेश के वाराणसी से लगभग 10 किलोमीटर की दुरी पर स्थित हैं| सारनाथ को बुद्ध धर्म का पवित्र स्थल माना जाता हैं क्योंकि यहीं पर भगवान बुद्ध ने अपने ज्ञान प्राप्ति के बाद पहला उपदेश दिया था, जिसे "धर्मचक्र प्रवर्तन" कहा जाता हैं| इस स्थान को "मृगदाव" यानि हिरण उद्यान के नाम से भी जाना जाता हैं|



सारनाथ केवल बौद्ध धर्म का केंद्र ही नहीं बल्कि भारतीय इतिहास, कला और संस्कृति का अद्भुत संगम भी हैं| यहाँ की स्तूप, विहार, मूर्तियाँ और पुरातात्विक धरोहरें यह प्रमाणिक करती हैं कि प्राचीन काल में भारत कितना समृद्ध और उन्नत था| आज भी यहाँ लाखों श्रद्धालु और पर्यटक देश-विदेश से आते हैं और इस भूमि की पवित्रता का अनुभव करते हैं| 

आईए इस ब्लॉग में हम, अब विस्तार से जानते हैं सारनाथ के महत्व और इतिहास से जुड़े प्रमुख पहलु|

1. सारनाथ का नाम और उसका अर्थ:-

सारनाथ नाम संस्कृत शब्द "सारंगनाथ" से निकला हैं, जिसका अर्थ हैं - "हिरणों के स्वामी"| प्राचीन ग्रंथों में इसका उल्लेख "मृगदाव" या "हिरण उद्यान" के रूप में मिलता हैं| कथा हैं कि यहाँ कभी एक राजा ने दो हिरणों को मारना चाहा, लेकिन बुद्ध ने उसे करुणा और दया का संदेश दिया| तभी से यह स्थान अहिंसा और करुणा का प्रतीक माना जाने लगा| धीरे-धीरे यह स्थान सारनाथ नाम से प्रसिद्ध हुआ|

यहाँ का वातावरण हमेशा से शांतिपूर्ण और प्राकृतिक रहा हैं, जिससे साधकों और भिक्षुओं को ध्यान साधना में आसानी होती थी| यही कारण हैं कि बुद्ध ने अपने उपदेश के लिए इस स्थल को चुना| "सारनाथ" नाम केवल एक भौगोलिक पहचान नहीं, बल्कि करुणा, ज्ञान और धर्म का प्रतीक हैं| आज भी जब कोई यात्री सारनाथ आता हैं तो उसे लगता हैं कि वह किसी पवित्र स्थल पर आया हैं तो उसे लगता हैं कि वह किसी पवित्र स्थल पर आया हैं, जहाँ करुणा और अहिंसा की गूंज सुनाई देती हैं|

2. बुद्ध का पहला उपदेश धर्मचक्र प्रवर्तन:-

 सारनाथ का सबसे बड़ा महत्व इस बात में हैं कि यहीं भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त करने के बाद पहली बार अपने पांच शिष्यों को उपदेश दिया था| इसे "धर्मचक्र प्रवर्तन" कहा जाता हैं, जिसका अर्थ हैं - धर्म का चक्र चलाना| बुद्ध ने यहाँ चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग का वर्णन किया| यह शिक्षा केवल बैद्ध धर्म ने अनुयायियों के लिए ही नहीं बल्कि पूरी मानवता के लिए मार्गदर्शन सिद्ध हुई|



यह पहला उपदेश इतना गहरा था कि आज भी इसे बुद्ध धर्म की नींव माना जाता हैं| यही कारण हैं कि सारनाथ को "बौद्ध धर्म का जन्मस्थान" भी कहा जाता हैं| यहाँ बने "धर्मराजिक स्तूप" और "धर्मचक्र जैन मंदिर" इसी एतिहासिक घटना की याद दिलाते हैं| बुद्ध के उपदेश ने हिंसा, युद्ध और घृणा से भरे समय में प्रेम, करुणा और शांति का नया मार्ग दिखता|

3. मृगदाव की पवित्रता:-

सारनाथ को प्राचीन समय से "मृगदाव" यानी हिरण उद्यान के नाम से जाना जाता हैं| यह स्थान प्राकृतिक रूप से हरियाली और शांत वातावरण से भरा हुआ था, जहाँ हिरन स्वतंत्र रूप से घूमते थे| कथा हैं कि यहाँ बुद्ध ने एक राजा को अहिंसा का संदेश देकर दो हिरणों का जीवन बचाया था| तभी से यह भूमि करुणा का प्रतीक बन गई|

मृगदाव केवल एक उद्यान नहीं था, बल्कि यह भिक्षुओं के लिए ध्यान और साधना का स्थान भी था| बौद्ध भिक्षु यहाँ प्रकृति की गोद में रहकर शिक्षा ग्रहण करते और ध्यान साधना करते थे| आज भी यहाँ हिरण संरक्षित किए जाते हैं और यह स्थान पुरानी परम्पराओं की याद दिलाता हैं| मृगदाव का महत्व यह दर्शाता हैं कि बुद्ध की शिक्षा केवल मानव के लिए ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण जीव-जगत के लिए थी|

4. अशोक स्तंभ और उसका महत्व:-

सम्राट अशोक, जो मौर्य वंश के महान शासक थे, उन्होंने सारनाथ में एक भव्य स्तंभ स्थापित कराया था| इसे अशोक स्तंभ कहा जाता हैं| यह स्तंभ न केवल वास्तुकला की दृष्टि से अद्भुत हैं, बल्कि यह भारत की राष्ट्रीय पहचान का भी प्रतीक हैं| आज जो "सिंह स्तंभ" भारत का राष्ट्रीय प्रतीक हैं, वह यहीं सारनाथ से लिया गया हैं|

अशोक स्तंभ पर चार सिंह एक-दुसरे की ओर मुख किए खड़े हैं, जो शक्ति, साहस और आत्मविश्वास का प्रतीक हैं| नीचे बना धर्मचक्र बौद्ध धर्म का चिन्ह हैं, जो आज भारत के राष्ट्रीय ध्वज में भी अंकित हैं| अशोक ने बौद्ध धर्म को पूरी दुनिया में फ़ैलाने का कार्य किया और सारनाथ उनके बौद्ध प्रचार अभियानों का महत्वपूर्ण केंद्र रहा| अशोक स्तंभ आज भी भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर की निशानी हैं|

5. धर्मराजिय स्तूप:-

सारनाथ की पहचान यहाँ बने धर्मराजिक स्तूप से भी होती हैं| यह स्तूप सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया था और इसे बुद्ध के पहले उपदेश की स्मृति में निर्मित किया गया था| स्तूप बैद्ध धर्म में श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक हैं| धर्मराजिक स्तूप प्राचीन समय में लगभग 100 फिट ऊंचा था और ईटों व पत्थरों से निर्मित किया गया था|

यह स्तूप तीर्थयात्रियों और श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र था| यहाँ आने वाले लोग बुद्ध के उपदेशों को याद करते और ध्यान करते थे| पुरातत्व विभाग की खुदाई में यहाँ से कई प्राचीन अवशेष मिले हैं, जो बताते हैं कि यह स्थल कितना समृद्ध और एतिहासिक महत्व का रहा हैं| यद्यपि समय के साथ इस स्तूप को आक्रमणकारियों ने क्षतिग्रस्त किया, फिर भी इसके अवशेष आज भी बुद्ध की शिक्षाओं का संदेश देते हैं| धर्मराजिक स्तूप हमें यह सिखाता हैं कि ज्ञान और सत्य का मार्ग कभी समाप्त नहीं होता हैं|

6. धमेख स्तूप:-

सारनाथ का सबसे विशाल और प्रसिद्ध स्तूप हैं धमेख स्तूप| इसका निर्माण भी सम्राट अशोक ने कराया था और बाद में गुप्तकाल में इसका विस्तार हुआ| यह लगभग 128 फिट ऊंचा और 93 फिट चौड़ा हैं| इस स्तूप का महत्व इसलिए हैं क्योंकि माना जाता हैं कि यहीं बुद्ध ने अपने पांच शिष्यों को पहला उपदेश दिया था|

धमेख स्तूप की दीवारों पर अद्भुत नक्काशी और शिल्पकला देखने को मिलती हैं, जिनमें पुष्ण, बेल-बूटे और ज्यामितीय आकृतियाँ बनी हैं| यह स्तूप वास्तुकला और कला का अद्भुत उदहारण हैं| यहाँ हजारों तीर्थयात्री और पर्यटक आते हैं और स्तूप की परिक्रमा करते हैं| यह स्तूप न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं बल्कि एतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी अद्वितीय हैं| धमेख स्तूप सारनाथ का हृदय कहा जा सकता हैं|

7. गुप्तकालीन मूर्तिकला और कला:-

सारनाथ गुप्तकाल में कला और संस्कृति का प्रमुख केंद्र था| यहाँ से मिली मूर्तियाँ और शिल्पकला गुप्तकालीन कला की श्रेष्ठता को दर्शाती हैं| खासतौर पर बुद्ध की मूर्तियाँ, जिनमे उनके चेहरे पर शांति, करुणा और दिव्यता झलकती हैं| गुप्तकाल में बनी "ध्यानमग्न बुद्ध" की मूर्तियाँ आज भी कला प्रेमियों को मोहित कर देती हैं|

सारनाथ की मूर्तियों में सबसे खास बात यह हैं कि इनमें भावनाओं की गहराई झलकती हैं| बुद्ध की आँखे आधी बंद रहती हैं, जिससे ध्यान और आत्मचिंतन का भाव निकलता हैं| इसके अलावा यहाँ से यक्षिणी, बोधिसत्व और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी मिली हैं| गुप्तकालीन कला को भारत का "स्वर्णयुग" कहा जाता हैं और सारनाथ इसकी सबसे बड़ी गवाही देता हैं|

8. सारनाथ संग्रहालय:-

सारनाथ का पुरातत्व संग्रहालय भारत का पहला संगठित संग्रहालय हैं, जिसे 1910 में स्थापित किया गया था| यहाँ हजारों साल पुराने शिलालेख, मूर्तियाँ और अवशेष सुरक्षित रखे गए हैं| संग्रहालय में रखी गई सबसे प्रसिद्ध वस्तु अहिं अशोक स्तंभ का सिंह शीर्ष, जो आज भारत का राष्ट्रीय प्रतीक हैं|

इसके अलावा संग्रहालय में बुद्ध की मूर्तियाँ, बोधिसत्व की प्रतिमाएं, गुप्तकालीन शिलालेख और प्राचीन सिक्के भी देखे जा सकते हैं| यहाँ रखी गई मूर्तियाँ इतनी जीवंत लगती हैं कि उन्हें देखकर लगता हैं जैसे वे आज भी हमें संदेश दे रही हों| संग्रहालय इतिहास प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए खजाने से कम नहीं हैं| यह स्थान यह दर्शाता हैं कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर कितनी समृद्ध और अद्वितीय रही हैं|

9. सारनाथ में बौद्ध विहार:-

सारनाथ में कई बौद्ध विहार ( मठ ) थे, जहाँ भिक्षु शिक्षा ग्रहण करते और ध्यान साधना करते थे| ये विहार बौद्ध धर्म, ध्यान और आचार की शिक्षा दी जाती थी| पुरातत्व खुदाई से यहाँ कई विहारों के अवशेष मिले हैं, जिनमें ईंटों से बनी दीवारें, कक्ष और प्रार्थना स्थल शामिल हैं|

विहार केवल धार्मिक शिक्षा के केंद्र नहीं थें, बल्कि यहाँ विज्ञान, चिकित्सा, गणित और दर्शन की शिक्षा भी दी जाती थी| यही कारण हैं कि सारनाथ प्राचीन काल में एक शिक्षा नगरी के रूप में भी प्रसिद्ध था| आज भी यहाँ नव निर्मित बौद्ध विहार साधना करते हैं| यह दर्शाता हैं कि सारनाथ आज भी बौद्ध धर्म की धड़कन हैं|

10. सारनाथ का जैन धर्म से संबंध:-

सारनाथ केवल बौद्ध धर्म के लिए ही नहीं, बल्कि जैन धर्म के लिए भी पवित्र स्थल माना जाता हैं| जैन परम्परा के अनुसार, श्रीशांतिनाथ, जो जैन धर्म के 11वें तीर्थकर थे, उन्होंने सारनाथ में ही अपने जीवन का महत्वपूर्ण समय व्यतीत किया था| यहाँ उनके ध्यान और तपस्या की गाथाएं प्रचलित हैं| इस कारण जैन अनुयायियों के लिए यह भूमि श्रद्धा का केंद्र हैं|

सारनाथ में स्थित जैन मंदिर इस संबंध की गवाही देते हैं| यहाँ आने वाले जैन श्रद्धालु भगवान शांति नाथ की पूजा-अर्चना करते हैं| यह तथ्य दर्शाता हैं कि सारनाथ केवल एक धर्म का नहीं बल्कि अनेक धर्मो का मिलन स्थल हैं| यहाँ बौद्ध, जैन और हिन्दू परम्पराएँ एक साथ दिखाई देती हैं, जो भारतीय संस्कृति की विशेषता हैं| सारनाथ की यही बहु-आयामी पहचान इसे और भी अद्वितीय बनाती हैं|

11. हिंदू परंपरा में सारनाथ का महत्व:-

सारनाथ का महत्व केवल बौद्ध और जैन धर्म तक सीमित नहीं हैं, बल्कि हिन्दू परंपरा में भी इसका विशेष स्था हैं| पुराणों और प्राचीन ग्रंथों में इस स्थान का उल्लेख "ऋषिपत्तन" और ईश्वरपतना" के रूप में किया गया हैं| माना जाता हैं कि भगवान शिव ने यहाँ आकर धर्म का प्रचार किया था|

सारनाथ के आसपास कई प्राचीन हिंदू मंदिर भी हैं, जिनमें शिव, विष्णु और अन्य देवी-देवताओं की पूजा की जाती थी| इस तरह सारनाथ तीनों प्रमुख धर्मो-बौद्ध, जैन और हिन्दू- का संगम स्थल हैं| यह तथ्य भारतीय संस्कृति की सहिष्णुता और समावेशी भाव को दर्शाता हैं| यही कारण हैं कि यहाँ हर धर्म और सम्प्रदाय ले लोग आकर आध्यात्मिक शांति का अनुभव करते हैं|

12. विदेशी यात्रियों की यात्राएँ:-

सारनाथ के महत्व की गवाही विदेशी  यात्री भी देते हैं| चीन से आए प्रसिद्ध बौद्ध यात्री ह्वेनसांग और फह्वान ने अपनी यात्राओं में सारनाथ का विस्तृत वर्णन किया हैं| उन्होंने लिखा हैं कि सारनाथ उस समय शिक्षा और धर्म का महान केंद्र था, जहाँ हजारों भिक्षु रहते थे और बौद्ध धर्म का अध्ययन प्रचार करते थे| इन यात्रियों ने यहाँ के स्तूप, विहार और बुद्ध की मूर्तियों का बारीकी से विवरण किया| उनके अनुसार सारनाथ न केवल भारत बल्कि पुरे एशिया में प्रसिद्ध था| यही यात्राएँ बाद में इतिहासकारों और पुरातत्वविदों के लिए प्रमाण बनीं| यह दर्शाता हैं कि सारनाथ की ख्याति सीमाओं से परे थी और इसका प्रभाव अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी था|

13. मुस्लिम आक्रमण और विनाश:-

सारनाथ का वैभव हमेशा कायम नहीं रहा| 12वीं शताब्दी में जब मुस्लिम आक्रमणकारी भारत आए तो उन्होंने यहाँ के स्तूपों और विहारों को नष्ट कर दिया| विशेषकर कुतुबद्दीन एबक और उसके सेनापतियों ने सारनाथ की अधिकांश इमारतों को तोड़ डाला| इस विनाश के कारण यहाँ के मंदिर और विहार खंडहर बन गए|

यद्यपि इस आक्रमण ने सारनाथ की चमक को मिटा दिया, लेकिन इसकी आत्मा को कोई नष्ट नहीं कर सका| बुद्ध की शिक्षाएं और यहाँ की पवित्रता आज भी जीवित हैं| यह इतिहास हमें सिखाता हैं कि भले ही आक्रमणकारी धरोहरों को नष्ट कर दें, लेकिन विचार और ज्ञान कभी समाप्त नहीं हो सकते| सारनाथ की यह पीड़ा आज भी इसके खंडहर में झलकती हैं|

14. ब्रिटिश काल में पुनर्खोज:-

सारनाथ का महत्व पुनः तब सामने आया जब 19वीं शतब्दी में ब्रिटिश पुरातत्वविदों ने यहाँ खुदाई शुरू की| एलेक्जेंडर कनिंघम और अन्य पुरातत्विदों ने यहाँ से स्तूप, मूर्तियाँ और शिलालेख खोज निकाले| इन खोजों ने साबित किया कि सारनाथ कभी बौद्ध धर्म का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र रहा था|

ब्रिटिश काल में यहाँ धरोहरों को संरक्षित किया गया और संग्रहालय बनाया गया| यही कारण हैं कि आज हम सारनाथ के गौरवशाली इतिहास से रूबरू हो पते हैं| यदि ये खुदाई और संरक्षण कार्य न होते, तो शायद सारनाथ का इतिहास हमें कभी ज्ञात ही न होती| ब्रिटिश काल का इतिहास की पुनर्खोज ने इसे विश्व धरोहर की सूचि में जगह दिलाई|

15. आज का सारनाथ और पर्यटन:-

आज का सारनाथ एक प्रमुख पर्यटन और तीर्थ स्थल हैं| यहाँ हर साल लाखों पर्यटन और श्रद्धालु देश-विदेश से आते हैं| धमेख स्तूप, अशोक स्तम्भ, संग्रहालय और बौद्ध मंदिर यहाँ के मुख्य आकर्षण हैं| इसके अलावा यहाँ जापान, थाईलैंड, तिब्बत और श्रीलंका द्वारा निर्मित आधुनिक बौद्ध मंदिर भी हैं, जो इसे अंतर्राष्ट्रीय पहचान देते हैं|

सारनाथ केवल धार्मिक पर्यटन का ही नहीं बल्कि एतिहासिक और सांस्कृतिक पर्यटन का भी केंद्र हैं| यहाँ आकर लोग न केवल बुद्ध के उपदेशों को याद करते हैं, बल्कि भारतीय कला और संस्कृति की महानता को भी समझते हैं| आज भी सारनाथ शांति और करुणा का संदेश देता हैं| यह स्थान हमें यह सिखाता हैं कि ज्ञान और सत्य की रोशनी कभी मिट नहीं सकती|

*  निष्कर्ष:-

सारनाथ केवल एक स्थान नहीं हैं, बल्कि यह भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत प्रतीक हैं| यहाँ भगवान बुद्ध ने करुणा, अहिंसा और शांति का संदेश दिया था, जिसने पूरी मानवता की दिशा बदल दी| अशोक स्तंभ, धमेख स्तूप और गुप्तकालीन मूर्तियाँ हमें यह याद दिलाती हैं कि भारत का अतीत कितना गौरवशाली रहा हैं|

सारनाथ का महत्व इस बात में भी हैं कि यह अनेक धर्मो- बौद्ध, जैन और हिंदू- का संगम स्थल हैं| विदेशी यात्रियों के वर्णन और पुरातात्विक खोजों ने इसकी महत्ता को और भी प्रमाणित किया हैं| यद्यपि इतिहास में इसने विनाश भी देखा, पर आज यह फिर से एक जीवित धरोहर बनकर खड़ा हैं|

सारनाथ हमें यह संदेश देता हैं कि चाहे कितनी भी कठिनाईयां आएं, ज्ञान, करुणा और सत्य की ज्योति हमेशा प्रज्वलित रहती हैं| यही कारण हैं कि यह स्थान आज भी लाखों लोगों को शांति और प्रेरणा प्रदान करता हैं|


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