* प्रस्तावना *
भारतीय संस्कृति का इतिहास अद्भुत ऋषि-मुनियों की तपस्या, ज्ञान और भविष्य दृष्टि से भरा पड़ा हैं| इन्ही महापुरुषों में महर्षि वेदव्यास न केवल महाभारत के रचयिता थे, बल्कि उन्होंने वेदों को संहिताबद्ध कर आने वाली पीढियों के लिए संरक्षित किया| परन्तु उनकी महानता केवल लेखन और ग्रंथो तक सीमित नहीं थी| वे एक अद्वितीय दूरदर्शी ऋषि थे, जिन्होंने भविष्य में आने वाली परिस्थितियों, मानव जीवन की दशा और धर्म की स्थिति का सटीक चित्रण कर दिया था|
यह ब्लॉग महर्षि वेदव्यास और ज्योतिष शास्त्र की उन्ही भविष्यवाणियों पर आधारित हैं, जो हमारे जीवन में सच साबित हो चुकी हैं|
1. कलियुग में धर्म का क्षय:-
महर्षि वेदव्यास ने स्पष्ट कहा था कि कलियुग में धर्म के चार स्तंभ - सत्य, दया, तप और दान - धीरे-धीरे क्षीण हो जाएँगे| लोग बाहरी आडम्बर में उलझ जाएँगे और सच्चा धर्म केवल मान मात्र रह जाएगा| मंदिर और पूजा-पाठ केवल दिखावे के लिए होंगे, जबकि हृदय में लोग, क्रोध और स्वार्थ का वास होगा|
आज हम यही देख रहे हैं| धार्मिक आयोजन तो बढ़ गए हैं, लेकिन उनमें आध्यात्मिक शांति से अधिक दिखावा और राजनीति का मेल दिखाई देता हैं| लोग धर्म का उपयोग अपने स्वार्थ साधने के लिए करने लगे हैं| दान-पुण्य की परम्परा भी प्रचलित हैं, परंतु उसमें वास्तविक भावना कम और नाम कमाने का भाव अधिक हैं|
ज्योतिष शास्त्र बताता हैं कि कलियुग में शनि और राहू का प्रभाव बढने से मानव की चटना भटकती हैं| इस प्रभाव के कारण सत्य से दुरी और धर्म का पतन स्वाभाविक हैं| वेदव्यास जी की यह भविष्यवाणी आज के समाज में अक्षरशः दिखाई देती हैं|
2. राजनीति में भ्रष्टाचार:-
महर्षि वेदव्यास ने भविष्यवाणी की थी कि कलियुग में राजा ( आज के समय में शासक और नेता ) केवल अपने स्वार्थ और धन कमाने में लगें रहेंगे| वे प्रजा की सेवा नहीं करेंगे, बल्कि कर वसूलकर उसका दुरूपयोग करेंगे| राजधर्म केवल नाम भर का रह जाएगा|
आज के राजनितिक परिदृश्य को देखें तो यह बिल्कुल सही साबित होता हैं| चुनावों में नेता बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन सत्ता में आते ही जनता को भूल जातें हैं| घोटाले, रिश्वतखोरी और सत्ता का दुरूपयोग आम हो चूका हैं| राजनीति सेवा का साधन न होकर, व्यक्तिगत लाभ का माध्यम बन चुकी हैं|
ज्योतिषी शास्त्र भी इस स्थिति को ग्रह-नक्षत्रों से जोड़कर देखता हैं| शनि और राहू के दुष्प्रभाव से राजनीति में छल, प्रपंच और भ्रष्टाचार बढ़ता हैं| महर्षि वेदव्यास ने हजारों वर्ष पूर्व जो चेतावनी दी थी, आज वह हमारे सामने सच खड़ी हैं|
3. रिश्तों में स्वार्थ:-
वेदव्यास जी ने कहा था कि कलियुग में रिश्तों की मजबूती खत्म हो जाएगी| परिवार में प्रेम और त्याग की जगह स्वार्थ और लाभ-हानि का भाव होगा| माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नी - सभी रिश्ते धीरे-धीरे टूटने लगेंगे|
आज का समाज इस भविष्यवाणी की सच्चाई को दर्शाता हैं| संयुक्त परिवारों का विघटन हो चूका हैं| माता-पिता को वृद्धाश्रमों में भेजने की प्रवृत्ति बढ़ रही हैं| भाई-भाई जमींन-जायदाद के लिए अदालतों में लड़ते हैं| पति-पत्नी के बीच विश्वास की जगह तलाक और अलगाव का चलन बढ़ रहा हैं|
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कलियुग में शुक्र और राहू का प्रभाव रिश्तों को अस्थिर करता हैं| यही कारण हैं कि आज रिश्तों में स्थायित्व और विश्वास कम हो गए हैं| महर्षि वेदव्यास की यह भविष्यवाणी आधुनिक समाज का सटीक चित्रण बन चुकी हैं|
4. प्राकृतिक असंतुलन और आपदाएँ:-
महर्षि वेदव्यास ने कहा था कि कलियुग में प्रकृति का संतुलन बिगड़ जाएगा| जल, वायु, भूमि सब प्रदूषित हो जाएँगे और लोग प्राकृतिक संसाधनों का दुरूपयोग करेंगे| इसके परिणामस्वरूप भूकंप, बाढ़, सुखा और महामारी जैसी आपदाएँ बार-बार आएंगी|
आज के समय को देखें तो यह बात सच हैं| ग्लोबल वार्मिंग, प्रदुषण, जंगलों की कटाई और नदियों का सुखना मानव द्वारा किए गए असंतुलन का परिमाण हैं| हर साल दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में भीषण बाढ़, जंगल की आग और चक्रवात जैसी घटनाएँ बढ़ रही हैं|
ज्योतिषी शास्त्र में कहा गया हैं कि ग्रह-नक्षत्र विशेष स्थिति में आते हैं, तो प्राकृतिक आपदाओं की संभावना बढ़ जाती हैं| वेदव्यास जी ने जो चेतावनी दी थी, वह आज विज्ञान भी प्रमाणित कर रहा हैं|
5. अर्थ का महत्व, धर्म का अभाव:-
महर्षि वेदव्यास ने कलियुग का सबसे बड़ा लक्षण बताया कि इसमें "धर्म ही धर्म" बन जाएगा| लोग पैसे को सर्वोपरि मानेंगे और सत्य, न्याय, करुणा जैसे मूल्यों को भूल जाएँगे|
आज की दुनिया में यही हो रहा हैं| जीवन का हर पहलू - शिक्षा, रिश्ते, राजनीति और यहाँ तक कि धर्म भी - पैसों से जुड़ गया हैं| लोग सत्य की बजाय धनवान व्यक्ति को अधिक सम्मान देते हैं|
ज्योतिष शास्त्र भी कहता हैं कि कलियुग में बुध और राहू का मेल धन की ओर आकर्षण बढ़ाता हैं| यही कारण हैं कि आज समाज में पैसों के लिए लोग अपराध तक करने लगे हैं|
6. परिवार और रिश्तों का कमजोर होना:-
महर्षि वेदव्यास ने कहा था कि कलियुग में परिवार और रिश्तों की नींव कमजोर हो जाएगी| माता-पिता और संतान के बीच प्रेम और सम्मान घटेगा| भाई-भाई के कलह होगी और रिश्तों की जगह स्वार्थ और लालच हावी होगा| उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि परिवार का जो संयुक्त स्वरूप कभी भारतीय संस्कृति की पहचान हुआ करता था, वह धीरे-धीरे टूट जाएगा और एकल परिवार का चलन बढ़ेगा|
आज हम इसे साफ देख सकते हैं| पहले लोग बड़े परिवारों में रहते थे, लेकिन अब शहरी जीवन और आधुनिकता की दौड़ ने संयुक्त परिवारों को तोड़ दिया हैं| रिश्तों में धैर्य और सम्मान की जगह अब समय की कमी और व्यस्तता ने ले ली हैं| ज्योतिषी शास्त्र भी कहता हैं कि कलियुग में चंद्रमा और राहू की स्थिति पारिवारिक कलह और रिश्तों की कमजोरी का कारण बनती हैं| वेदव्यास जी की यह भविष्यवाणी आज पूरी तरह सत्य प्रतीत होती हैं और यह हमें चेतावनी देती हैं कि यदि हम रिश्तों को सम्भालने का प्रयास न करें तो समाज का ढांचा असंतुलित हो जाएगा|
7. धर्म का दिखावा और आडंबर:-
वेदव्यास ने स्पष्ट कहा था कि कलियुग में धर्म का वास्तविक स्वरूप कमजोर होगा| लोग धर्म को समझने और आत्मसात करने की बजाय केवल उसका दिखावा करेंगे| साधु-संतों में भी आडंबर बढ़ेगा, वे समाज की सेवा करने के बजाय केवल धन और प्रसिद्धि के लिए धार्मिक कर्मकांड करेंगे|
आज हम देखते हैं कि धर्म के नाम पर बड़े-बड़े आयोजन होते हैं, लेकिन उनमें भक्ति और आस्था की जगह अक्सर दिखावा और व्यवसाय अधिक होता हैं| कई लोग धर्म का उपयोग केवल अपने स्वार्थ साधने के लिए करते हैं| ज्योतिष शास्त्र में भी केतु और राहु को झूठे आडंबर और मोह का कारण माना गया हैं| जब ये ग्रह प्रभावी दिखावे में उलझ जाता हैं| वेदव्यास जी की यह भविष्यवाणी आज बिल्कुल सटीक लगती हैं, जहाँ धर्म आध्यात्मिक शक्ति की बजाय एक साधन मात्र बन गया हैं|
8. विज्ञान और तकनीकी का तीव्र विकास:-
महर्षि वेदव्यास ने भविष्यवाणी की थी कि कलियुग में विज्ञान और तकनीकी का अद्भुत विकास होगा| मनुष्य ऐसे-ऐसे साधन बना लेगा जिनके वह हजारों मील की दुरी तुरंत तय कर सकेगा| वह आकाश में उड़ने वाली मशीनों, पानी में चलने वाले जहाजों और ध्वनि से भी तेज गति से संवाद करने वाले उपकरणों का निर्माण करेगा|
आज हम विमान, जहाज, रॉकेट, मोबाइल फोन और इंटरनेट जैसी तकनीक का उपयोग कर रहे हैं| वेदव्यास जी ने जिन साधनों का उल्लेख किया था, वे सब आब वास्तविकता बन चुके हैं| ज्योतिष शास्त्र में बुध और शनि को तकनीकी विकास से जोड़ा जाता हैं| जब इन ग्रहों की स्थिति अनुकूल होती हैं तो विज्ञान में अद्भुत प्रगति होती हैं| इस प्रकार, वेदव्यास जी की भविष्यवाणी तकनीकी क्रांति के रूप में आज साकार हो चुकी हैं|
9. स्त्रियों की स्वतंत्रता और सामाजिक बदलाव:-
वेदव्यास जी ने कहा था कि कलियुग में स्त्रियाँ अधिक स्वतंत्र होंगी| वे शिक्षा, राजनीति, समाज और व्यवसाय में अपनी भूमिका निभाएंगी| लेकिन इसके साथ ही समाज में नैतिक पतन भी देखने को मिलेगा और स्त्रियों के साथ होने वाले अन्याय भी बढ़ेंगे|
आज की स्थिति उनकी इस बात को सही ठहराती हैं| स्त्रियाँ आज हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं| अंतरिक्ष से लेकर राजनीति तक, वे हर जगह अपनी पहचान बना रही हैं| लेकिन दूसरी ओर, स्त्रियों पर होने वाले अत्याचार और शोषण भी कम नहीं हुए हैं| ज्योतिष शास्त्र में शुक्र और चंद्रमा स्त्रियों से सम्बंधित माने जाते हैं| इन ग्रहों की स्थिति जब असंतुलित होती हैं तो समाज में स्त्रियों के प्रति अन्याय बढ़ जाता हैं| यह दर्शाता हैं कि वेदव्यास जी की भविष्यवाणी केवल स्त्रियों की उन्नति ही नहीं बल्कि उनके संघर्षों की ओर भी इशारा करती थी|
10. भोजन और जीवनशैली में परिवर्तन:-
वेदव्यास जी ने कहा था कि कलियुग में लोगों का खान-पान और जीवनशैली पूरी तरह बदल जाएगी| लोग शुद्ध और सात्विक भोजन से दूर हो जाएँगे और मांसाहार, मद्यपान और नशे की ओर अधिक आकर्षित होगें| उन्होंने बताया था कि मनुष्य अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह होगा और इसका परिमाण उसे बीमारियों के रूप में भुगतना पड़ेगा|
आज यह स्थिति पूरी तरह सही बैठती हैं| फ़ास्ट फ़ूड, जनक फ़ूड और नशे की लत ने लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाया हैं| डायबीटीज, हार्ट डिजीज और मोटापा जैसी बीमारियाँ आज आम हो चुकी हैं| ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु और केतु की प्रतिकूल स्थिति व्यक्ति को नशे और अस्वस्थ खान-पान की ओर धकेलती हैं| वेदव्यास जी की यह भविष्यवाणी आज आधुनिक जीवनशैली में बिल्कुल सत्य होती दिखाई देती हैं|
11. धर्म का पतन और आडंबर का बढ़ना:-
महर्षि वेदव्यास ने अपनी भविष्यवाणियों में स्पष्ट कहा था कि कलियुग में धर्म का असली स्वरूप धीरे-धीरे क्षीण होने लगेगा| लोग धर्म का पालन कम और उसके अनुष्ठान केवल बाहरी आडंबर बनकर रह जाएँगे| सच्चे आध्यात्मिक साधक और ज्ञानी लोग कम होते जाएँगे, जबकि ढोंगी और पाखंडी अधिक बढ़ेंगे| वेदव्यास ने कहा था कि लोग अपने लाभ और स्वार्थ के लिए धर्म का सहारा लेंगे| मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर भीड़ तो बढ़ेगी, लेकिन आस्था और भक्ति का भाव कम होता जाएगा| यही कारण हैं कि आज हम देखते हैं कि कई जगह धर्म केवल एक व्यवसाय की तरह प्रयोग होने लगा हैं|
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी कलियुग का यही स्वभाव बताया गया हैं| ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति समाज में धर्म की गिरती स्थिति को दर्शाती हैं| आजकल लोग धर्म को तर्क और विज्ञान की कसौटी पर परखते हैं, जिससे उसका गूढ़ और आध्यात्मिक महत्व पीछे छुटता जा रहा हैं| यह ठीक वही स्थिति हैं जिसकी भविष्यवाणी वेदव्यास ने हजारों साल पहले कर दी थी|
12. परिवारिक सम्बंधों में दुरी:-
वेदव्यास जी ने कहा था कि कलियुग में पारिवारिक बंधन कमजोर होंगे| पहले जहाँ संयुक्त परिवार में प्रेम और एकता होती थी, वहीँ अब लोग एकल परिवार की ओर बढ़ेंगे| माता-पिता और संतान के रिश्तों में दुरी आएगी| भाई-भाई के बीच प्रेम घटेगा और लोग स्वार्थ में डूब जाएँगे|
आज के समय में हम यह साफ देखते हैं| आधुनिकता और व्यस्त जीवनशैली ने परिवारों को बाँट दिया हैं| रिश्तों में विश्वास और अपनापन कम हो गया हैं| ज्योतिषीय दृष्टि से भी राहू और शनि का प्रभाव पारिवारिक कलह और सम्बंधों की दुरी को दर्शाता हैं| यह वही स्थिति हैं जिसे वेदव्यास ने पहले ही बताया था| उन्होंने चेतावनी दी थी कि यदि समाज ने इस स्थिति को नहीं संभाला, तो परिवार का मूल ढांचा कमजोर हो जाएगा और समाज में असंतुलन पैदा होगा|
13. प्राकृतिक आपदाओं का बढ़ना:-
महर्षि वेदव्यास ने स्पष्ट कहा था कि कलियुग के अंतर्गत प्रकृति का संतुलन बिगड़ जाएगा| मनुष्य अपने लालच और स्वार्थ के लिए पेड़ काटेगा, नदियों को प्रदूषित करेगा और धरती के प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक शोषण करेगा| इसका परिणाम यह होगा कि धरती पर भूकंप, बाढ़, सुखा और महामारी जैसी आपदाएँ बढ़ेंगी| ज्योतिष शास्त्र में भी शनि, राहु और केतु की स्थितियों को प्राकृतिक विपत्तियों का सूचक माना गया हैं| जब ये ग्रह प्रतिकूल स्थिति में आते हैं तो बड़े-बड़े विनाशकारी हादसे घटते हैं|
14. राजनीति में भ्रष्टाचार और अराजकता:-
वेदव्यास ने अपनी भविष्यवाणी में कहा था कि कलियुग में राजनीति और शासन का सबरूप पूरी तरह बदल जाएगा| राजा ( आज के मस्य में शासक या नेता ) अपने प्रजा की भलाई के बजाय केवल अपने स्वार्थ और पड़ की रक्षा करेंगे| वे न्याय और नीति की जगह सत्ता और धन पर अधिक ध्यान देंगे| राजनीति में भ्रष्टाचार, छल-कपट और अराजकता बढ़ेगी|
आज हम साफ देखते हैं कि कई जगह राजनीति सेवा का माध्यम न होकर एक व्यवसाय बन गई हैं| नेता और शासक केवल अपने हित और परिवार के लिए कार्य करते हैं| जनता की समस्याएं और उनकी भलाई पीछे छुट जाती हैं| ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब शनि और राहू राजनीति पर हावी होते हैं तो इस प्रकार की स्थितियाँ बनती हैं| वेदव्यास ने जिस समय की यह भविष्यवाणी की थी, वह आज पूरी तरह से सत्य साबित हो रही हैं| यह हमें यह भी सिखाता हैं कि यदि समाज और शासक दोनों जागरूक न हुए तो व्यवस्था असंतुलित होकर बड़ी अव्यवस्था ला सकती हैं|
15. धर्म और विज्ञान का संगम:-
महर्षि वेदव्यास ने एक महत्वपूर्ण भविष्यवाणी यह भी की थी कि कलियुग में धर्म और विज्ञान के बीच संघर्ष तो होगा, लेकिन धीरे-धीरे दोनों का संगम भी होगा| उन्होंने कहा था कि मनुष्य विज्ञान की सहायता से प्रकृति के रहस्यों को समझने की कोशिश करेगा और विज्ञान एक दिन उन्हीं बातों को प्रमाणित करेगा जिन्हें शास्त्रों और पुराणों में पहले ही बताया गया हैं|
आज का युग इसका सबसे बड़ा उदहारण हैं| योग, ध्यान, ज्योतिष और आयुर्वेद जैसी विद्या जिन्हें कभी अंधविश्वास माना जाता था, जब आधुनिक विज्ञान भी उनकी शक्ति और प्रभाव, ध्यान का मस्तिष्क पर असर और आयुर्वेद की औषधीय शक्ति - ये सब वैज्ञानिक शोध द्वारा सिद्ध हो चुके हैं| यह वही स्थिति हैं जिसकी भविष्यवाणी वेदव्यास ने की थी| इसका अर्थ हैं कि आने वाले समय में धर्म और विज्ञान मिलकर मानवता को नई दिशा देंगे और जीवन को अधिक संतुलित बनाएँगे|
* निष्कर्ष:-
महर्षि वेदव्यास और ज्योतिष शास्त्र की भविष्यवाणियां केवल प्राचीन कथाएं नहीं हैं, बल्कि आज के समाज के लिए चेतावनी और मार्गदर्शन दोनों हैं| उन्होंने हजारों वर्ष पहले ही बता दिया था कि कलियुग में मनुष्य का जीवन किस दिशा में जाएगा - रिश्तों का टूटना, धर्म का दिखावा, स्त्रियों की स्वतंत्रता, विज्ञान की प्रगति, राजनीति में भ्रष्टाचार, भोजन में असंतुलन और प्राकृतिक आपदाओं का बढ़ना| आज हम जब चारों ओर देखते हैं, तो पाते हैं कि उनकी कही हुई बातें केवल कल्पना नहीं बल्कि सच्चाई बन चुकी हैं|
ज्योतिष शास्त्र हमें यह समझाता हैं कि ग्रहों-नक्षत्रों की स्थिति मानव जीवन और समाज पर गहरा प्रभाव डालती हैं| राहू-केतु का प्रभाव मोह और आडंबर बढ़ाता हैं, शनि का प्रभाव कठिनाईयां लाता हैं, और शुक्र-चंद्रमा स्त्रियों व परिवार पर असर डालते हैं| इन ग्रहों की चल ही कलियुग की स्थिति को स्पष्ट करती हैं|
लेकिन सबसे बड़ी सीख यह हैं कि वेदव्यास जी ने हमें केवल भविष्यवाणी करके डराया नहीं, बल्कि समाधान भी बताया| उन्होंने कहा कि कलियुग में भी यदि मनुष्य सत्य, धर्म, करुणा, सेवा और भक्ति का पालन करे, तो वह इन नकारात्मक परिस्थितियों से ऊपर उठ सकता हैं| हर व्यक्ति यदि अपने परिवार रिश्तों और समाज के प्रति जिम्मेदारी निभाए, तो कलियुग में भी सुख और शांति संभव हैं|
आज जरूरत इस बात की हैं कि हम प्राचीन ज्ञान को केवल कहानी मानकर न छोड़े, बल्कि उससे सीख लें| आधुनिकता और तकनीक के साथ-साथ यदि हम आध्यात्मिकता और नैतिकता को अपनाएं, तो कलियुग में भी जीवन संतुलित और सुंदर हो सकता हैं| यही वेदव्यास जी के स्न्देह्स का सार हैं -
'भविष्यवाणी हमें दिशा दिखाती हैं, और कर्म हमें भविष्य बदलने का अवसर देता हैं|'